गणतंत्र दिवस सायरी स्पेशल!

गणतंत्र दिवस सायरी स्पेशल!


देशभक्तों से ही देश की शान है
देशभक्तों से ही देश का मान है
हम उस देश के फूल हैं यारों
जिस देश का नाम हिंदुस्तान है
इस दिन के लिए वीरो ने अपना खून बहाया है,
झूम उठो देशवासियो गणतंत्र दिवस फिर आया है |
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना,
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना,
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना,
खुदा के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना,
हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
….||
आज शहीदों ने है तुमको, अहले वतन ललकारा,
तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा,
हिन्दू-मुस्लिम-सिख हमारा, भाई-भाई प्यारा,
यह है आजादी का झंडा, इसे सलाम हमारा
||
दाग गुलामी का धोया है जान लुटा कर,
दीप जलाये है कितने दीप भुझा कर,
मिली है जब यह आज़ादी तो फिर इस आज़ादी को
रखना होगा हर दुश्मन से आज बचाकर
||
चलो फिर से खुद को जागते है,
अनुसासन का डंडा फिर घुमाते है,
सुनहरा रंग है गणतंत्र का सहिदो के लहू से,
ऐसे सहिदो को हम सब सर झुकाते है
||
देश भक्तो की बलिदान से,
स्वतन्त्र हुए है हम,
कोई पूछे कोन हो,
तो गर्व से कहेंगे.
भारतीय है हम
भारत के गणतंत्र का, सारे जग में मान,
दशकों से खिल रही, उसकी अद्भुत शान,
सब धर्मो को देकर मान रचा गया इतिहास का,
इसलिए हर देशवासी को इसमें है विश्वास ||
चलो फिर से आज वो नजारा याद करले,
चलो फिर से आज वो नजारा याद करले,
शहीदों के दिलो में थी जो वो ज्वाला याद करले,
जिसमे बहकर आजादी पहुची थी किनारे पे,
जिसमे बहकर आजादी पहुची थी किनारे पे,
देशभक्ति के खून की वो धारा याद करले
||
यही खुवाहिश खुदा हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना,
अगर देना तो दिल में देशभक्ति का चलन देना,
न दे दोलत न दे शोहरत, कोई शिकवा नही हमको,
झुका दूँ सर मै दुश्मन का यही हिम्मत का घन देना,
अगर देना तो दिल में देशभक्ति का चलन देना
||
मेरे हर कतरे-कतरे में, हिन्दुस्थान लिख देना,
और जब मोत हो, तन पे, तीरंगे का कफन देना,
यही खुवाहिश खुदा हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना,
अगर देना तो दिल में देशभक्ति का चलन देना
||
मै भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ,
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ,
मुझे चिंता नही है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ
||
गुलामी क्या थी ये हम क्या जानें,
हमने तो हमेशा आजादी में सांस ली है,
गुलामी क्या है ये तो वो ही बता पायेंगे,
जिन्होंने आजादी के लिए कुर्बानी दी है!
ना पूछो ज़माने से की क्या हमारी कहानी है,
हमारी पहचान तो बस इतनी है कि हम सब हिन्दुस्तानी हैं।
स्कार, संस्कृति और शान मिले;
ऐसे हिन्दू, मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले;
रहे हम सब ऐसे मिल-झुल कर;
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में भगवान मिले।

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