Pharmacy /फार्मेसी फील्ड में हैं शानदार भविष्य,ये कोर्स कर लिया तो रोजगार के सेकड़ो अवसर होंगे आपके पास

Pharmacy /फार्मेसी फील्ड में हैं शानदार भविष्य,ये कोर्स कर लिया तो रोजगार के सेकड़ो अवसर होंगे आपके पास

Pharmacy /फार्मेसी फील्ड में हैं शानदार भविष्य,ये कोर्स कर लिया तो  रोजगार के सेकड़ो अवसर होंगे आपके पास   

कोविड-19 संकट में फार्मा सेक्टर का महत्त्व हम सभी ने देखा है। लोगों के स्वास्थ्य के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा है फार्मा सेक्टर। और  वर्तमान में  फार्मा सेक्टर को खास विकसित करने के लिए भारत सरकार /राज्य सरकारों  की ओर से भी कई स्वास्थ्य सम्न्धित योजनाएं जेसे आयुष्मान भारत,चिरंजीव योजना, RGHS जेसी कई शानदार योजनाए  चलाई जा रही हैं। इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार के  सुनहरे अवसर है ,अगर आप इस क्षेत्र में रूचि रखते है तो आपका भविष्य सुनहरा हो सकता है !

 आज की इस पोस्ट में फार्मा सेक्टर में रोजगार के विकल्प/ फार्मा सेक्टर कोर्स करने सम्न्धित  सम्पूर्ण  प्रक्रिया को लेकर आपके सारी जिज्ञासा का  समाधान करने का प्रयास किया गया है !


फार्मा सेक्टर का भविष्य

भारत फार्मा सेक्टर में अग्रणी देशों में से एक में शुमार किया जाता है। भविष्य में इसे और विकसित करने की कई योजनाएं भी हैं।इस समय तेजी से बढ़ रहे हेल्थकेयर सेक्टर में फार्मा क्षेत्र अग्रणी है। कोविड-19 संकट हो या कि सामान्य समय, असाधारण रोगों, आपदाओं या स्वास्थ्य रक्षा के लिए फार्मा सेक्टर की जरूरत कभी खत्म नहीं होने वाली।

                                  वर्तमान स्थितियां चिकित्सीय परीक्षणों और दवाई उत्पादन के एक नए दौर की शुरुआत के तौर भी देखी जा रही हैं। पिछले वर्ष भारत ने कई देशों में दवाइयों का निर्यात करके दुनिया में खुद को फार्मेसी हब के रूप में स्थापित भी किया

शैक्षिक योग्यता और कोर्स

अगर आप फार्मेसी में कैरियर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको Pharmacy से रिलेटेड कोर्स करने की जरूरत होगी। Pharmacy me career banane के लिए आप फार्मा सेक्टर के लिए जरूरी है कि छात्र ने दसवीं के बाद बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री या फिर मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री ग्रुप से 12वीं की हो।

                                    फार्मेसी के डिप्लोमा या बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश बारहवीं में प्राप्त अंकों / कट ऑफ लिस्ट या प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। दो वर्षीय डिप्लोमा हासिल करने के बाद आपके पास दवा की दुकान खालने का विकल्प तो होता ही है, आगे पढ़ाई जारी रखने का भी विकल्प बाकी रहता है।

     ·      D pharma (डिप्लोमा इन फार्मेसी )

     ·       B Pharma (बैचलर इन फार्मेसी )

     ·      BPT (बैचलर ऑफ फिजियोथेरपी)

     ·      M Pharma (मास्टर ऑफ फार्मेसी): 


  D pharma (डिप्लोमा इन फार्मेसी): यह दो वर्षीय (चार सेमेस्टर का) डिप्लोमा कोर्स है। इसके लिए स्टूडेंट्स को साइंस स्ट्रीम में 12वीं पास होना चाहिए।
  B Pharma (बैचलर ऑफ फार्मेसी): यह चार वर्षीय (आठ सेमेस्टर का) अंडरग्रैजुएट कोर्स है। इसके लिए स्टूडेंट्स को साइंस स्ट्रीम में 12वीं पास होना चाहिए।
  BPT (बैचलर ऑफ फिजियोथेरपी): यह चार वर्षीय (आठ सेमेस्टर का) ग्रैजुएशन कोर्स है। इसके साथ ही छह माह की जरूरी क्लिनिकल इंटर्नशिप भी करनी होती है। इसके लिए स्टूडेंट्स को साइंस स्ट्रीम में 12वीं पास होना चाहिए।

  M Pharma (मास्टर ऑफ फार्मेसी): यह दो वर्षीय पोस्टग्रैजुएट कोर्स है। इसके लिए स्टूडेंट्स को बीफार्मा होना चाहिए।

