कक्षा -12 हिन्दी अनिवार्य
कविता के बहाने - कुंवरनारायण
जीवन परिचय-
v जन्म 19 सितंबर, सन 1927 को फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
v कुंवर नारायण ने सन 1950 के आस-पास काव्य-लेखन की शुरुआत की।
v कुंवर नारायण आधुनिक हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं।
v इन्होंने चिंतनपरक लेख, कहानियाँ सिनेमा और
अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखी हैं।
v कुंवर नारायण को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है; जैसे-कबीर सम्मान, व्यास सम्मान, लोहिया सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा केरल
का कुमारन आशान पुरस्कार आदि।
रचनाएँ- कुंवर नारायण ‘तीसरे सप्तक’ के प्रमुख कवि हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
1. काव्य-संग्रह-चक्रव्यूह (1956), परिवेश : हम तुम, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं,
इन दिनों।
2. प्रबंध-काव्य-आत्मजयी।
3. कहानी-संग्रह-आकारों के आस-पास।
4. समीक्षा-आज और आज से पहले।
5. सामान्य—मेरे साक्षात्कार।
काव्यगत विशेषताएँ-
कवि ने कविता को
अपने सृजन कर्म में हमेशा प्राथमिकता दी। आलोचकों का मानना है कि “उनकी कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध की बजाय संयम, परिष्कार और साफ-सुथरापन है।” कुंवर नारायण नगरीय संवेदना के कवि हैं। इनके
यहाँ विवरण बहुत कम हैं,
परंतु वैयक्तिक
तथा सामाजिक ऊहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता में सामने आता है। इनकी तटस्थ वीतराग
दृष्टि नोच-खसोट,
हिंसा-प्रतिहिंसा
से सहमे हुए एक संवेदनशील मन के आलोडनों के रूप में पढ़ी जा सकती है।
भाषा-शैली-भाषा और विषय की विविधता इनकी कविताओं के
विशेष गुण माने जाते हैं। इनमें यथार्थ का खुरदरापन भी मिलता है और उसका सहज
सौंदर्य भी। सीधी घोषणाएँ और फैसले इनकी कविताओं में नहीं मिलते क्योंकि जीवन को
मुकम्मल तौर पर समझने वाला एक खुलापन इनके कवि-स्वभाव की मूल विशेषता है।
कविता के बहाने का प्रतिपादय एवं सार
प्रतिपादय- ‘कविता के बहाने’ कविता कवि के कविता-संग्रह ‘इन दिनों’ से ली गई है। आज के समय में कविता के अस्तित्व के बारे में संशय हो रहा है। यह
आशंका जताई जा रही है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा। ऐसे
में यह कविता-कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है।
सार-यह कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति
है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की
सीमा है,
फूल के खिलने के
साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई
स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत,
वर्तमान और
भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं।
वह सीमा चाहे घर की हो,
भाषा की हो या
समय की ही क्यों न हो।
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Q.1. कुंवर नारायण द्वारा लिखे गये
‘प्रबंध –काव्य’ का नाम लिखे |
उत्तर- प्रबंध-काव्य-आत्मजयी।
Q.2. ‘कविता के बहाने’कवि
के कोनसे काव्य संग्रह से ली गई है ?
उत्तर-‘कविता के बहाने’ कविता कवि के कविता-संग्रह ‘इन दिनों’ से ली गई है।
Q.3.कवि ने कविता की तुलना चिड़िया से किस
प्रकार की है ?
उत्तर-कविता फूल की तरह खिलती व विकसित होती है। फूल विकसित होने पर अपनी खुशबू
चारों तरफ बिखेरता है, उसी प्रकार कविता
अपने विचारों व रस से पाठकों के मनोभावों को खिलाती है।
Q.4.कुंवर नारायण में निम्न में से कोनसी विशेषता है –
1.
नई कविता आन्दोलन के प्रमुख कवि
2.
तीसरे तार सप्तक के अग्रगण्य कवि
3.
यथार्थवादी दृष्टिकोण
4.
उपरोक्त तीनो
उत्तर- उपरोक्त तीनो
Q.5. ‘सही’ अथवा ‘गलत’
बताइए –
1. कविता में प्रतीकात्मक एवम सांस्कृतिक
शब्दावली प्रयुक्त हुई है |
2. कविता में कही भी अनुप्रास अलंकार का
प्रयोग नही किया गया |
3. कवि ने बच्चो के रोने की आवाज से
कविता की तुलना की है |
4. कवि ने फिल्मो पर समीक्षाए लिखी है |
उत्तर-
असत्य ,सत्य, असत्य,सत्य