google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Smile 3.0 Solution DATE :- 25/8/2021 CLASS -12 हिन्दी अनिवार्य रघुवीर सहाय (केमरे में बंद अपाहिज) भाग -2

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Smile 3.0 Solution DATE :- 25/8/2021

CLASS -12  हिन्दी अनिवार्य

रघुवीर सहाय (केमरे में बंद अपाहिज) भाग -2

कवि परिचय

जीवन परिचय-

·        जन्म लखनऊ (उ०प्र०) में सन् 1929 में हुआ था।

·        रघुवीर सहाय समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील कवि हैं।

·        प्रारंभ में ये पेशे से पत्रकार थे।

·        इन्होंने प्रतीक अखबार में सहायक संपादक के रूप में काम किया।

·        कुछ समय तक हैदराबाद से निकलने वाली पत्रिका कल्पना और

·        उसके बाद दैनिक नवभारत टाइम्स तथा दिनमान से संबद्ध रहे।

·        साहित्य-सेवा के कारण इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

·        इनका देहावसान सन 1990 में दिल्ली में हुआ।

रचनाएँ-रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। इनकी कुछ आरंभिक कविताएँ अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक (1935) में प्रकाशित हुई। इनके महत्वपूर्ण काव्य-संकलन हैं-सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो-हँसो जल्दी हँसी, लोग भूल गए हैं आदि।

काव्यगत विशेषताएँ-रघुवीर सहाय ने अपने काव्य में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त की है। ये साठोत्तरी काव्य-लेखन के सशक्त, प्रगतिशील व चेतना-संपन्न रचनाकार हैं। इन्होंने सड़क, चौराहा, दफ़्तर, अखबार, संसद, बस, रेल और बाजार की बेलौस भाषा में कविता लिखी।

इन्होंने कविता को एक कहानीपन और नाटकीय वैभव दिया। रघुवीर सहाय ने बतौर पत्रकार और कवि घटनाओं में निहित विडंबना और त्रासदी को देखा। इन्होंने छोटे की महत्ता को स्वीकारा और उन लोगों व उनके अनुभवों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया जिन्हें समाज में हाशिए पर रखा जाता है। इन्होंने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत व सत्ता के खिलाफ़ भी साहित्य और पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा।

भाषा-शैली-रघुवीर सहाय ने अधिकतर बातचीत की शैली में लिखा। ये अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से बचते रहे हैं। भयाक्रांत अनुभव की आवेग रहित अभिव्यक्ति भी इनकी कविता की अन्यतम विशेषता है। इन्होंने कविताओं में अत्यंत साधारण तथा अनायास-सी प्रतीत होने वाली शैली में समाज की दारुण विडंबनाओं को व्यक्त किया है। साथ ही अपने काव्य में सीधी, सरल और सधी भाषा का प्रयोग किया है।

कविता का सार

प्रतिपादय-कैमरे में बंद अपाहिजकविता को लोग भूल गए हैंकाव्य-संग्रह से लिया गया है। इस कविता में कवि ने शारीरिक चुनौती को झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा के साथ-साथ दूर-संचार माध्यमों के चरित्र को भी रेखांकित किया है। किसी की पीड़ा को दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होने और दूसरों को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए। आज विडंबना यह है कि जब पीड़ा को परदे पर उभारने का प्रयास किया जाता है तो कारोबारी दबाव के तहत प्रस्तुतकर्ता का रवैया संवेदनहीन हो जाता है। यह कविता टेलीविजन स्टूडियो के भीतर की दुनिया को समाज के सामने प्रकट करती है। साथ ही उन सभी व्यक्तियों की तरफ इशारा करती है जो दुख-दर्द, यातना-वेदना आदि को बेचना चाहते हैं।

सार-इस कविता में दूरदर्शन के संचालक स्वयं को शक्तिशाली बताते हैं तथा दूसरे को कमजोर मानते हैं। वे विकलांग से पूछते हैं कि क्या आप अपाहिज हैं? आप अपाहिज क्यों हैं? आपको इससे क्या दुख होता है? ऊपर से वह दुख भी जल्दी बताइए क्योंकि समय नहीं है। प्रश्नकर्ता इन सभी प्रश्नों के उत्तर अपने हिसाब से चाहता है। इतने प्रश्नों से विकलांग घबरा जाता है। प्रश्नकर्ता अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उसे रुलाने की कोशिश करता है ताकि दर्शकों में करुणा का भाव जाग सके। इसी से उसका उद्देश्य पूरा होगा। वह इसे सामाजिक उद्देश्य कहता है, परंतु परदे पर वक्त की कीमत हैवाक्य से उसके व्यापार की पोल खुल जाती है।

प्रश्न 1. कैमरे में बंद अपाहिजकरुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है-विचार कीजिए

उत्तर: यह कविता अपनेपन की भावना में छिपी क्रूरता को व्यक्त करती है। सामाजिक उद्देश्यों के नाम पर अपाहिज की पीड़ा को जनता तक पहुँचाया जाता है। यह कार्य ऊपर से करुण भाव को दर्शाता है परंतु इसका वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही होता है। संचालक अपाहिज की अपंगता बेचना चाहता है। वह एक रोचक कार्यक्रम बनाना चाहता है ताकि उसका कार्यक्रम जनता में लोकप्रिय हो सके। उसे अपंग की पीड़ा से कोई लेना-देना नहीं है। यह कविता यह बताती है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकांश कार्यक्रम कारोबारी दबाव के कारण संवेदनशील होने का दिखावा करते हैं। इस तरह दिखावटी अपनेपन की भावना क्रूरता की सीमा तक पहुँच जाती है।

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प्रश्न 2. कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्टकों में रखी गइ हैं! आपकी समझ में इसका क्या औचित्य है?

(अ)      भावगत सजीवता लाने में  (ब)संवेदना का स्तर बढ़ाने में  (स) अ’व ब दोनो  (द) दोनों में से कोई नही

उत्तर: (स) अ’व ब दोनो  

प्रश्न 3.परदे पर वक्त की कीमत हैंके द्वारा कवि ने क्या दृष्टिकोण रखा हैं?

  (अ) व्यवसायिक स्वार्थ (ब)क्रूरता (स) बनावटीपन (द) अ,ब,स तीनो

उत्तर: (द) अ,ब,स तीनो

प्रश्न 4.कोनसा वाक्य सही है ?

·        कविता में अपंगता को लेकर संचालक महोदय द्वारा सही प्रश्न पूछे गये |

·        संचालक अपंग व्यक्ति की लाचारी व मनोदशा को ध्यान में रखते हुए प्रश्न पुच रहे थे |

·        कार्यक्रम सहृदयता व करुना से भरपूर था |

·        मानवीय संवेदना यथार्थ का ध्यान नही रखा गया |

उत्तर: मानवीय संवेदना यथार्थ का ध्यान नही रखा गया |

 

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