रानी
जयमती के लिये बनाया गया नया महल बनकर तैयार होता है, रानी
जयमती महलों में रहने आ जाती है। जब रावजी अपनी नई रानी जयमती के पास रात को सोने आते
हैं, रानी उनके साथ चौपड़ पासा खेलती है और अपनी माया से रावजी को
मुर्गा बना देती है और हीरा को बिल्ली बना देती है। रात भर मुर्गा बने रावजी
बिल्ली से बचने से लिये इधर-उधर भागते, छिपते
रहते हैं। ऐसा क्रम कई दिनों तक चलता रहता है। एक दिन रावजी के छोटे भाई नीमदेजी से
पूछते हैं कि भाईसा नई रानी में इतना मग्न हो गये हो कि आपकी आंखे इतनी लाल हो गई
हैं, क्या रात भर सोये नहीं थे ? रावजी
कहते हैं कि नीमदे लगता है महल में कोई भूत प्रेत हैं जो रात भर मेरे पीछे बिल्ली
बनकर घूमता रहता है और मुझे डराता है।
इधर राण
में जयमती (भवानी) हीरा से पूछती है कि बगड़ावत आ गये क्या? हीरा जवाब देती है कि मुझे नहीं लगता
कि वो आऐगें। जयमती कहती है बादलो में बिजली चमक रही है। बगड़ावतों के भाले चमक रहे
हैं, बगड़ावत आ रहे होंगे । हीरा कहती है बाईसा मेरे को ऐसा कुछ
नहीं दिखाई दे रहा है।
बगड़ाबत
राण में रानी को लेने आ जाते हैं और नौलखा बाग में ठहरते हैं। सवाई भोज बकरियों की
पाली बनाकर रानी के महलों के पिछवाड़े उन्हें चराने निकल जाते हैं और रानी जयमती को
संकेत कर देते हैं कि हम आपको लेने आ गये हैं।
जैसे ही
रानी जयमती को बगड़ावतों के आने की सूचना मिलती है रानी जयमती अपनी माया से अपने
पसीने का सूअर बनाकर नौलखा बाग के पास छोड़ देती है। नियाजी की निगाह जब उस पर पड़ती
है तो वह उसका शिकार कर लेते हैं।
वहां
नौलखा बाग में नियाजी और नीमदेवजी की फिर से मुलाकात होती है। नीमदेवजी रावजी के
पास जाकर बगड़ावतों के आने की खबर देते हैं।
इधर रानी
जयमती हीरा को कहती है की जाकर पता करो सवाई भोज के क्या हाल हैं। जब हीरा जाने के
लिए मना करती है तो जयमती हीरा को लालच देती है और अपने सारे गहने हीरा को पहनने
के लिये देती है। हीरा कहती है ये गहने मुझे अच्छे नहीं लगते हैं, ये तो
आपको ही अच्छे लगते हैं। जयमती हीरा को कहती है कि ये गहने पहनकर तू सवाई भोज का
पता करने जा।
हीरा
नौलखा बाग में बगड़ावतों से मिलने पहुंचती है जहां बगड़ावत भाई पातु कलाली की बनाई
दारु पी रहे हैं। वहां हीरा के गले में नियाजी दारु का गिलास उण्डेल देते हैं।
हीरा दारु पीकर बेहोश हो जाती है और रात भर नौलखा बाग में ही रहती है। बगड़ावत हीरा
को जाजम(दरी) से ढक
देते हैं, ताकि कोई
देख ना ले।
जब सुबह
हीरा को होश आता है और वह महलों में रानी के पास लौटती है तो किसी को शक न हो
इसलिए अपने साथ चावण्डिया भोपा को लेकर आती है और कहती है कि रानी के पेट में दर्द
था उसको ठीक करने के लिए इसे लेने गई थी। चावण्डिया भोपा के वापस लौटने के बाद
रानी जयमती हीरा को पीटती है और ईर्ष्या वश उसे खूब खरी-खोटी सुनाती है कि तू भोज पर रीझ गयी है। भोज ने रात को तुझे छुआ
तो नहीं और क्या-क्या बात हुई बता। जब हीरा सारी बात सही-सही बताती है तब रानी जयमती वापस हीरा को मनाती है, उसे खूब सारा जेवर देती है।
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बगड़ावत देवनारायण फड़