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SMILE 3.0 गृहकार्य दिनांक 15 सितम्बर 2021 कक्षा-12 विषय- हिन्दी साहित्य सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’– सरोज स्मृति |SMILE 3.0 गृहकार्य दिनांक 27 सितम्बर 2021

SMILE 3.0  गृहकार्य दिनांक 15 सितम्बर 2021

कक्षा-12 विषय- हिन्दी साहित्य

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला– सरोज स्मृति

 

कवि परिचय

जीवन परिचय-

v महाप्राण कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निरालाका जन्म सन 1899 में बंगाल राज्य के महिषादल नामक रियासत के मेदिनीपुर जिले में हुआ था।

v इनके पिता रामसहाय त्रिपाठी मूलत: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गाँव के निवासी थे।

v जब निराला तीन वर्ष के थे, तब इनकी माता का देहांत हो गया।

v इन्होंने स्कूली शिक्षा अधिक नहीं प्राप्त की, परंतु स्वाध्याय द्वारा इन्होंने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।

v पिता की मृत्यु के बाद ये रियासत की पुलिस में भर्ती हो गए। 14 वर्ष की आयु में इनका विवाह मनोहरा देवी से हुआ।

v इन्हें एक पुत्री व एक पुत्र प्राप्त हुआ। 1918 में पत्नी के देहांत का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

v आर्थिक संकटों, संघर्षों व जीवन की यथार्थ अनुभूतियों ने निराला जी के जीवन की दिशा ही मोड़ दी। ये रामकृष्ण मिशन, अद्वैत आश्रम, बैलूर मठ चले गए।

v वहाँ इन्होंने दर्शन शास्त्र का अध्ययन किया तथा आश्रम के पत्र समन्वयका संपादन किया।

v सन 1935 में इनकी पुत्री सरोज का निधन हो गया।

v इसके बाद ये टूट गए तथा इनका शरीर बीमारियों से ग्रस्त हो गया। 15 अक्तूबर, 1961 ई० को इस महान साहित्यकार ने प्रयाग में सदा के लिए आँखें मूंद लीं।

रचनाएँ- सूर्यकांत त्रिपाठी निरालाप्रतिभा-संपन्न व प्रखर साहित्यकार थे। इन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं पर लेखनी चलाई।
इनकी रचनाएँ हैं-

(i) काव्य- संग्रह-परिमल, गीतिका, अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, नए पत्ते, बेला, अर्चना, आराधना आदि।
(ii) 
उपन्यास- अलका, अप्सरा, प्रभावती, निरुपमा, काले कारनामे आदि।
(iii) 
कहानी- संग्रह-लिली, सखी, चतुरी चमार, अपने घर।
(iv) 
निबंध- प्रबंध-पद्य, प्रबंध प्रतिभा, चाबुक आदि।
(v) 
नाटक- समाज, शंकुतला, उषाअनिरुद्ध।
(vi) 
अनुवाद- आनंद मठ, कपाल कुंडला, चंद्रशेखर, दुर्गेशनंदिनी, रजनी, देवी चौधरानी।
(vii) 
रेखाचित्र- कुल्लीभाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
(viii) 
संपादन-समन्वयपत्र तथा मतवालापत्रिका का संपादन।

काव्यगत विशेषताएँ- 

निराला जी छायावाद के आधार स्तंभ थे। इनके काव्य में छायावाद, प्रगतिवाद तथा प्रयोगवादी काव्य की विशेषताएँ मिलती हैं। ये एक ओर कबीर की परंपरा से जुड़े हैं तो दूसरी ओर समकालीन कवियों की प्रेरणा के स्रोत भी हैं। इनका यह विस्तृत काव्य-संसार अपने भीतर संघर्ष और जीवन, क्रांति और निर्माण, ओज और माधुर्य, आशा-निराशा के द्वंद्व को कुछ इस तरह समेटे हुए है कि वह किसी सीमा में बँध नहीं पाता। उनका यह निर्बध और उदात्त काव्य-व्यक्तित्व कविता और जीवन में फ़र्क नहीं रखता। वे आपस में घुले-मिले हैं। उनकी कविता उल्लास-शोक, राग-विराग, उत्थान-पतन, अंधकार-प्रकाश का सजीव कोलाज है।

