बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने कार्यों को पूरा करने के लिए दिन भर मेहनत करते हैं, परन्तु तब भी उनके कार्य अधूरे रह जाते हैं। जब उनसे कारण पूछा जाता है, तो उत्तर मिलता है कि समय कम मिल पाता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने कार्य पूर्ण करते हैं और सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। अगर ऐसे लोगों से उनकी सफलता का कारण पूछा जाए, तो उनका उत्तर होता है कि ‘कार्यों की प्राथमिकता सुनिश्चित करते हैं’, जिसे कि टाइम मैनेजमेंट कहते हैं। अक्सर देखा जाता है कि समय का अभाव उनके पास नहीं होता है, जो लोग व्यस्त होते हैं, अपितु समय का अभाव उनके पास होता है, जो अस्त-व्यस्त होते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिनके पास रत्ती भर काम नहीं है, पर फिर भी उन्हें क्षण भर की फुर्सत नहीं है। ऐसे लोगों को कार्य करने का कोई लाभ नहीं मिलता और जीवन भी असंतुलित रहता है। इसलिए कहा गया है कि व्यस्त रहिए मस्त रहिए, क्योंकि अगर अस्त-व्यस्त रहेंगे तो त्रस्त रहेंगे। व्यस्त रहना बुरी बात नहीं, बल्कि अच्छी बात है। अपने कार्यों को मन लगा कर व्यवस्थित रूप से करना सबसे जरूरी है। ऐसा करना तब ही संभव है जब हर कार्य को प्राथमिकता के साथ जोड़ कर किया जाएगा। इससे हर कार्य एक सुनिश्चित समय में हो पाएगा। जब तक हम अपनी प्राथमिकताओं को तय नहीं करेंगे, तब तक हम टाइम मैनेजमेंट नहीं कर पाएंगे।