google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 12th हिन्दी |Work Sheet | 11.08.2021 |आलोक धन्वा | पतंग कविता | Smile 3.0 H.W | patang |

12th हिन्दी |Work Sheet | 11.08.2021 |आलोक धन्वा | पतंग कविता | Smile 3.0 H.W | patang |

कक्षा-12  विषय- हिन्दी अनिवार्य

पाठ -11 ‘पतंग’

लेखिका परिचय- आलोक धन्वा

जीवन परिचय-

v जीवन परिचय-आलोक धन्वा सातवें-आठवें दशक के बहुचर्चित कवि हैं।

v  जन्म सन 1948 में बिहार के मुंगेर जिले में हुआ था।

v इनकी साहित्य-सेवा के कारण इन्हें राहुल सम्मान मिला।

v बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् ने इन्हें साहित्य सम्मान से सम्मानित किया।

v इन्हें बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान व पहल सम्मान से नवाजा गया।

रचनाएँ-

v इनकी पहली कविता जनता का आदमी सन 1972 में प्रकाशित हुई। उसके बाद भागी हुई लड़कियाँ, ब्रूनो की बेटियाँ कविताओं से इन्हें प्रसिद्ध मिली।

v  इनकी कविताओं का एकमात्र संग्रह सन 1998 में ‘दुनिया रोज बनती है’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ।

v इस संग्रह में व्यक्तिगत भावनाओं के साथ सामाजिक भावनाएँ भी मिलती हैं, यथा

जहाँ नदियाँ समुद्र से मिलती हैं वहाँ मेरा क्या हैं
मैं नहीं जानता लेकिन एक दिन जाना हैं उधर।

काव्यगत विशेषताएँ-कवि की 1972-73 में प्रकाशित कविताएँ हिंदी के अनेक गंभीर काव्य-प्रेमियों को जबानी याद रही हैं। इनके काव्य में भारतीय संस्कृति का चित्रण है। ये बाल मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझते हैं। ‘पतंग’ कविता बालसुलभ इच्छाओं व उमंगों का सुंदर चित्रण है।

भाषा-शैली-

     v कवि ने शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है।

    v ये बिंबों का सुंदर प्रयोग करते हैं।

    v इनकी भाषा सहज व सरल है।

    v इन्होंने अलंकारों का सुंदर व कुशलता से प्रयोग किया है।

 

कविता का प्रतिपादय एवं सार

प्रतिपादय-‘पतंग’ कविता कवि के ‘दुनिया रोज बनती है’ व्यंग्य संग्रह से ली गई है। इस कविता में कवि ने बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तन को अभिव्यक्त करने के लिए इन्होंने सुंदर बिंबों का उपयोग किया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है जिसके जरिये वे आसमान की ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं तथा उसके पार जाना चाहते हैं।

यह कविता बच्चों को एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ शरद ऋतु का चमकीला इशारा है, जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है, दिशाओं के मृदंग बजते हैं, जहाँ छतों के खतरनाक कोने से गिरने का भय है तो दूसरी ओर भय पर विजय पाते बच्चे हैं जो गिरगिरकर सँभलते हैं तथा पृथ्वी का हर कोना खुद-ब-खुद उनके पास आ जाता है। वे हर बार नई-नई पतंगों को सबसे ऊँचा उड़ाने का हौसला लिए औधेरे के बाद उजाले की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

कविता सार-कवि कहता है कि भादों के बरसते मौसम के बाद शरद ऋतु आ गई। इस मौसम में चमकीली धूप थी तथा उमंग का माहौल था। बच्चे पतंग उड़ाने के लिए इकट्ठे हो गए। मौसम साफ़ हो गया तथा आकाश मुलायम हो गया। बच्चे पतंगें उड़ाने लगे तथा सीटियाँ व किलकारियाँ मारने लगे। बच्चे भागते हुए ऐसे लगते हैं मानो उनके शरीर में कपास लगे हों। उनके कोमल नरम शरीर पर चोट व खरोंच अधिक असर नहीं डालती। उनके पैरों में बेचैनी होती है जिसके कारण वे सारी धरती को नापना चाहते हैं। वे मकान की छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं मानी छतें नरम हों। खेलते हुए उनका शरीर रोमांचित हो जाता है। इस रोमांच मैं वे गिरने से बच जाते हैं। बच्चे पतंग के साथ उड़ते-से लगते हैं। कभी-कभी वे छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर भी बच जाते हैं। इसके बाद इनमें साहस तथा आत्मविश्वास बढ़ जाता है।

 

 

SMILE 3.0 के तहत आये गृहकार्य दिनांक 11 अगस्त 2021

 

Q.1.आलोक धन्वा के कितने संग्रह उपलब्ध है ?

उत्तर - उनका एकमात्र काव्य  संग्रह है- ‘दुनिया रोज बनती है’ । जो की 1998 में प्रकाशित हुआ था । 

Q.2.बिंब स्पष्ट करो-

         v सबसे तेज बोछारे गयी भादों गया

         v खरगोश की आंखो जैसा लाल सवेरा

         v     चमकीले इशारो से बुलाते हुए

उत्तर –

v बिम्ब’ शब्द अंग्रेजी के ’इमेज’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। जिसका अर्थ है -मूर्त रूप प्रदान करना।

काव्य में बिम्ब को वह शब्द चित्र माना जाता है जो कल्पना द्वारा ऐन्द्रिय अनुभवों के आधार पर निर्मित होता है।

  • v तेज बौछारें – दृश्य बिंब गतिशील
  • v खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा – दृश्य बिंब स्थिर
  • v चमकीले इशारों से बुलाते हुए – दृश्य बिंब गतिशील ।

 

Q.3.'दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए ' पंक्ति का तात्पर्य क्या है?

  उत्तर -दिशाओं को मृदंग की तरह बेजाने का तात्पर्य है कि पतंग उड़ाते समय बच्चे ऊँची दीवारों से छतों पर कूदते हैं तो उनकी पदचापों से एक मनोरम संगीत उत्पन्न होता है। यह संगीत मृदंग की ध्वनि की तरह लगता है। साथ ही बच्चों का शोर भी चारों दिशाओं में गूँजता है।

Q.4.'शरद आया' मे कौनसा अलंकार है?

उत्तर -शरद ऋतु का मानवीकरण किया गया है।

v जब प्रकृति या जड़ वस्तुओं पर मानवीय भावनाओं /गुणों का वर्णन हो यानी निर्जीव चीज़ों में सजीव होना दर्शाया जाए तब वहां मानवीकरण अलंकार होता है।

Q.5.'जब वे दौडते है बेसुध' पंक्ति मे 'वे'शब्द किसके लिए प्रयुक्त किया गया है ?

उत्तर - 'वे'शब्द पतंग उड़ाने वाले बच्चो के लिए प्रयुक्त किया गया है

 

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