google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बगड़ावत देवनारायण फड़ भाग -19

बगड़ावत देवनारायण फड़ भाग -19



खारी नदी का युद्ध


नियाजी के बाद रण भूमि में बाहरावत जी अपनी सेना के साथ युद्ध करने के लिए आते हैं और वो भी लड़ाई करते हुए मारे जाते हैं। नियाजी और बाहरावतजी की तरह सभी भाई एक-एक करके रावजी की फौजों से युद्ध करने के लिए खारी नदी पर आए। खारी नदी पर ही सब युद्ध हुए थे। खारी नदी के एक किनारे पर रावजी की फौजें थी तो दूसरी और बगड़ावतों की फौजें। यह युद्ध कलयुग का महाभारत का युद्ध था। इस युद्ध में सवाई भोज के सभी महाबली योद्धा भाई काम आ गए। रानी को दिए वचन के अनुसार एक-एक भाई ने अपनी फौज के साथ खारी नदी पर आकर रावजी की सेना के साथ युद्ध किया था।
भांगीजी का जन्म
                       इन बगड़ावत भाइयों की रानियाँ सतीवाड़े में सती होती हैं। चूंकि नेतुजी ६ महीने के गर्भ से थी इस अवस्था में वह सती नहीं हो सकती थी, इसलिए वह बगड़ावतों के गुरु बाबा रुपनाथ की धूणी पर आती है और कहती है बाबाजी इस पेट में लोथ पल रहा है इसे निकाल कर आप अपने पास रख लो। बाबा रुपनाथ कहते है, मैं तेरे हाथ नहीं लगा सकता क्योंकि तू मेरे चेले की रानी है, मैने तेरे हाथ का खूब भोजन किया है, और यदि मैं तेरे को हाथ लगाता हूँ तो अगले जन्म में मैं सूअर बनूंगा। यह सुनकर नेतुजी खुद ही अपना पेट चीरकर गर्भ बाहर निकाल कर बाबा को देती है और बाबा उसे अपने पास रखे भांग के घड़े में डाल देते हैं और ढक देते हैं। नेतुजी कहती है बाबा जी अब आप ही इसके मां-बाप हो और इसकी सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है। यह कहकर नेतुजी अपनी कमर को वापस बांध लेती है और कहती है तीन महीने बाद इसका जन्म होगा और इसका नाम भांगड़े खान रखना। नेतुजी बाबा रुपनाथजी से कहती है इस बच्चे को साधू मत बनाना। और इसको सफेद कपड़े देना, भगवा वस्र मत पहनाना। राताकोट की जीत यही करेगा, यह बड़ा होकर अपने बाप का बैर लेगा। यह एक नया बदनोरा गांव बसायेगा। बाबा से आज्ञा लेकर नेतु वहां से सती होने के लिये जाती है जहां सभी बगड़ावत भाईयों की स्रियाँ नहा धोकर १६ श्रृंगार कर सती होने के लिए अपने-अपने पति के शवों के साथ चिता में बैठ जाती हैं। सती होते समय नेतु रानी जयमती को श्राप देती है कि अगले जनम में तू बड़े घर में जन्म लेगी तेरे शरीर पर कोढ झरेगा, तेरे सिर पर सींग होगा और तेरे से शादी करने वाला कोई नहीं मिलेगा। रानी श्राप से भयभीत हो जाती है और नेतु से कहती है की मेरा उद्धार कैसे होगा। विनती करती है। नेतु कहती है कि पीपलदे के नाम से तू धार के राजा के यहां जन्म लेगी और भगवान देवनारायण मालवा से लौटते समय तेरा उद्धार करेगें।
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