रानी जयमती
की तलाश
बगड़ावतों के दरबार
में सभी भाई बैठे रहते हैं, तभी हीरा चील बनकर आकाश में उड़ती हुई आती है। और रानी जयमती का दिया पत्र
वहां गिरा देती है, जिसे नियाजी देख लेते हैं और अपनी ढाल से छिपा देते हैं ।यह जब सवाईभोज देख
लेते हैं और नियाजी के अकेले में ले जाकर कि पूछते हैं, कि भाई नियाजी बताओ क्या संदेश
आया है। वह कागज का परवाना कहां है जो ऊपर से चील ने गिराया था नियाजी को हमेशा छह महीने
पहले का एहसास पूर्व मे ही हो जाता था। इसलिए वह पहले आने वाली समस्या को भाप जाते थे। इस परवाने पर अगर हम ज्यादा गौर करेंगे तो सभी मारे जाएंगे सवाई भोज बहुत जिद
करते हैं तो नियाजी पत्र सवाईभोज को दे देते हैं। सवाई भोज रानी जयमती का पत्र
पढ़ते हैं और फिर सभी बगड़ावत भाई आपस में बैठकर राय मशवराह लेते हैं कि रानी को राव
जी के यहां से भगा कर लाना ही होगा रानी को भगाकर लाने के बाद क्या परिणाम होगा इसके
भी सारे परिणामों पर पहले से ही गौरव विचार कर लिया जाता है और बगड़ावत पूरी तैयारी
में जुट जाते हैं तेजाजी को भी किसी संदेशवाहक के साथ संदेश भेजकर पाटन की कचहरी बुलाया जाता है साडू माता निताजी
को बुलाकर पूछती है क्या बात है कहां की तैयारी है ? नियाजी उन्हें सारी बात बता देते हैं कि सवाई भोज
की शादी किसके साथ हुई साडू माता से कहते हैं हम सब रानी को लेने जरूर जाएंगे वह हमारे
भाई सवाईभोज के खाण्डे के साथ शादी कर चुकी
है ऐसा कह कर नियाजी और बाकी सभी भाई अपने घोङो को तैयार करते हैं जब साडू माता जाने
के लिए मना करती है तो नियाजी कहते हैं कि हमने शक्ति को वचन दिया इसलिए जाना तो अवश्य
होगा साडू माता कहती है कि ऐसी औरत को लाने से क्या फायदा जिसके लिए खून बहाना पङे
! एक भवानी के लिए आपको अपने माथे देने पड़ेंगे साडू माता फिर नियाजी को समझाती है
कि घर में एक औरत है तो दूसरी औरत को क्यों लाते हो लेकिन नियाजी नहीं मानते और जाने
की बात को बार-बार दोहराते रहते हैं तेजाजी की पत्नी तेजाजी को कहती है आप तो बणियो
के भांजे हो ,आप रण में मत जाना।
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बगड़ावत देवनारायण फड़