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Tribal Day: 9 अगस्त
को विश्व आदिवासी दिवस, जानिए
इतिहास
भारत में आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को
प्रदर्शित करने वाले विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस दिन का उपयोग
स्वदेशी लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों, जैसे भूमि अधिकार और सांस्कृतिक संरक्षण के बारे में
जागरूकता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. आदिवासी दिवस समाज में स्वदेशी लोगों के
महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करता है, विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण, टिकाऊ जीवन और जैव विविधता में.
विश्व आदिवासी दिवस 2024 की थीम
प्रत्येक वर्ष, यूनेस्को वार्षिक थीम से
संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों पर जानकारी साझा करके दिवस का जश्न मनाता है. 9 अगस्त 2024 को विश्व के स्वदेशी लोगों का
यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक
संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा’ पर केंद्रित है.
आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत
आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को और सशक्त
बनाने के लिए आज 9 अगस्त को 42 साल
पहले संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने विश्व आदिवासी
दिवस (International Day of the World's Indigenous
Peoples) घोषित
किया था. आज का यह दिन दुनिया भर के करीब 90 से अधिक
देशों में निवास करने वाले जनजाति आदिवासियों को समर्पित है, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों और
अस्तित्व के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है.
विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत
साल 1982 में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा
ने आदिवासी लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया था. आदिवासी समुदाय सदियों
से सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का
सामना कर रहा है. इस दिन को मनाकर हम आदिवासियों के योगदान को याद करते हैं और
उनके अधिकारों के लिए काम करने का संकल्प लेते हैं.
मानगढ़ धाम से हुए थे राज्य स्तरीय समारोह
गत कांग्रेस सरकार
द्वारा विश्व आदिवासी दिवस पर समाज को अधिक सम्मान मिले इसके लिए 9 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया
था और पहला राज्य स्तरीय समारोह बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम पर आयोजित किया गया
था, जिसके बाद से हर साल प्रदेश के
बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर सहित अन्य जिलों में बड़े स्तर
पर विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन परंपरा रुप से मनाया जाता आ रहा है.