एक
दिन पत्नी का अच्छा मूड देख,
मौके का भरपूर फायदा उठाया,
बरसों
से दिमाग में उठते सवाल को,
बहुत हिम्मत से पत्नी के सामने उठाया।
मैंने
कहा, प्रिय एक राज की
बात बताना...
साफ बताना, कुछ भी तो न
छुपाना,
एक
सवाल करता हमें परेशान है..
इस बात से सारे मर्द बहुत हलकान है।
पत्नी
ने आँखे तरेरी, भौहें चढाई..
मैं डरा अब बस होने वाली है लड़ाई,
लेकिन
पत्नी ने कुछ दया दिखाई..
पूछने के लिए अपनी सहमति दर्शाई।
मैंने
कहा कि एक बात बताओ..
इस राज से पर्दा आज उठाओ।
नारियाँ
क्यों सदा एक ही पति चाहती है...?
सातों
जन्म उसी पति पर हक जताती है....?
क्या
हम इतने प्यारे हैं जो हम पर मरती हो....?
हमें
सदा पाने को सब इतने व्रत करती हो.....?
सुनकर
पत्नी कुटिलता से मुस्कुराई..... 😊
अपना मुंह खोलकर बतीसी चमकाई
बोली
आप ये क्या अनर्गल कह रहे हो.....?
कौन सी मूर्खों की दुनिया में रह रहे
हो?
मेरे
पिया ये प्यार नहीं "समझदारी" है
इसके पीछे ये ही सोच हमारी है
एक
जन्म में तुम्हे गधे से इंसान बनाया है
कूट- पीट के तुम्हे "जोरु का
गुलाम" बनाया है
अब
जो हर जन्म में नया पति पाएंगी...
तो उसे सुधारने में फिर जन्म गवाएंगी
ये
सोचकर ही हम वो ही पति चाहती हैं,
कैसा भी हो, सात जन्म उस पर
हक जताती हैं...
मैं
समझ गया
ये प्यार नहीं होशियारी है,
सदा
याद रखो नर पर नारी भारी है..!