1. ईश्वरीय संकेत
रामचरित मानस कैसे लिखी गई, इसके पीछे भी एक कहानी है और वह कहानी काफ़ी दिलचस्प है। एक दिन तुलसीदासजी के मन में रामकथा लिखने का विचार आया। अगले ही दिन वे वाराणसी के प्रहलाद घाट पर गए और संस्कृत में रामकथा लिखने लगे। लेकिन उनके साथ एक विचित्र घटना होती थी। वे दिन में जितनी भी कविताएँ लिखते थे, वे सभी रात को ग़ायब हो जाती थीं। उन्होंने अपनी कविताओं को सुरक्षित रखने की बहुत कोशिश की, लेकिन इसके बावजूद रात को कविताएँ गायब हो जाती थीं। यह सिलसिला आठ दिनों तक चलता रहा। आठवीं रात को तुलसीदासजी को एक सपना आया और यह राज़ खुला कि उनका संस्कृत में लिखा काव्य रात को ग़ायब क्यों हो जाता था। सपने में तुलसीदासजी को भगवान शिव दिखे, जिनका मशहूर काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में है। शिवजी ने तुलसीदासजी को आदेश दिया कि वे संस्कृत के बजाय अवधी में रामकथा लिखें। सपने में उन्होंने यह भी कहा कि वे यह काम वाराणसी में रहकर न करें, बल्कि अयोध्या जाकर करें। ईश्वर के आदेश को मानकर तुलसीदासजी अयोध्या गए। वहाँ उन्होंने चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी को अवधी में रामचरित मानस लिखना शुरू किया और इसे लिखने में उन्हें ढाई साल लग गए।