Smile 3.0 Solution DATE :- 24/8/2021
CLASS -11 हिन्दी अनिवार्य
त्रिलोचन (त्रिलोचन
भाग -1)
कवि परिचय
जीवन परिचय-
- त्रिलोचन का जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के चिरानी पट्टी में सन् 1917 में हुआ।
- मूल नाम वासुदेव सिंह ।
- ये हिंदी साहित्य में प्रगतिशील काव्यधारा के प्रमुख कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
- इनकी साहित्यिक उपलब्धियों के आधार पर इन्हें साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इन्हें महात्मा गाँधी पुरस्कार से सम्मानित किया।
- शलाका सम्मान भी इनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
- निधन 9 दिसंबर, 2007 में हुआ।
रचनाएँ-
काव्य- धरती, गुलाब और बुलबुल,
दिगंत, ताप के ताये हुए दिन, शब्द, उस जनपद का कवि हूँ,
अरघान, तम्हें सौंपता हूँ. चैती, अमोला, मेरा घर,
जीने की कला।
गद्य- देशकाल, रोजनामचा,
काव्य और
अर्थबोध,
मुक्तिबोध की
कविताएँ। इसके अलावा,
हिंदी के अनेक
कोशों के निर्माण में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
साहित्यिक
विशेषताएँ-त्रिलोचन
बहुभाषाविज्ञ शास्त्री हैं। ये रागात्मक संयम व लयात्मक अनुशासन वाले कवि हैं। इसी
कारण इनके नाम के साथी ‘शास्त्री’ जुड़ गया है,
लेकिन यह
शास्त्रीयता इनकी कविता के लिए बोझ नहीं बनती। ये जीवन में निहित मंद लय के कवि
हैं। प्रबल आवेग और त्वरा की अपेक्षा इनके यहाँ काफी कुछ स्थिर है। इनकी भाषा
छायावादी रूमानियत से मुक्त है तथा उसका काव्य ठाठ ठेठ गाँव की जमीन से जुड़ा हुआ
है। ये हिंदी में सॉनेट (अंग्रेज़ी छद) को स्थापित करने वाले कवि के रूप में भी
जाने जाते हैं। कवि बोलचाल की भाषा को चुटीला और नाटकीय बनाकर कविताओं को नया आयाम
देता है। कविता की प्रस्तुति का अंदाज कुछ ऐसा है कि वस्तु रूप की प्रस्तुति का
भेद नहीं रहता।
पाठ का सारांश
‘चपा काल-काल अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता धरती संग्रह में संकलित
है। यह पलायन के लोक अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है। इसमें ‘अक्षरों’ के लिए ‘काले-काले’ विशेषण का प्रयोग किया गया है
जो एक ओर शिक्षा-व्यवस्था के अंतर्विरोधों को उजागर करता है तो दूसरी ओर उस दारुण
यथार्थ से भी हमारा परिचय कराता है जहाँ आर्थिक मजबूरियों के चलते घर टूटते हैं।
काव्य नायिका चंपा अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है
जहाँ भविष्य को लेकर उसके मन में अनजान खतरा है। वह कहती है ‘कलकत्ते पर बजर गिरे।” कलकत्ते पर वज़ गिरने की कामना, जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति
चंपा के संघर्ष और जीवन को प्रकट करती है।
काव्य की नायिका चंपा अक्षरों
को नहीं पहचानती। जब वह पढ़ता है तो चुपचाप पास खड़ी होकर आश्चर्य से सुनती है। वह
सुंदर ग्वाले की एक लड़की है तथा गाएँ-भैसें चराने का काम करती है। वह अच्छी व
चंचल है। कभी वह कवि की कलम चुरा लेती है तो कभी कागज। इससे कवि परेशान हो जाता
है। चंपा कहती है कि दिन भर कागज लिखते रहते हो। क्या यह काम अच्छा है? कवि हँस देता है। एक दिन कवि ने
चंपा से पढ़ने-लिखने के लिए कहा। उन्होंने इसे गाँधी बाबा की इच्छा बताया। चंपा ने
कहा कि वह नहीं पढ़ेगी।
गाँधी जी को बहुत अच्छे बताते
हो, फिर वे
पढ़ाई की बात कैसे कहेंगे? कवि ने
कहा कि पढ़ना अच्छा है। शादी के बाद तुम ससुराल जाओगी। तुम्हारा पति कलकत्ता काम
के लिए जाएगा। अगर तुम नहीं पढ़ी तो उसके पत्र कैसे पढ़ोगी या अपना संदेशा कैसे
दोगी? इस पर चंपा
ने कहा कि तुम पढ़े-लिखे झूठे हो। वह शादी नहीं करेगी। यदि शादी करेगी तो अपने पति
को कभी कलकत्ता नहीं जाने देगी। कलकत्ता पर भारी विपत्ति आ जाए, ऐसी कामना वह करती है।
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प्रश्न .1.त्रिलोचन
हिन्दी साहित्य में किस काव्य धरा से संबंधित है ?
उत्तर त्रिलोचन हिंदी साहित्य में
प्रगतिशील काव्यधारा के प्रमुख कवि के रूप में प्रतिष्ठित है ।
प्रश्न .2.त्रिलोचन
कृत दो रचनायें बताइए ?
उत्तर देशकाल और रोजनामचा
प्रश्न .3.चंपा
को अचरज कब होता है ?
उत्तर जब कवि पढ़ने
लगता है तो वह वहाँ आ जाती है। वह उसके द्वारा बोले गए अक्षरों को चुपचाप खड़ी-खड़ी
सुना करती है। उसे इस बात की बड़ी हैरानी होती है कि इन काले अक्षरों से ये सभी
ध्वनियाँ कैसे निकलती हैं? वह अक्षरों के अर्थ से हैरान होती है।
प्रश्न .4.चंपा
किसकी लड़की है और क्या करती है ?
उत्तर चंपा वह सुंदर ग्वाले की एक लड़की है
तथा गाएँ-भैसें चराने का काम करती है।
प्रश्न .5.कवी ने
चंपा की केसी छवि रची है ?
उत्तर चंपा को नटखट
और उधमी बताया है ।