google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 प्रिंट माध्यम के फीचर (समाचार और सम्पादकीय)कक्षा -11

प्रिंट माध्यम के फीचर (समाचार और सम्पादकीय)कक्षा -11

प्रिंट माध्यम के फीचर (समाचार और सम्पादकीय)कक्षा -11

 समाचार 

समाचार की कुछ परिभाषाएँ :

v  प्रेरक और उत्तेजित कर देने वाली हर सूचना समाचार है।

v  समय पर दी जाने वाली हर सूचना समाचार का रूप धारण कर लेती है।

v  किसी घटना की रिपोर्ट ही समाचार है।

v  समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है

v  समाचार किसी भी ऐसी ताज़ा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ रहा हो।

  v  महात्मा गाँधी –“समाचार पत्रों में बड़ी शक्ति है ठीक वैसी ही जैसी कि पानी के जबरदस्त प्रवाह में होती है ।“

  v  नेपोलियन  फ़्रांसिसी सेनानायक -“दस लाख संगीने मेरे भीतर वह खोप पैदा नही करती जो तीन छोटे अखबार”-

समाचार के तत्व :
समाचार के निम्नलिखित तत्व होते हैं 

v  नवीनता :- न्यूहै इसलिए न्यूज़है। किसी भी घटना, विचार या समस्या के समाचार बनने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वह नया यानी ताज़ा हो। डेडलाइन (समचार पत्र की समय-सीमा) 

v  निकटता- समाचार संगठन में किसी समाचार के महत्त्व का मूल्यांकन अर्थात उसे समाचार पत्र या बुलेटिन में शामिल किया जाएगा या नहीं, इसका निर्धारण इस आधार पर भी किया जाता है कि वह घटना उसके कवरेज क्षेत्र और पाठक/दर्शक/श्रोता समूह के कितने करीब है । 

v  प्रभाव-किसी घटना की तीव्रता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जाता है कि उससे कितने सारे लोग प्रभावित हो रहे हैं या कितने बड़े भू-भाग पर उसका असर हो रहा है। किसी घटना से जितने अधिक लोग प्रभावित होंगे, उसके समाचार बनने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।

v  जनरुचि-कोई भी घटना समाचार तभी बन सकती है, जब पाठकों या दर्शकों का एक बड़ा तबका उसके बारे में जानने में रुचि रखता हो। हर समाचार संगठन का अपना एक लक्ष्य समूह (टार्गेट ऑडिएंस) होता है और वह समाचार संगठन अपने पाठकों या श्रोताओं की रुचियों को ध्यान में रखकर समाचारों का चयन करता है। 

v  टकराव या संघर्ष-किसी घटना में टकराव या संघर्ष का पहलू होने पर उसके समाचार के रूप में चयन की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि लोगों में टकराव या संघर्ष के बारे में जानने की स्वाभाविक दिलचस्पी होती है ।

v  महत्त्वपूर्ण लोग -मशहूर और जाने-माने लोगों के बारे में जानने की आम पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं में स्वाभाविक इच्छा होती है।जैसे अगर प्रधानमंत्री को जुकाम भी हो जाए तो यह एक खबर होती है। इसी तरह किसी फ़िल्मी सितारे या क्रिकेट खिलाड़ी का विवाह भी खबर बन जाती है जबकि यह एक नितांत निजी आयोजन होता है।

v  उपयोगी जानकारियाँ-अनेक ऐसी सूचनाएँ भी समाचार मानी जाती हैं जिनका समाज के किसी विशेष तबके के लिए खास महत्त्व हो सकता है। ये लोगों की तात्कालिक उपयोग की सूचनाएँ भी हो सकती हैं। मसलन स्कूल कब खुलेंगे, किसी खास कॉलोनी में बिजली कब बंद रहेगी. पानी का दबाव कैसा रहेगा, वहाँ का मौसम कैसा रहेगा आदि। 

v  अनोखापन-अनहोनी घटनाएँ समाचार होती हैं। लोग इनके बारे में जानना चाहते हैं लेकिन समाचार मीडिया को इस तरह की घटनाओं के संदर्भ में काफ़ी सजगता बरतनी चाहिए अन्यथा कई मौकों पर यह देखा गया है कि इस तरह के समाचारों ने लोगों में अवैज्ञानिक सोच और अंधविश्वास को जन्म दिया है।

v  पाठक वर्ग-आमतौर पर हर समाचार संगठन से प्रकाशित-प्रसारित होने वाले समाचार पत्र और रेडियो/टी०वी० चैनलों का एक खास पाठक/ दर्शक/श्रोता वर्ग होता है।

v  नीतिगत ढाँचा-विभिन्न समाचार संगठनों की समाचारों के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक नीति होती है। इस नीति को संपादकीय नीतिभी कहते हैं। संपादकीय नीति का निर्धारण संपादक या समाचार संगठन के मालिक करते हैं।

