माध्यमिकशिक्षा निदेशालय ने स्कूलों के संस्था प्रधानों को एक परिपत्र जारी कर स्कूलों में विद्यालय विकास कोष एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) की अनुमति से ही विद्यार्थी कोष (स्टूडेंट फंड) की राशि खर्च करने के निर्देश दिए हैं। परिपत्र में बताया गया है कि संस्था प्रधान की अध्यक्षता में स्कूल के शिक्षक को सचिव नामित होने के साथ ही समिति में सदस्य के रूप में अभिभावकों के शामिल होने से स्कूल में बच्चों के हित में खर्च होने वाली राशि की जानकारी अभिभावकों को रहेगी।
निदेशालय ने आदेश जारी कर बैंक में छात्र निधि (बॉयज फंड) के नाम से खाते को बदलकर विद्यार्थी कोष (स्टूडेंट फंड) के नाम से संचालित करने के निर्देश दिए हैं, ताकि अध्ययनरत विद्यार्थियों का समिति से जुड़ाव हो सके। संस्था प्रधानों को मासिक बैठक के बाद विद्यार्थी कोष में अवशेष राशि की जानकारी समिति के सदस्यों को देनी होगी। बैठक में राशि के खर्च करने के संबंध में कार्य योजना प्रस्तुत कर अनुमोदन कराना होगा।
SUPW में विद्यार्थियों के माध्यम से 👇
➡️ पेन्ट, रंग रोगन, नारे लेखन हेतु रंग, ब्रश इत्यादि
➡️औजार खरीद जैसे फावड़ा, खुरपी, पराती, कुदाली, कुल्हाड़ी , गैंती, स्क्रेटर, कुश, टूल किट, फर्स्ट एड बॉक्स इत्यादि
➡️बीज, पौधे , खड्डे , खाद, दवाई, ट्री गार्ड, गार्डन की फेंसिग, रस्सी इत्यादि
➡️ सामग्री निर्माण के लिए कच्ची सामग्री (चाॅक, डस्टर, साबुन आदि बनाने के लिए) एवं प्रतियोगिता आयोजित करने हेतु मेहंदी, रंगोली हेतु गुलाल, चूना, इत्यादि
➡️पुरस्कार वितरण हेतु बैनर, प्रमाण पत्र, ईनाम, फोटोग्राफी, फाइल इत्यादि की खरीद की जा सकती है
इसके अतिरिक्त अन्य समाज उपयोगी उत्पादक कार्य में आवश्यकतानुसार काम आने वाली सामग्री सामान्य वित्त एवं लेखा नियम की पालना करते हुए खरीदी जा सकती है।
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