वीरों के बलिदान की कहानी हैं ये
माँ के कुर्बान
लालो की निशानी हैं ये
यूँ लड़ लड़ कर इसे तबाह ना करना
देश हैं कीमती
उसे धर्म के नाम पर नीलाम ना करना|
ऐ बन्दे !
ना
हिन्दू बन, ना मुस्लिम,
न
भ्रष्टाचार का गुलाम,
बस एक इंसान बन
कुछ
ऐसे कर्म कर,
के
खुद से कोई शर्म ना हो.
इतना
सुन्दर जीवन दिया हमें
कई लोगो की कुर्बानी ने
फेशन ने अँधा कर दिया हमे
जोश भरी जवानी में
क्या समझेंगे हम मौल इस आजादी का
कभी सहा नहीं दर्द हमने गुलामी का.|
सीमा पर लोग मरते हैं
वो खुशनसीब अमर हो जाते हैं
मेरी बदकिस्मती हैं ये
हम आम जिन्दगी जिए चले जाते हैं
दिल के तार जुड़ गए हैं उससे
बेवफाई ना होगी मुझसे
उसकी भक्ति में ही सुकून हैं
ऐ भारत माँ क्या तूझे मेरा मस्तक
कुबूल हैं
न पाल
हिन्दू मुस्लिम का बैर
मेरी माँ के प्यार को न बना इतना गैर
उसके दिल में सभी समान हैं
सब मिलकर रहे इसी में उसकी शान हैं
न जानता था मैं
इस मिट्टी की खुशबू
न समझता था मैं
अपनों की आरजू
ना जियों धर्म के नाम पर
ना मरो धर्म के नाम पर
इंसानियत ही हैं धर्म वतन का
बस जियों वतन के नाम पर
बचपन का वो भी एक दौर था
गणतंत्र में भी ख़ुशी का शौर था
ना जाने क्यूँ मैं इतना बड़ा हो गया
इंसानियत में मज़हबी बैर हो गया