भाषा-शैली- निराला जी ने अपने काव्य में तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया है। बँगला भाषा के प्रभाव के कारण इनकी भाषा में संगीतात्मकता और गेयता का गुण पाया जाता है। प्रगतिवाद की भाषा सरल, सहज तथा बोधगम्य है। इनकी भाषा में उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेजी के शब्द इस तरह प्रयुक्त हुए हैं मानो हिंदी के ही हों।

सरोज स्मृति

सरोज स्मृतिहिंदी में अपने ढंग का एकमात्र शोक काव्य है। कवि निराला द्वारा अपनी पुत्री की मृत्यु पर लिखी इस कविता में करुणा भाव की प्रधानता है। विराग भाव के बीच नीति, शृंगार और कभी-कभी व्यंग्य और हास्यमूलक प्रसंगों को पिरोना इसकी अनोखी विशिष्टता है। यह अपने ढंग की अकेली कविता है जिसमें निराला का अपना जीवन भी आ गया है।
सरोज स्मृतिकवि ने अपनी प्रिय पुत्री सरोज के बाल्यकाल से लेकर मृत्यु तक की घटनाओं को बङे प्रभावशाली ढंग से अंकित किया है। इसमें कवि ने सरोज की बाल्यावस्था, एवं तरुणाई के बङे ही मार्मिक और पवित्र चित्र अंकित किए हैं। इस कविता में एक भाग्यहीन पिता का संघर्ष, समाज से उसके संबंध, पुत्री के प्रति बहुत कुछ न कर पाने का अकर्मण्यता बोध भी प्रकट हुआ है। इस कविता के माध्यम से निराला का जीवन-संघर्ष भी प्रकट हुआ है।

 

SMILE 3.0  गृहकार्य  दिनांक 27 सितम्बर 2021

प्रश्न -1. 1. 'सरोज-स्मृति का काव्य रूप क्या है ?

उत्तर -  सरोज स्मृति सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का एक शोक गीत है। जिसमें कवि ने अपनी युवा कन्या सरोज की अकाल मृत्युपर अपने शोक संतप्त हृदय के उद्गार व्यक्त किए हैं। इस प्रसिद्ध लोकगीत में जीवन की पीड़ा और संघर्षों के हलाहल का पान करने वाले कविवर निराला के निजी जीवन के कुछ अंशों का उद्घाटन भी है।

प्रश्न -2 सरोज से कवि का क्या सम्बन्ध है ?

उत्तर -   पिता –पुत्री का सम्बन्ध

प्रश्न -3 आकाश बदल कर बना मही से क्या आशय है ?

उत्तर -  जब निराला ने  नव-वधु के रूप में अपनी पुत्री को देखा, तो उसे लगा जैसे उसकी पुत्री के सौंदर्य में वह कल्पनाएँ साकार हो गई हैं और धरती पर उतर आयी हैं। अत: आकाश को वह श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ तथा मही के रूप में अपनी पुत्री सरोज की ओर संकेत करता है।

प्रश्न -4 सरोज को माँ की कुल शिक्षा किसने दी ?

उत्तरनिराला स्वयं ने अपनी पुत्री का पालन पोषण किया था |

प्रश्न -5 दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूँ आज, जो नहीं कही। पंक्तियों में किसके जीवन की संघर्ष की झलक देखने को मिलती है ?

उत्तर -  कवि के अनुसार आज का समय दुख और निराशा से युक्त है। जीवन कठिन और संघर्षपूर्ण हो गया है। इसके लिए आवश्यक है कि मनुष्य संघर्ष के लिए तत्पर हो जाए। संघर्ष ही ऐसा मार्ग है जिसका हाथ पकड़कर कठिन समय से बाहर निकला जा सकता है।

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