संयुक्त राष्ट्र का वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रारूप, 2022 हाल ही में जारी किया गया है। इससे पता चलता है कि अगले वर्ष तक भारत की जनसंख्या चीन से भी आगे निकल जाएगी।
भारत की वर्तमान जनसंख्या 1.4 अरब है, जिसके 2050 तक 1.67 अरब तक हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके मद्देनजर नीति निर्माताओं को विकास दर को संबोधित करने के साथ ही अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देना जरूरी होगा –
- पूरे भारत में कुल प्रजनन दर को 2.1 की प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) दर तक लाने के लिए जागरूकता लाने का प्रयास किया जाना है।
- भारत की आबादी की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, नहीं तो भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश अभिशाप में बदल सकता है।
- पांच राज्यों की कुल प्रजनन दर का अधिक होना मातृत्व बाल विकास के लिए चुनौती बना हुआ है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 2015-16 में 2.2 रही कुल प्रजनन दर 2019-21 में घटकर 2 रह गई है। परंतु ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या स्थिरीकरण में भिन्नता है। व्यापक परिणाम के लिए जनसंख्या में सुधार के प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाने का समय आ गया है। इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, लैंगिक समानता और सुविधाओं तक पहुंच जैसे मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता होगी।
- पर्यावरण की सुरक्षा, प्रदूषण से मुक्ति, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के संरक्षण पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर इन कारकों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे आबादी की उत्पादकता प्रभावित होगी।
- मानव गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए बेहतर प्रशासन भी एक महत्वपूर्ण कारक है।
यह व्यापक परिदृश्य पर काम करने का समय है। संख्या की अपनी शक्ति हो सकती है, परंतु गुणवत्ता से वह बहुत अधिक लाभकारी हो सकती है।