google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 जनकजी का प्रण

जनकजी का प्रण


जनकजी ने भरी सभा में यह प्रण किया कि जो भी इस धनुष को तोडेगा, जानकीजी बिना किसी विचार के उसका वरण कर लेंगी। शिवजी का धनुष राहु की तरह भारी और कठोर था। सुमेरु पर्वत उठाने वाला बाणासुर भी हृदय में हारकर उसकी परिक्रमा करके चला गया और कैलास पर्वत को उठाने वाला रावण भी उस सभा में पराजय को प्राप्त हुआ। धनुष को उठाना तो दूर रहा, रावण और बाणासुर इसकी कोशिश करने की भी हिम्मत नहीं कर पाए।
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