google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 भाषा व्याकरण एवं लिपि भाग -2

भाषा व्याकरण एवं लिपि भाग -2


भाषा के अन्य भेद :-

1.मातृभाषा :- जिस भाषा को बालक बचपन में अपनी माँ या परिवार से सीखता है उसे मातृभाषा कहते हैं।

v (माता के मुख की भाषा) जन्म से हम जिस  भाषा का प्रयोग करते है वही हमारी मातृभाषा है।

2.राजभाषा :-  वह भाषा जो देश के कार्यालयों व राज-काज में प्रयोग की जाती है, राजभाषा कहलाती है।

v (प्रशासनिक  भाषा) सरकारी काम काज की भाषा |

v नोट :- हिन्दी भारत की राजभाषा है न की राष्ट्रभाषा

v जैसे अंग्रेजी हमारी सह राजभाषा है।

v 14 सितम्बर 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 में देवनागरी लिपि हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया |

v 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस

v विश्व हिन्दी दिवस -  10 जनवरी

v राजभाषा आयोग की स्थापना :- 07 जून 1955 ( अध्यक्ष – बी. जी .खेर )

3.राष्ट्रभाषा :- वह भाषा जो देश के अधिकतर निवासियों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है, राष्ट्रभाषा कहलाती है। (सम्पूर्ण राष्ट्र की भाषा)

v किसी राष्ट्र में सार्वजनिक रूप से प्रयुक्त होने वाली भाषा - राष्ट्रभाषा

v सभी देशों की अपनी-अपनी राष्ट्रभाषा होती है; जैसे- अमरीका-अंग्रेजी, चीन-चीनी, जापान-जापानी, रूस-रूसी आदि।

4.मानक भाषा:- मानक भाषा का अर्थ है - ऐसी भाषा जो एक निश्चित पैमाने के अनुसार लिखी या बोली जाती है। 

v मानक का अर्थ होता है - एक  निश्चित पैमाने के अनुसार गठित।

v ऐसी भाषा जो सर्वग्राह्य और सर्वमान्य हों |

v मानक भाषा को कई नामों से जाना जाता हैं। इसे ‘परिनिष्ठित भाषा’ कहते हैं तो कई लोग ‘नागर भाषा’ के नाम से भी जानते है ।अंग्रेजी में इसे ‘Standard Language’ कहा जाता हैं।

v इसे शिक्षा और कार्यालय में प्रयोग लिया जाता है ।

बोली :-

  • v भाषा का ही प्रारम्भिक रूप है ।
  • बोली के लिए कहावत  “कोस -कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बदले बानी”
  • v एक छोटे/सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है ।
  • v जब एक ही भाषा अलग-अलग क्षेत्रो में अलग- अलग तरह से बोली जाति है तो उसे ही बोली कहते है ।
  • v बोली को भाषा का स्थानीय या क्षेत्रीय रूप भी कहा जा सकता है ।
  • v बोली भाषा का अल्प विकसित या अर्ध विकसित रूप है ।  
  • जैसे –मारवाड़ी ,मेवाड़ी ,शेखावाटी,ब्रज ,अवधी,राजस्थानी
  • v बोली अधिकांश लोकगीतों में मोखिक स्तर पर होती है ।
  • v बोली की कोई लिपि नहीं होती

हिंदी की बोलियाँ :- हिंदी की बोलियों को छह वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

  • v          पश्चिमी हिंदी : – ब्रज, खड़ी बोली, हरियाणवी (बांगरू) बुंदेली और कन्नौजी।
  • v             पूर्वी हिंदी :  अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी।
  • v              राजस्थानी : – मेवाती, मारवाड़ी, हाड़ोती, मेवाड़ी।
  • v              बिहारी : – मैथिली, मगधी, भोजपुरी।
  • v            पहाड़ी :  गढ़वाली, कुमाऊँगी, मैडियाली।
  • v           दक्खिनी :  बीजापुर, गोलकुंडा के क्षेत्र।

 

विभाषा:-

  • v             भाषा व् बोली के बीच की स्थिति को
  • v            विभाषा का क्षेत्र बोली की अपेक्षा विस्तृत होता है ।
  • v            यह एक प्रान्त में प्रचलित होती है ।
  •      विभाषा में साहित्यिक रचनाएँ मिलती है । 