 Pharmacy कोर्स की फीस- 

सरकारी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में D Pharma या B Pharma कोर्स की फीस बहुत कम होती है। वंही प्राइवेट कॉलेज में इस कोर्स की फीस 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये प्रतिवर्ष होती है।

Pharmacy के अलावा अन्य कोर्स/ विकल्प
फार्मा रिसर्च में स्पेशलाइजेशन के लिए छात्र  NIPER यानी नैशनल इंस्टिटयूट ऑफ फार्मा एजुकेशन ऐंड रिसर्च जैसे संस्थानों में प्रवेश ले सकते हैं। पीजी डिप्लोमा इन फार्मासूटिकल एवं हेल्थ केयर मार्केटिंग, डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग, अडवांस डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग एवं पीजी डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग जैसे कोर्स भी हैं जिनकी अवधि छह माह से एक वर्ष के बीच है। इनमें प्रवेश के लिए एलिजिबिलटी बीएससी, बीफार्मा अथवा डीफार्मा (कोर्स के अनुसार) है।

फार्मा सेक्टर scope
हॉस्पिटल फार्मेसी, क्लिनिकल फार्मेसी, टेक्निकल फार्मेसी, रिसर्च एजेंसीज, मेडिकल डिस्पेंसिंग स्टोर, सेल्स ऐंड मार्केटिंग डिपार्टमेंट, एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स, हेल्थ सेंटर्स, मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव, क्लिनिकल रिसर्चर, मार्किट रिसर्च ऐनालिस्ट, मेडिकल राइटर, ऐनालिटिकल केमिस्ट, फार्मासिस्ट, ऑन्कॉलजिस्ट, रेग्युलेटरी मैनेजर


फार्मा सेक्टर में करियर ऑप्शंस
Research and Development /अनुसंधान और विकास: -फार्मा सेक्टर का दायरा भी काफी व्यापक है। यहां नई-नई दवाइयों की खोज व विकास संबंधी कार्य किया जा सकता है। जेनेरिक उत्पादों के विकास, एपीआई (ऐक्टिव फार्मासूटिकल इन्ग्रेडिएंट्स) या बल्क ड्रग आरऐंडडी जैसी श्रेणियों में बांटा जा सकता हैं।

Clinical Research/ नैदानिक ​​अनुसंधान
इसके तहत नई लॉन्च मेडिसिन के बारे में रिसर्च होती है कि वह कितनी सुरक्षित और असरदार है। इसके लिए क्लिनिकल ट्रॉयल होता है। देश में कई विदेशी कंपनियां क्लिनिकल रिसर्च के लिए आ रही हैं। दवाइयों की स्क्रीनिंग संबंधी काम में नई दवाओं या फॉर्मुलेशन का पशु मॉडलों पर परीक्षण करना या क्लिनिकल रिसर्च करना शामिल है।

Quality Control/ गुणवत्ता नियंत्रण

फार्मासूटिकल इंडस्ट्री का यह एक अहम कार्य है। नई दवाओं के संबंध में अनुसंधान व विकास के अलावा यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत होती है कि इन दवाइयों के जो नतीजे बताए जा रहे हैं, वे सुरक्षित, स्थायी और आशा के अनुरूप हैं।

Drug Manufacturing/ दवा निर्माण

इस क्षेत्र में मॉलिक्युलर बायॉलजिस्ट, फार्मेकॉलजिस्ट, टॉक्सिकॉलजिस्ट या मेडिकल इंवेस्टिगेटर बन सकते हैं। मॉलिक्युलर बायॉलजिस्ट जीन संरचना और मेडिकल व ड्रग रिसर्च में प्रोटीन के इस्तेमाल का अध्ययन करता है। फार्मेकॉलजिस्ट इंसान के अंगों व ऊतकों पर दवाइयों के प्रभाव का अध्ययन करता है। टॉक्सिकॉलजिस्ट दवाओं के नेगेटिव इफेक्ट को मापने के लिए टेस्टिंग करता है। मेडिकल इंवेस्टिगेटर नई दवाइयों के विकास व टेस्टिंग की प्रक्रिया से जुड़ा होता है।
Pharmacist/फार्मासिस्ट
हॉस्पिटल फार्मासिस्ट्स पर दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण, स्टॉकिंग और वितरण का जिम्मा होता है, जबकि रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को एक बिजनेस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार चलाने में समर्थ होना चाहिए।

