तालिया
वो
लड़ाई क्या जिसमें गालियां न हो।
वो
समारोह ही क्या जिसमे तालियां न हो।।
जिन्दगी
मे कभी खुशी कभी गम होता है।
तालिया वो ही बजाते है जिनके बाजुओ मे दम होता
है।।
अमन सुना पड़ा है इसे जरा मेहमानों से सजा दो।
इनके सम्मान मे दोस्तो जरा तालिया तो बजा दो।।
यू
कंजुसी क्युं करते हो ताली क्युं नही बजाते हो।
जोर जगा के ताली
बजाओ हौसला आप ही बढाते हो।।
हाथ निकालो जेब से पैसे हम नही माँगते।
ताली
बजाओ जोर से और हम कुछ नही मांगते।।
कवाल की शोभा कव्वालियों से होती है।
कलाकार की शोभा कलाकारियों से होती है और
दर्शको
की शोभा उनकी तालियो से होती है।।
गुर्जर इतिहास व मारवाड़ी
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26 जनवरी स्पेशल