प्राण में भी
तुम्हीं ध्यान में भी तुम्हीं
तुम ही तुम रह
गये मैं कहीं भी नहीं
चलती साँसों मे
तुम भीगी रातों में तुम
मेरे शिकवे
शिकायत औ बातों में तुम
मेरी रागों में
तुम, उर के बागों में
तुम
मेरी नींदों में
तुम, मेरे ख्वाबों में
तुम
भाव में भी
तुम्हीं, नेह में
भी तुम्हीं
आँसुओं को भरे, मेह में भी
तुम्हीं
मन्दिरों में
तुम्हीं, मस्जिदों में
तुम्हीं
आरती में हो
तुम, वेद गानों में
तुम
अर्थ में भी तुम, शब्द में भी हो तुम
साम की धुन में
हो, हो पुराणों में
तुम
गीत में भी
तुम्हीं, प्रीत में भी तुम्हीं
मेरी मनुहार में, जीत हारो
में तुम
मेरे अर्पण
समर्पण हृदय में तुम्हीं
दिल के अनुबंध
में, हर नज़ारों में
तुम
फूल में भी हो
तुम, शूल में भी हो
तुम
मेघ गर्जन में, नभ के सितारों में तुम
दिव्य दीपक की
झिलमिल सी बाती में तुम
उर की वीणा की
धुन में, पुकारों में तुम
सूर्य में भी हो
तुम, चाँद में भी हो
तुम
रात दिन में हो, अद्भुत नज़ारों
में तुम
धड़कनों में भी हर
पल धड़कते तुम्हीं
ज़िन्दगी के भी अन्तिम सहारे हो तुम
‼️जय जय श्री राधे
कृष्ण‼️