google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बगड़ावत देवनारायण फड़- भाग 9

बगड़ावत देवनारायण फड़- भाग 9


रानी जयमती की तलाश पार्ट -2
साडू माता कहती है कि मैं आपकी दारु यहीं मंगवा देती हूं। राण में दारु पीने मत जाओ। मैं प्याले भर यहीं पिला दूंगी। तो नियाजी फिर कहते हैं कि वचन दिया हुआ है, जाना तो पडेगा। साडू माता बगड़ावतों को जाने के लिए बार-बार मना करती हैं। साडू माता कहती है कि पर नारी को अंग लगाना अच्छा नहीं है। रावण चाहे कतना ही बलवान था मगर सीता हरण करने से उसका भी अंत हो गया। जयमती रावजी की स्री है। पर-नारी को आप भी मत लाओ नहीं तो अन्जाम बुरा होगा। साडू माता नियाजी को बताती है कि मैंने सपना देखा है कि खारी नदी के ऊपर घमासान युद्ध हो रहा है। कटे हुए माथों का ढेर लगा हुआ है। मेरी आखों से आंसू आ रहे हैं। सा माता कहती है कि मैंने भवानी को मुण्ड माला धारण किये हुए खारी नदी के घाट पर बैठे देखा है। इस पर नियाजी कहते हैं कि माताजी सपना तो झूठा होता है, सपने पर क्या यकीन करना। जब बगड़ावत साडू माता के बहुत समझाने पर भी नहीं मानते हैं तो साडू माता बगड़ावतों के गुरुजी को एक पत्र लिखती है कि गुरुजी आप के चेले गलत राह पर जा रहे हैं। आप आकर इन्हें समझाओ। बाबा रुपनाथजी पत्र का जवाब देते हैं कि साडू माता रानी को तो जरुर लाना है। नियाजी बाबा रुपनाथजी का पत्र पढ कर सबको सुनाते हैं बगड़ावतों के यहां रणजीत नगाड़ा बजने लगता है। माता साडू कहती है, बाबाजी को तो आग बुझाने के लिये कहा था इन्होंने तो और आग लगा दी है। नियाजी रानी जयमती की सुन्दरता का वर्णन साडू माता के सामने करते हैं। उनके श्रृंगार और रुप के बारे में बताते हुए उन्हें रानी पद्मनी की उपमा देते हैं। इस पर सा माता नियाजी से कहती है कि आप जाओ और रानी को लेकर आओ मैं नई रानी को अपनी बहन के जैसे समझूंगी और उसे लेकर आओगे तो उसकी आरती उतारकर हंसी-खुशी उसका स्वागत कर्रूंगी। दूसरी सभी रानियाँ साडू माता से कहती हैं कि रानी जयमती है तो बहुत खूबसूरत लेकिन है तो दूसरे की औरत।बगड़ावत राण जाने के लिए अपने घोड़ों का श्रृंगार करते हैं। सवाई भोज हीरों-पन्नों और सोने के जेवरों से सजी हुई बुली घोड़ी पर सवार होकर निकलते हैं। साडू माता बगड़ावतों को शाम के वक्त जाने के लिए मना करती है और सुबह जाने का आग्रह कहती हैं। नियाजी कहते हैं कि जाना तो है ही, आप हमारी वापसी के लिए शगुन करना और अब हमें आज्ञा दो। साडू माता की अनुमति के बाद सभी भाई घोड़ों को नचाते हुए सवार होकर गांव के बाहर इकट्ठे होते हैं और देखते हैं सभी भाई आ गये मगर तेजाजी नहीं आये। नियाजी तेजाजी को परवाना लिखते हैं कि तेजाजी आप पत्र पढ़ते ही जल्दी आ जाना हम आप पर आंच भी नहीं आने देंगे। आपको सुरक्षित वापस लायेगें। आप नहीं आये तो आपका सिर काटकर साथ ले जायेगें। समाचार सुनकर तेजाजी अपने घोड़े पर सवार होकर अपने भाइयों के साथ आ जाते हैं। और सारे बगड़ावत भाई रानी को लेने के लिए राठौड़ा की पाल पर पहुंचते हैं।
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