भाषा और बोली में अंतर :-

भाषा

बोली

भाषा विस्तृत

बोली स्थानीय

भाषा व्याकरण के नियमो से बंधी होती है

बोली स्वतंत्र

भाषा का व्याकरण होता है

बोली का व्याकरण नही होता

भाषा की अपनी लिपि होती है

बोली की लिपि नही होती

नोट :- कोई भी बोली विकसित होकर भाषा का रूप ले लेती है ।

लिपि :-

v लिपि का अर्थ किसी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग

v ʽʽलिखित ध्वनि-संकेतों को लिपि कहते हैं।

परिभाषा :- ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग भाषा में किया जाता है। इन चिह्नों के लिखने की विधि को लिपि कहा जाता है |

v लिपि भाषा का लिखित रूप है ।

v भाषा को लिखने के लिए निश्चित किये गये चिह्नों को लिपि कहते है |

v प्रत्येक भाषा के अपने निश्चित वर्ण व चिन्ह होते है ,जिन्हें उस भाषा को लिखने व समझने में प्रयोग किया जाता है ।

v हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है

v अन्य भाषाओ की लिपिया :-

भाषा

लिपि

हिन्दी,संस्कृत,कोंकणी,मराठी,नेपाली

देवनागरी

पंजाबी

गुरुमुखी

उर्दू

फारसी

अंग्रेजी

रोमन

बांग्ला

बंगाली

v Trick  देवनागरी लिपि सूत्र :- हिन्दी, संस्कृत को मन |

अन्य महत्वपूर्ण :-

v प्राचीन काल में तीन लिपियाँ प्रचलित थी ।

1.सिन्धु लिपि 2.खरोष्ठी लिपि 3. ब्राह्मी लिपि

प्रमुख लिपियाँ :-

ब्राह्मी लिपि :- 

v ब्राह्मी भारत की अधिकांश लिपियों की जननी है तथा इसका प्रयोग सम्राट अशोक के लेखों में हुआ है।

v ब्राह्मी लिपि का दो भागो में विभाजन हुआ है  -  उत्तरी धारा व दक्षिणी धारा।

v ब्राह्मी की उत्तरी धारा में गुप्त लिपि, कुटिल लिपि, शारदा और देवनागरी को रखा गया है।

v दक्षिणी धारा में तेलुगु, कन्नड़, तमिल और पश्चिमी लिपि शामिल हैं।

v ब्राह्मी लिपि बायें से दायें लिखी जाती थी।

खरोष्ठी लिपि :-

v भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रों में प्रचलित यह लिपि दायें से बायें लिखी जाती थी।

v इसे अरामाइक और सीरियाई लिपि से विकसित माना जाता है।

v सम्राट अशोक के शहबाज़गढ़ी और मानसेहरा (पाकिस्तान) स्थित अभिलेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रमाण मिलता है।

v जेम्स प्रिंसेप : ‘एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल’ के संस्थापक ने आधुनिक युग में पहली बार ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने का प्रयास किया हैं।

 कुटिल लिपि :- गुप्त लिपि का परिवर्तित रूप मानी जाने वाली इस लिपि को ‘न्यूनकोणीय लिपि’ तथा ‘सिद्ध मातृका’ लिपि भी कहा जाता है।

देवनागरी लिपि :-

v इनमें से ब्राह्मी लिपि से ही देवनागरी लिपि का विकास हुआ।

v ब्राह्मी भारत की अधिकांश लिपियों की जननी है तथा इसका प्रयोग सम्राट अशोक के लेखों में हुआ है।

v देवनागरी का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जय भट्ट 7-8 वी सदी के शिलालेख में हुआ है ।

v नागर ब्राह्मणों के नाम से देवनागरी को नागरी कहा गया ।

v देवभाषा संस्कृत में नागरी का प्रयोग होने से इसके साथ ‘देव‘ शब्द जुड़ गया ।

v दक्षिण भारत में इसका नाम नागरी न होकर नंदिनागरी है ।

 

देवनागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ:-

1.   इसकी उत्पति ब्राह्मी लिपि से हुई है।

2.   यह बाईं से दाईं ओर लिखी जाती है।

3.   शिरोरेखा का प्रयोग किया जाता है ।

4.   हर वर्ण का आकार समान होता है ।

5.   उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती है।

6.   संपूर्ण लिपि-समूह स्वर और व्यंजन में विभक्त हैं।

7.   अनुनासिक और अनुस्वार ध्वनियों के लिए पृथक् चिह्न हैं।

8.   अक्षरों में सुडौलता तथा वर्ण गोलाइयों से युक्त हैं।

9.   हृस्व व दीर्घ में तनिक भेद से लेखन सुगम होता है - जैसे -  क ,का

10. देवनागरी की वर्णमाला का वर्णक्रम वैज्ञानिक है।

11. देवनागरी अंक १,,,,,,,,,१०

12. भारतीय संविधान के अनु.(1)में देवनागरी लिपि को मान्यता प्रदान की गई है|

13.  शिक्षा मंत्रालय द्वारा देवनागरी वर्णमाला -1966

14. देवनागरी लिपि और हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण -1983

 

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