समाचार लेखन के लिए छह ककार- क्या ,किसके, कहाँ, कब,क्यों,और कैसे

v  समाचार लेखन के लिए छह सूचनाओं का प्रयोग किया जाता है।

v  इनमें से प्रथम चार ककार (क्या, कब, कौन, कहाँ) सूचनात्मक व अन्तिम दो ककार (क्यों, कैसे) विवरणात्मक होते हैं।

v  समाचार को प्रभावी एवं पूर्ण बनाने के लिए ही इन छह ककारों का प्रयोग किया जाता है।

v  प्रथम चार ककार समाचार का इण्ट्रो (मुखड़ा) व अन्तिम दो ककार बॉडी व समापन को निर्माण करते हैं।

पत्रकारिता की बैसाखियाँ

  v  पहली बैसाखी –सच्चाई

  v  दूसरी बैसाखी-संतुलन

  v  तीसरी बैसाखी- निष्पक्षता

  v  चोथी बैसाखीनिस-स्पष्टता

  v  पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। 

पत्रकार तीन तरह के

1. पूर्णकालिक- समाचार संगठन में काम करने वाला नियमित वेतन भोगी कर्मचारी

2. अंशकालिक –एक निश्चित मानदेय पर कार्य करने वाला पत्रकार

3. फ्रीलांसर /स्वतंत्र - फ्रीलांस पत्रकार से आशय ऐसे स्वतंत्र पत्रकार से है जो किसी विशेष समाचार पत्र या पत्रिका से जुड़ा नहीं होता या उसका कर्मचारी नहीं होता। वह अपनी इच्छा से किसी समाचार पत्र को लेख या फ़ीचर प्रकाशन के लिए देता है जिसके प्रकाशन पर उसे पारिश्रमिक मिलता है।

नोट :- अखबारों में समाचार पूर्णकालिक और अंशकालिक पत्रकार लिखते है जिन्हें संवाददाता /रिपोर्टर भी कहते है

पत्रकारिता के प्रकार

खोजपरक पत्रकारिता

  v  खोजपरक पत्रकारिता से आशय ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें गहराई से छान-बीन करके ऐसे तथ्यों और सूचनाओं को सामने लाने की कोशिश की जाती है जिन्हें दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो।

  v  आमतौर पर खोजी पत्रकारिता सार्वजनिक महत्त्व के मामलों में भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को सामने लाने की कोशिश करती है।

  v  खोजी पत्रकारिता का उपयोग उन्हीं स्थितियों में किया जाता है जब यह लगने लगे कि सचाई को सामने लाने के लिए और कोई उपाय नहीं रह गया है।

v  खोजी पत्रकारिता का ही एक नया रूप टेलीविज़न में स्टिंग ऑपरेशन के रूप में सामने आया है।

विशेषीकृत पत्रकारिता :

  v   पत्रकारिता में विषय के हिसाब से विशेषता के सात प्रमुख क्षेत्र हैं।

  v  इनमें संसदीय पत्रकारिता, न्यायालय पत्रकारिता, आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, विज्ञान और विकास पत्रकारिता, अपराध पत्रकारिता तथा फ़ैशन और फ़िल्म पत्रकारिता शामिल हैं।

वॉचडॉग पत्रकारिता :

  v  लोकतंत्र में पत्रकारिता और समाचार मीडिया का मुख्य उत्तरदायित्व सरकार के कामकाज पर निगाह रखना है
और कहीं भी कोई गड़बड़ी हो तो उसका परदाफ़ाश करना है।

  v  इसे परंपरागत रूप से वॉचडॉग पत्रकारिता कहा जाता है। 

एडवोकेसी पत्रकारिता :

  v  किसी खास उद्देश्य या मुद्दे को उठाकर आगे बढ़ते हैं और उस विचारधारा या उद्देश्य या मुद्दे के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार और ज़ोर-शोर से अभियान चलाते हैं।

  v   इस तरह की पत्रकारिता को पक्षधर या एडवोकेसी पत्रकारिता कहा जाता है। 

v  उदाहरण के लिए जेसिका लाल हत्याकांड में न्याय के लिए समाचार माध्यमों ने सक्रिय अभियान चलाया।

वैकल्पिक पत्रकारिता :

  v  स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसके अनुकूल सोच को अभिव्यक्त करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। 

अच्छे लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बाते :-

  v  वाक्य छोटे लिखे

  v  आम-बोलचाल की भाषा और शब्दों का इस्तेमाल

  v  अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढना भी बहुत जरूरी है


पत्रकारिता का महत्व

  v  देश –विदेश की गतिविधियों की जानकारी

  v  जनसामान्य को उसके कर्तव्य और अधिकारों की जानकारी

  v  रोजगार के अवसर तलासने में सहायक

  v  राष्ट्रीय चेतना का सशक्त आधार

  v  युगीन समस्याओं से जनता को जोड़ना

  v  मानव कल्याण की प्रेरणा

कार्टून कोना

  v  कार्टून कोना लगभग हर समाचारपत्र में होता है और उनके माध्यम से की गई सटीक टिप्पणियाँ पाठक को छूती हैं।

  v  एक तरह से कार्टून पहले पन्ने पर प्रकाशित होने वाले हस्ताक्षरित संपादकीय हैं।

  v  इनकी चुटीली टिप्पणियाँ कई बार कड़े और धारदार संपादकीय से भी अधिक प्रभावी होती हैं।

