किसानों के हठ के आगे आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया
है। इस ऐलान के लिए दिन चुना गया प्रकाश पर्व का। पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के
नाम 18 मिनट के संबोधन में यह बड़ा ऐलान
किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून काश्तकारों के हित में नेक नीयत से ये लाई
थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने
में नाकाम रहे।
आखिर क्या थे कृषि कानून
था। ये तीनों
कानून इस तरह हैं..
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य
(संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम
बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और कारोबारियों को
मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के
बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और
ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।
2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत
आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों
(एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि
उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म,
प्रॉसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता
है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की
सुविधा देने की बात इस कानून में है।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं
की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।
सरकार ने कहा हम
छोटे किसानों के फायदे के लिए तीनों कृषि कानून लाए थे
मोदी ने कहा कि किसानों की ताकत
बढ़ाने के लिए दस हजार एफपीओ किसान उद्पादक संगठन बनाने की भी प्लनिंग है, इस पर 7 हजार करोड़ रुपए का फंड खर्च किए
जा रहे हैं। हमने क्रॉप लोन बढ़ा दिया। यानी हमारी सरकार किसानों के हित में लगातार
एक के बाद एक कदम उठाती जा रही है। पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। साथियों
किसानों की इसी अभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। देश के किसानों को
खासकर छोटे किसानों को फायदा हो। यह मांग देश में लंबे समय से होती रही थी। पहले
भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और
यह कानून लाए गए। देश में अनेक किसान संगठनों ने इसका संमर्थन किया। मैं आज उन सभी
का बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद करता हूं।
मोदी सरकार ने
कहा- नेक नीयत से कानून लाए, लेकिन समझा नहीं
पाए
हमारी सरकार किसानों के लिए
खासकर छोटे किसानों के हित में पूरी सत्य निष्ठा से किसानों के प्रति पूर्ण समर्पण
भाव से यह कानून लेकर आई थी,
लेकिन यह हम अपने प्रयासों के
बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे।
बातचीत भी होती रही। हमने किसानों को समझने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कानून के जिन
प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था,
उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो
गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है। यह समय किसी को दोष देने का
नहीं है। मैं आज यह पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस
लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर
देंगे।
तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था।
राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को
दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन
शुरू कर दिया
प्रकाश पर्व की
शुभकामनाओं के साथ शुरुआत की
मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज
गुरुनानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी
देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब
कॉरिडोर फिर से खुल गया है। गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग
अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का
जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना
चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश
कर रहा है।
किसानों पर
केंद्रित रहा मोदी का 18
मिनट का संबोधन
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को बहुत करीब से देखा
है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर देश
की सेवा का मौका दिया, तो हमने किसान कल्याण को
सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बहुत लोग अनजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का
टुकड़ा है। किसान इसी जमीन से अपने परिवार का गुजारा करते हैं।’