कहने वाले कहते रहे,
निकम्मे हैं सरकारी !
आज इस विकट दौर में,
काम आए सरकारी !
कोई न आते पास मरीज के,
दवा पिलाते सरकारी ।
कोई न इनके हाथ लगाते ,
मल मूत्र उठाते सरकारी !
कोई न इनको रोक पाते,
पत्थर खाते सरकारी ।
चौराहों पर चौबीसों घण्टे ,
पाठ पढ़ाते सरकारी !
स्कूलों में बारातियों सी ,
खातिर करते सरकारी ।
छोड़ परिवार डटे हुए हैं,
कर्तव्य पथ पर सरकारी!
या फिर बच्चे के संग,
ड्यूटी पर मां सरकारी!
नेताओ ने नाम कमाया,
देकर धन सरकारी।
अपनी कमाई का हिस्सा दे,
बिना नाम के सरकारी!
घर रहने की विनती करते,
गाना गा कर सरकारी!
घर घर जो सर्वे करते,
वो बन्दे सारे सरकारी।
नुकसान तो सबका है ,
पर मौत सर लिए बैठे
सब सरकारी !!