google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 मारवाड़ी कविता

मारवाड़ी कविता

चांदी हूं चमकाकर देख
तूळी हूं सिलकाकर देख। 
दूर खड्यो कांई देखे है
थोडो नेडो आकर देख। 
कुवा में कांई झांके है
कित्तो ऊंचो भाखर देख। 
पेड्यां पर पग कांई धोवे
ऊंडी गोत लगाकर देख। 
भिखारी नें दुतकारे है
खुद मांगणं नें जाकर देख। 
गरीबां पर कांई हंसे है
आंनें गळे लगाकर देख। 
वीररस रा गीत लिखे है
रणभूमि में जाकर देख। 
सूरां रो गुणगान करे है
खुदरो शीश कटाकर देख। 
लोगां नें कांई समझावे
खुद नें भी समझाकर देख। 
इत्तो बेगो क्यूं उफणे है
थोडो तो गम खाकर देख। 
हद करदी बेशरमी की तूं
थोडो तो गम खाकर देख। 
पाडोसी री पछै बताजे
खुदरा घर में झांकर देख। 
तूं खाली सिलकाणीं जाणे
सिलक्योडी बुझाकर देख। 
छुईमुई पर धरे आंंगळी
खुद भी तो मुरझाकर देख। 
पंडित बणणीं चावे है तो
पढकर ढाई आखर देख। 
साच देखणीं चावे है तो
शमसाणां में जाकर देख। 
ऊंचो चढणीं चावे है तो
पेली ठोकर खाकर देख। 
पूरो बाणियो बणणों है तो
पेली घाटो खाकर देख। 
पेली रूंख लगाकर देख
पछै पाणीं पाकर देख। 
पाछा फळ कित्ता देवे है
थोडी डाळ हिलाकर देख। 
गंगा न्हावे जमना न्हावे
हिमाळा पर जाकर देख। 
भागीरथ बणकरके कोई
तूं भी गंगा लाकर देख। 
कोरी रीत निभावे है तूं
साची प्रीत लगाकर देख। 
म्हारो भेद लेवणं चावे
खुदरो भेद बताकर देख। 
टक्का री हांडी लेवे तो
पेली ठोक बजाकर देख। 
फक्कड बणकर धार फकीरी
मस्ती मार मजा कर देख। 
राम मिलणं री खातर बंदा
तन में अगन लगाकर देख। 
पोसवाल घट में मिल ज्यासी
साची लगन लगाकर देख। 
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