यह रहा आपका कंटेंट आकर्षक ब्लॉग-पोस्ट स्टाइल में इमोजी के साथ, जिसे आप Blog / Notes / Website / Competitive Exam तैयारी में सीधे उपयोग कर सकते हैं ✨👇
🌺 राजस्थान के लोकदेवता : पाबूजी 🌺
राजस्थानी लोक साहित्य में पाबूजी को लक्ष्मण का अवतार माना जाता है 🙏।
✨ मेहर जाति के मुसलमान इन्हें पीर मानकर पूजते हैं।
🐪 इन्हें ऊँटों का देवता कहा जाता है और मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय भी इन्हीं को दिया जाता है।
🤍 ऊँटों के बीमार होने पर आज भी पाबूजी की पूजा की जाती है।
🔱 रायका / रेबारी समाज इन्हें अपना आराध्य देव मानता है।
📜 ‘नैणसी री ख्यात’ के अनुसार पाबूजी न केवल वीर थे, बल्कि समाजसेवक भी थे।
उन्होंने म्लेच्छ समझी जाने वाली थोरी जाति के सात भाइयों को आश्रय देकर समाज में सम्मान दिलाने का प्रयास किया।
🎶 इनके मुख्य अनुयायी थोरी जाति के लोग हैं, जो
👉 ‘पाबूजी री फड़’
👉 ‘पाबूजी रा पावड़ा’
गाकर इनके यश का प्रचार करते हैं।
👶 बाल्यकाल
📅 जन्म – 1239 ई.
📍 जन्म स्थान – कोलू गाँव, फलौदी तहसील (जोधपुर)
👨 पिता – धांधलजी राठौड़
👩 माता – कमला देवी
📖 इतिहासकार मुहणौत नैणसी, महाकवि मोडजी आशिया तथा लोक मान्यता के अनुसार
➡️ पाबूजी का जन्म खारी खाबड़ के जूना ग्राम में अप्सरा के गर्भ से हुआ था।
⚔️ वीरता गाथा
💍 पाबूजी का विवाह अमरकोट के शासक सूरजमल सोढ़ा की पुत्री
👉 सुपियार सोढ़ी (फुलम दे) से हुआ।
🐄 विवाह के समय ही उनके बहनोई
👉 जींदराव खींची (जायल, नागौर)
ने देवल चारणी की गायों को घेर लिया।
🙏 देवल चारणी की प्रार्थना पर
🔥 तीन फेरे लेकर, चौथे फेरे से पूर्व
🐎 केसर कालमी घोड़ी पर सवार होकर
पाबूजी गायों की रक्षा हेतु युद्ध के लिए निकल पड़े।
⚔️ भीषण संघर्ष में
📅 1276 ई.
📍 देचू गाँव (जोधपुर)
में उन्होंने वीरगति प्राप्त की।
🔥 उनकी पत्नी फुलम दे भी उनके साथ सती हो गईं।
➡️ वीरता, प्रतिज्ञापालन, त्याग, शरणागत-वत्सलता और गौ-रक्षा के कारण
जनमानस ने उन्हें लोकदेवता का स्थान दिया।
🎶 पाबूजी से संबंधित यशोगान रचनाएँ
📜 पाबूजी रा छन्द – बीठूसूजा की रचना
📜 पाबूजी रा दोहा – लघराज की रचना
📘 पाबूप्रकाश – मोडजी आशिया की रचना (जीवनी)
🎵 पाबूधणी री – थोरी जाति द्वारा सारंगी पर गाया जाने वाला यशोगान
🖼️ पाबूजी की फड़
👉 ऊँटों के स्वस्थ होने पर भोपे-भोपियों द्वारा गाई जाती है।
🥁 पाबूजी के पावड़े
👉 ‘माठ’ वाद्य यंत्र के साथ थोरी जाति द्वारा बांचे जाते हैं।
📌 पाबूजी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
🔹 अन्य नाम –
लक्ष्मण का अवतार, ऊँटों के देवता, गायों के देवता, प्लेग रक्षक देवता
📅 जन्म – 1239 ई.
📍 जन्म स्थान – कोलू गाँव (फलौदी, जोधपुर)
👨 पिता – धांधलजी राठौड़
👩 माता – कमला देवी
👩❤️👨 पत्नी – सुपियार सोढ़ी (फुलम दे)
🧬 कुल – धाँधलोत शाखा के राठौड़, राव सीहा के वंशज
🐎 घोड़ी – केसर कालमी (देवल चारणी द्वारा प्रदत्त)
⚔️ वीरगति – 1276 ई., देचू गाँव (जोधपुर)
🛕 मुख्य मंदिर – कोलू (फलौदी)
🎊 मेला –
📍 कोलू में चैत्र अमावस्या को पाबूजी का विशाल मेला लगता है।
🧱 पूजा प्रतीक
🛡️ भाला लिये अश्वारोही पाबूजी
👳♂️ बाईं ओर झुकी पाग (पगड़ी) – पहचान का विशेष प्रतीक
🖼️ फड़ वाद्य यंत्र – रावण हत्था
🎶 गीत – बयावले
📏 विशेष तथ्य –
👉 राजस्थान के सभी लोकदेवताओं में पाबूजी की फड़ सबसे छोटी मानी जाती है।
🔔 निष्कर्ष
पाबूजी केवल एक लोकदेवता नहीं, बल्कि
🐄 गौ-रक्षा,
🐪 ऊँटों की रक्षा,
⚔️ वीरता,
🤍 प्रतिज्ञापालन और त्याग
के अमर प्रतीक हैं।
राजस्थानी लोक आस्था में उनका स्थान अद्वितीय है 🙏✨