google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 पथिक कविता |Smile 3.0 homework Class 11th hindi |स्माइल होमवर्क 3.0 गृहकार्य 11वीं हिन्दी का हल

पथिक कविता |Smile 3.0 homework Class 11th hindi |स्माइल होमवर्क 3.0 गृहकार्य 11वीं हिन्दी का हल

कक्षा-11  विषय- हिन्दी अनिवार्य 

पाठ -11 ‘पथिक’ रामनरेश त्रिपाठी

जीवन परिचय- 

·      जन्म 1881 ई० में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के कोइरीपुर नामक स्थान पर

·      इनकी आरंभिक शिक्षा विधिवत् नहीं हुई। इन्होंने स्वाध्याय से हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला और उर्दू का ज्ञान प्राप्त किया।

·      इनकी कविताओं का विषय-वस्तु देश-प्रेम और वैयक्तिक प्रेम हैं।

·      इन्होंने 20 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा की तथा हजारों ग्रामगीतों का संकलन भी किया।

·       मृत्यु 1962 ई० में हुई।

 

रचनाएँ- 

·      खंड काव्य-पथिक, मिलन, स्वप्न।

·      कविता-संग्रह-मानसी।

·      सपादन-कविता कौमुदी, ग्रामगीत।

·      आलोचना-गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता।

साहित्यिक विशेषताएँ- रामनरेश त्रिपाठी छायावाद पूर्व की खड़ी बोली के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। इन्होंने अपने समय के समाज सुधार के स्थान पर रोमांटिक प्रेम को कविता का विषय बनाया। इनकी कविताओं में देश-प्रेम और वैयक्तिक प्रेम, दोनों मौजूद हैं, लेकिन देश-प्रेम को विशेष स्थान दिया है-

पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह सकता है।
यह अपमान जगत में केवल पशु ही सह सकता है।”

 

भाषा-शैली- भाषा खड़ीबोली है। उसमें माधुर्य और ओज है। कहीं-कहीं उर्दू के प्रचलित शब्दों का प्रयोग किया है। शैली सरस, स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण है। इनकी शैली के दो रूप प्राप्त होते हैं-वर्णनात्मक एवं उपदेशात्मक।

पाठ का सारांश

पथिक’ कविता में दुनिया के दुखों से विरक्त काव्य नायक पथिक की प्रकृति के सौंदर्य पर मुग्ध होकर वहीं बसने की इच्छा का वर्णन किया है। यहाँ वह किसी साधु द्वारा संदेश ग्रहण करके देशसेवा का व्रत लेता है। राजा उसे मृत्युदंड देता है, परंतु उसकी कीर्ति समाज में बनी रहती है।

सागर के किनारे खड़ा पथिक, उसके सौंदर्य पर मुग्ध है। प्रकृति के इस अद्भुत सौंदर्य को वह मधुर मनोहर प्रेम कहानी की तरह पाना चाहता है। प्रकृति के प्रति पथिक का यह प्रेम उसे अपनी पत्नी के प्रेम से दूर ले जाता है। इस रचना में प्रेम, भाषा व कल्पना का अद्भुत संयोग मिलता है।

यह पथिक’ खंडकाव्य का अंश है। इसमें कवि ने प्रकृति के सुंदर रूप का चित्रण किया है। पथिक सागर के किनारे खड़ा है। वह आसमान में मेघमाला और नीचे नीले-समुद्र को देखकर बादलों पर बैठकर विचरण करना चाहता है। वह लहरों पर बैठकर समुद्र का कोना-कोना देखना चाहता है। समुद्र तल से आते हए सूरज को देखकर कवि कल्पना करता है मानो सूर्य की किरणों ने लक्ष्मी को लाने के लिए सोने की सड़क बना दी हो। वह सागर की मजबूत, भयहीन व धीर गर्जनाओं पर मुग्ध है तथा असीम आनंद पाता है। चंद्रमा के उदय के बाद आकाश में तारे छिटक जाते हैं और कवि उस सौंदर्य पर मुग्ध है। चंद्रमा की रोशनी से वृक्ष अलंकृत से हो जाते हैं, पक्षी चहक उठते हैं, फूल महक उठते हैं तथा बादल बरसने लगते हैं। पथिक भी भावुक होकर आँसू बहाने लगता है। पथिक लहर, समुद्र, तट, पत्ते, वृक्ष पहाड़ आदि सबको पाकर सुख व आनंद का जीवन जीना चाहता है।

 

SMILE 3.0 के तहत आये गृहकार्य दिनांक 02 अगस्त 2021

Q.1 सूर्य के सम्मुख कोन नाच रहा है ?

उत्तर. आकाश में सूर्य के सामने बादलों का समूह हर क्षण नए रूप बनाकर निराले रंग में नाचता प्रतीत हो रहा है। 

Q.2 विशाल समुद्र को देखकर कवि क्या कहना चाहता है ?

उत्तर. कवि चाहता है कि लहरों पर बैठकर समुद्र के इस विशालकाय व महिमा से युक्त घर के कोने-कोने को देखें।

Q.3 कवि ने लक्ष्मी के सुनहरे मंदिर का गुम्बद किसे कहा है ?

उत्तर. समुद्र की सतह से सूर्य का बिंब अधूरा निकल रहा है अर्थात् आधा सूर्य जल के अंदर है तथा आधा बाहर। ऐसा लगता है मानो यह लक्ष्मी देवी के स्वर्ण-मंदिर का चमकता हुआ कंगुरा  हो।

Q.4 कवि किस प्राकृतिक दृश्य को सर्वाधिक सुखकारी मानता है ?

उत्तर. समुद्र भयरहित, मजबूत व गंभीर भाव से गरज रहा है। उस पर लहरें एक के बाद एक आ रही हैं, जो बहुत सुंदर हैं। वह अपनी प्रिया को कहता है कि हे प्रेममयी मंगलकारी प्रिया! तुम अपने हृदय से इस सौंदर्य का अनुभव करो और बताओ कि यहाँ जो सुख मिल रहा है, क्या उससे अधिक सुख कहीं मिल सकता है

Q.5 “कोने -कोने” में कोनसा अलंकार है ?

उत्तर . अनुप्रास (जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। )

 

              

 

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