google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 कक्षा -11 हिन्दी | ‘वे आँखे कविता |सुमित्रानंदन पंत |SMILE 3.0 HOMEWORK |11 अगस्त 2021गृहकार्य |

कक्षा -11 हिन्दी | ‘वे आँखे कविता |सुमित्रानंदन पंत |SMILE 3.0 HOMEWORK |11 अगस्त 2021गृहकार्य |

कक्षा-11  विषय- हिन्दी अनिवार्य

पाठ -11 ‘वे आँखे’ सुमित्रानंदन पंत

जीवन परिचय- 

v पंत जी का मूल नाम गोसाँई दत्त था।

v जन्म 20 मई 1900 ई. में उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक स्थान पर हुआ।

v इनकी प्रारंभिक शिक्षा कौसानी के गाँव में तथा उच्च शिक्षा बनारस और इलाहाबाद में हुई।

v साहित्य के प्रति उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए इन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

v  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार मिले।

v पुरस्कार व सम्मान

v 1960 ‘कला और बूढ़ा चांद’ पर ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’

v 1961 ‘पद्मभूषण’ हिंदी साहित्य की इस अनवरत सेवा के लिए

v 1968 ‘चिदम्बरा’ नामक रचना पर ‘भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार’

v लोकायतन’ पर ‘सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार’

v भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया।

v इनकी मृत्यु 28 दिसंबर, 1977 ई. में हुई।

 

रचनाएँ-  इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

  • काव्य- वीणा, ग्रंथि , पल्लव, गुंजन, युगवाणी, ग्राम्या, चिदंबरा, उत्तरा, स्वर्ण किरण, कला, और बूढ़ा चाँद, लोकायतन आदि हैं।
  • नाटक-रजत रश्मि, ज्योत्स्ना, शिल्पी।
  • उपन्मस-हार।
  • कहानियाँ व संस्मरण-पाँच कहानियाँ, साठ वर्ष, एक रेखांकन।

साहित्यिक विशेषताएँ- छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के चितेर कवि हैं। हिंदी कविता में प्रकृति को पहली बार प्रमुख विषय बनाने का काम पंत ने ही किया। इनकी कविता प्रकृति और मनुष्य के अंतरंग संबंधों का दस्तावेज है।पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश इन्हें जादू की तरह आकृष्ट कर रहा था। बाद में चलकर प्रगतिशील दौर में ताज और वे अाँखें जैसी कविताएँ लिखीं। इसके साथ ही अरविंद के मानववाद से प्रभावित होकर मानव तुम सबसे सुंदरतम जैसी पंक्तियाँ भी लिखते रहे।

उन्होंने नाटक, कहानी, आत्मकथा, उपन्यास और आलोचना के क्षेत्र में भी काम किया है। रूपाभ नामक पत्रिका का संपादन भी किया जिसमें प्रगतिवादी साहित्य पर विस्तार से विचार-विमर्श होता था। पंत जी भाषा के प्रति बहुत सचेत थे। इनकी रचनाओं में प्रकृति की जादूगरी जिस भाषा में अभिव्यक्त हुई है, उसे स्वयं पंत चित्र भाषा की संज्ञा देते हैं।

 

पाठ का सारांश

              यह कविता पंत जी के प्रगतिशील दौर की कविता है। इसमें विकास की विरोधाभासी अवधारणाओं पर करारा प्रहार किया गया है। युग-युग से शोषण के शिकार किसान का जीवन कवि को आहत करता है। दुखद बात यह है कि स्वाधीन भारत में भी किसानों को केंद्र में रखकर व्यवस्था ने निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया। यह कविता दुश्चक्र में फैसे किसानों के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक दुखों की परतों को खोलती है और स्पष्ट रूप से विभाजित समाज की वर्गीय चेतना का खाका प्रस्तुत करती है।

कवि कहता है कि किसान की अंधकार की गुफा के समान आँखों में दुख की पीड़ा भरी हुई है। इन आँखों को देखने से डर लगता है। वह किसान पहले स्वतंत्र था। उसकी आँखों में अभिमान झलकता था। आज सारे संसार ने उसे अकेला छोड़ दिया है। उसकी आँखों में लहलहाते खेत झलकते हैं जिनसे अब उसे बेदखल कर दिया गया है। उसे अपने बेटे की याद आती है जिसे जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीटकर मार डाला। कर्ज के कारण उसका घर बिक गया। महाजन ने ब्याज की कौड़ी नहीं छोड़ी तथा उसके बैलों की जोड़ी भी नीलाम कर दी। उसकी उजरी गाय भी अब उसके पास नहीं है।

किसान की पत्नी दवा के बिना मर गई और देखभाल के बिना दुधर्मुही बच्ची भी दो दिन बाद मर गई। उसके घर में बेटे की विधवा पत्नी थी, परंतु कोतवाल ने उसे बुला लिया। उसने कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी। किसान को पत्नी का नहीं, जवान लड़के की याद बहुत पीड़ा देती थी। जब वह पुराने सुखों को याद करता है तो आँखों में चमक आ जाती है, परंतु अगले ही क्षण सच्चाई के धरातल पर आकर पथरा जाती है।

SMILE 3.0 के तहत आये गृहकार्य दिनांक 11 अगस्त 2021

Q.1 किसान की आंखो मे क्या भरा हुआ है?

उत्तर.  किसान की आँखों में कृषक व्यवसाय का अभिमान भरा था। खेत की जमीन पर उसका स्वामित्व था। वे स्वयं को अन्नदाता समझता था। वह दूसरों की सहायता करता था। खेती से ही उनके परिवार का गुजारा होता था।

Q.2 किसान को किससे बेदखल कर दिया गया है?

उत्तर. किसान अपने अतीत की याद करता है। उसकी आँखों के समक्ष खेत लहलहाते नजर आते हैं जबकि अब उन खेतों से उसे बेदखल कर दिया गया है अर्थात् जमींदारों ने उसकी जमीन हड़प ली है।

Q.3 कवि ने "उजरी" कहकर किसे सम्बोधित किया है?

उत्तर. किसान के पास उजरी नाम की एक गाय थी उस गाय के प्रति किसान का कुछ विशेष स्नेह था वह गाय भी केवल किसान को ही दूध दूहने देती थी।

Q.4 किसान के घर मे पतोहू की क्या स्थिति थी ?

उत्तर. पुत्र की बहू को कोतवाल बुलवाता है तो विवश होकर वह आत्महत्या कर लेती है। समाज में स्त्री की दुर्दशा का चित्रण है जब कवि किसान के पतोहू को पति घातिन कहता है; पैर की जूती कहता है।

Q.5 प्रकृति का चितेरा कवि किसे कहा गया है ?

उत्तर . छायावादी युग के महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी को प्रकृति के सुकुमार कवि के नाम से हिंदी साहित्य में जाना जाता है।

 

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