प्रेरक प्रसङ्ग
एक गांव में कुसुम नाम की एक लड़की रहती थी | कुसुम का चयन एयरफोर्स में हो गया था और इस बात
को लेकर उसके गांव वाले बड़े आश्चर्यचकित थे | किसी ने सोचा भी
नहीं था कि एक छोटे से गांव की कमजोर वर्ग की लड़की एक दिन पूरे गांव का नाम रोशन
करेगी | एक बार एयर फोर्स
के कुछ अफसरों का जत्था एवरेस्ट की चढ़ाई
के लिए जा रहा था|
कुसुम को भी उसमें शामिल किया गया| हालांकि उसे
पर्वतारोहण का कोई भी अनुभव नहीं था |
कुसुम कड़ी मेहनत करने लगी और कुछ ही महीनों में वह अपने
दोस्तों के साथ एवरेस्ट के पहले बेस कैंप पर पहुंच गई | एवरेस्ट पर चढ़ने
के लिए पांच अलग-अलग पड़ाव पार करने होते हैं | उसने हार नहीं
मानी और मजबूती से चलती रही | पर अंतिम पड़ाव पर आकर वह बहुत थक गई और उसे
सांस लेने में दिक्कत होने लगी | उसकी टीम के लीडर ने उसे वहीं से लौट जाने का
आदेश दिया |
कुसुम ने जिंदगी में पहली बार हार का सामना किया था | वह जब वापस अपने
गांव लौटी तो गांव वालों ने उसका बड़ा अपमान किया और उसकी मजाक उड़ाई |उस दिन उसने तय
कर लिया कि जब तक मैं एवरेस्ट की चढ़ाई नहीं करूंगी, जिंदगी में और
कुछ नहीं करूंगी |
लंबी छुट्टी लेकर कुसुम अपने पैसों से एवरेस्ट पर चढ़ाई
करने के लिए पहुंच गई | इस बार जोश कई गुना ज्यादा था |
उसने जीवन भर की सारी जमा-पूंजी इस पर लगा दी थी | एक बार फिर अंतिम पड़ाव तक पहुंच गई लेकिन इस बार भी अंतिम
पड़ाव पर जाकर उसके हौसले पस्त होने लगे ,साथ ही मौसम भी खराब होने लगा | अब कुसुम के
सामने चुनौतियां ज्यादा थी | जिंदगी की पूरी कमाई, गांव वालों की
इज्जत, माता-पिता का
विश्वास और अपने भीतर की खुशी एक सवाल बन कर उस की आंखों के सामने तैर रही थी |
उसने तय किया कि चाहे कुछ भी हो जाए अब वापस नहीं लौटना है | अगले 8 घंटे उसकी
जिंदगी के सबसे कठिन समय थे | लेकिन फिर भी वह डटी रही और अंत में वह एवरेस्ट
की चोटी तक पहुंच गई | जब कुसुम वापस अपने गांव लौटी तो गांव वालों ने दिल खोलकर
उसका स्वागत किया और उससे माफी भी मांगी |
कहानी से सीख:-
लोग हमारी नहीं, बल्कि हमारी उपलब्धियों की कद्र करते हैं।