पेज थी पत्रकारिता-

  v  पेज थ्री पत्रकारिता का तात्पर्य ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें फ़ैशन, अमीरों की पार्टियों, महफ़िलों और जाने-माने लोगों (सेलीब्रिटी) के निजी जीवन के बारे में बताया जाता है।

  v  यह आमतौर पर समाचार पत्रों के पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होती रही है।

  v  इसलिए इसे पेज थ्री पत्रकारिता कहते हैं। हालाँकि अब यह ज़रूरी नहीं है कि यह पृष्ठ तीन पर ही प्रकाशित होती हो, लेकिन इस पत्रकारिता के तहत अब भी ज़ोर उन्हीं विषयों पर है।

न्यूज़पेग-

  v  न्यूज़पेग का अर्थ है किसी मुद्दे पर लिखे जा रहे लेख या फ़ीचर में उस ताज़ा घटना का उल्लेख, जिसके कारण वह मुद्दा चर्चा में आ गया है।

  v  जैसे अगर आप माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाओं में सरकारी स्कूलों के बेहतर हो रहे प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट लिख रहे हैं तो उसका न्यूज़पेग सीबीएसई का ताज़ा परीक्षा परिणाम होगा।

डेडलाइन-

  v  समाचार माध्यमों में किसी समाचार को प्रकाशित या प्रसारित होने के लिए पहुँचने की आखिरी समय-सीमा को डेडलाइन कहते हैं।

  v  अगर कोई समाचार डेडलाइन निकलने के बाद मिलता है तो आमतौर पर उसके प्रकाशित या प्रसारित होने की संभावना कम हो जाती है।

पीत पत्रकारिता (येलो जर्नलिज़्म)-

  v  यह पत्रकारिता सनसनी फैलाने का कार्य करती है।

  v  उस समय के प्रमुख समाचार पत्रों ने पाठकों को लुभाने के लिए झूठी अफ़वाहों, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोपों, प्रेम संबंधों, भंडाफोड़ और फ़िल्मी गपशप को समाचार की तरह प्रकाशित किया। उसमें तत्व अहम था।

 

संपादकीय

  v  संपादकीयका सामान्य अर्थ है-समाचार-पत्र के संपादक के अपने विचार।

  v   संपादकीय पृष्ठ को समाचार-पत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण पृष्ठ माना जाता है।                                                             vसंपादकीय को अख़बार की आवाज /अख़बार की आत्मा

  v   संपादकीय के जरिये अखबार विभिन्न घटनाओं और समाचारों पर अपनी राय रखता है। इसे संपादकीय कहा जाता है।  

   v  संपादकीय किसी व्यक्ति विशेष का विचार नही होता इसलिए इसे किसी के नाम के साथ नही छापा जाता है ।

संपादन

v  संपादन का अर्थ है किसी सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना।

v  एक उपसंपादक अपने रिपोर्टर की खबर को ध्यान से पढ़ता है और उसकी भाषा-शैली, व्याकरण, वर्तनी तथा तथ्य संबंधी अशुद्धियों को दूर करता है।

v  वह उस खबर के महत्त्व के अनुसार उसे काटता-छाँटता है और उसे कितनी और कहाँ जगह दी जाए, यह तय करता है।

 

संपादन के सिद्धांत 

v  तथ्यों की शुद्धता (एक्युरेसी)- एक आदर्श रूप में मीडिया और पत्रकारिता यथार्थ या वास्तविकता का प्रतिबिंब है,अत: तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत नही किया जाना चाहिए ।

v  वस्तुपरकता (ऑब्जेक्टीविटी)- वस्तुपरकता का तकाज़ा यही है कि एक पत्रकार समाचार के लिए तथ्यों का संकलन और उसे प्रस्तुत करते हुए अपने आकलन को अपनी धारणाओं या विचारों से प्रभावित न होने दे।

v  निष्पक्षता (फ़ेयरनेस)- एक पत्रकार के लिए निष्पक्ष होना भी बहुत ज़रूरी है। उसकी निष्पक्षता से ही उसके समाचार संगठन की साख बनती है। 

v  संतुलन (बैलेंस)- समाचार को किसी एक पक्ष में झुका नही होना चाहिए दोनों पक्षों की बात बराबर होनी चाहिए

v  स्रोत (सोर्सिंग-एट्रीब्यूशन)- जानकारी का स्रोत होना आवश्यक है

 

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