Branding & Sales/ ब्रांडिंग और बिक्री
फार्मेसी की डिग्री के बाद स्टुडेंट ड्रग्स व मेडिसिन के सेल्स ऐंड मार्केटिंग में करियर बना सकता है। मार्केटिंग प्रफेशनल्स उत्पाद की बिक्री के अलावा बाजार की प्रतिस्पर्धा पर भी नजर रखते हैं कि किस प्रॉडक्ट के लिए बाजार में ज्यादा संभावनाएं हैं, जिसके मुताबिक प्लानिंग की जाती है।

Medical investigator/ चिकित्सा अन्वेषक
यह नई दवाइयों के टेस्टिंग व डिवेलपमेंट की प्रक्रिया से रिलेटिड है। हॉस्पिटल फार्मासिस्ट पर मेडिसिन व अन्य मेडिकल रिलेटिड सामग्रियों के स्टॉकिंग और डिस्ट्रिब्यूशन का जिम्मा होता है। रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को बिजनस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार करना होता है।

Registered Pharmacist/ पंजीकृत फार्मासिस्ट

विदेशों में फार्मासिस्ट को रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट कहा जाता है। जिस तरह डॉक्टरों को प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है, उसी तरह इन्हें भी फार्मेसी में प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस चाहिए। उन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए एक टेस्ट पास करना होता है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस विषय में ट्रेनिंग के लिए 'फार्मा डी' नामक एक छह साल का कोर्स शुरू किया है।

फार्मेसी की डिग्री के बाद क्या होगी सैलरी
आमतौर पर ट्रेनिंग के तुरंत बाद नियुक्ति में फार्मासिस्ट को लगभग 25 हजार रुपये महीने मिलते हैं। शोध के क्षेत्र में 40 हजार रुपये तक सैलरी मिल सकती है। उत्पादन इकाइयों में अच्छा पैकेज मिलता है और स्वतंत्र रूप से भी काम कर सकते हैं।

सही कॉलेज का चयन कैसे चुनें ?

किसी भी फार्मेसी कॉलेज में दाखिला लें, तो बस इतना ध्यान रखें कि जंहा भी एडमिशन लें वो कॉलेज फार्मेसी कॉउन्सिल ऑफ इंडिया (PCI) से पंजीकृत हो| फार्मेसी कॉउन्सिल ऑफ इंडिया की साईट पर काउंसिल से मान्यताप्राप्त सभी कॉलेज की सूची मिल जाएगी।

प्रमुख फार्मेसी कॉलेज इंस्टिट्यूट्स

·       कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
·       गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, न्यू दिल्ली
·       महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक
·       गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा
·       नैशनल इंस्टिटयूट ऑफ फॉर्मासूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, मोहाली, पंजाब
·       नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मासूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ़
·       यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मासूटिकल साइंसेज, चंडीगढ़
·       बॉम्बे कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, मुंबई
·       इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नॉलजी, मुंबई

इनके अलाव भी बहुत से pharmacy के सरकारी और प्राइवेट कॉलेज हैं, आप वंहा से भी फार्मेसी कोर्स कर सकते हैं।

  • बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी 
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, बीएचयू, वाराणसी 
  • इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी, सी.एस.जे.एम. यूनिवर्सिटी, कानपुर 
  • महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ोदा, वड़ोदरा, गुजरात 
  • एल.एम. कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, अहमदाबाद, गुजरात 
  • कॉलेज ऑफ फार्मासूटिकल साइंसेज, विशाखापट्टनम्, आंध्र प्रदेश 
  • कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली 
  • गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, न्यू दिल्ली 
  • महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक 
  • गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा 
  • नैशनल इंस्टिटयूट ऑफ फॉर्मासूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, मोहाली, पंजाब 
  • नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मासूटिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ़ 
  • यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मासूटिकल साइंसेज, चंडीगढ़ 
  • बॉम्बे कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, मुंबई 
  • इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नॉलजी, मुंबई 
  • पूना कॉलेज ऑफ फार्मेसी, पुणे 
  • राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी, नागपुर 
  • बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी, पिलानी (राजस्थान) 
  • गर्वनमेंट मेडिकल कॉलेज, तिरुअनंतपुरम्, केरल 
  • राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस, बेंगलुरु, कर्नाटक 
  • आचार्या ऐंड बी.एम. रेड्डी कॉलेज ऑफ फार्मासी, बेंगलुरु, कर्नाटक 
  • मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई, तमिलनाडु 
  • जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी, द नीलगिरिस, तमिलनाडु 
  • अल-अमीन कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बेंगलुरु, कर्नाटक 
  • मनिपाल कॉलेज ऑफ फार्मासूटिकल साइंसेज, मनिपाल, कर्नाटक 
  • मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई, तमिलनाडु 

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