कक्षा -10 हिन्दी अनिवार्य
तुलसीदास राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद-भाग -1
जीवन परिचय-
v पूरा नाम: गोस्वामी तुलसीदास
v जन्म: सन 1532 (संवत- 1589),
राजापुर, उत्तर प्रदेश
v मृत्यु: सन 1623 (संवत- 1680),
काशी
v पिता: आत्माराम दुबे
v माता: हुलसी
v पत्नी: रत्नावली
v गुरु: आचार्य रामानंद
v काल: भक्ति काल
v विधा: कविता, दोहा, चौपाई
v विषय: सगुण भक्ति
v भाषा: संस्कृत, अवधी, हिंदी
रचनाएँ- रामललानहछू (1582), वैराग्यसंदीपनी (1612), रामाज्ञाप्रश्न (1612), जानकी-मंगल (1582), रामचरितमानस (1574), सतसई, पार्वती-मंगल (1582), गीतावली (1571), विनय-पत्रिका (1582), कृष्ण-गीतावली (1571), बरवै रामायण (1612), दोहावली (1583) और कवितावली (1612)।
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Q.1. महाकवि तुलसीदास जी की रचनाओ का
क्रमिक नाम लिखिए |
उत्तर- रचनाएँ रामललानहछू (1582), वैराग्यसंदीपनी (1612), रामाज्ञाप्रश्न (1612), जानकी-मंगल (1582), रामचरितमानस (1574), सतसई, पार्वती-मंगल (1582), गीतावली (1571), विनय-पत्रिका (1582), कृष्ण-गीतावली (1571), बरवै रामायण (1612), दोहावली (1583) और कवितावली (1612)।
Q.2. तुलसीदास जी की कीर्ति
का आधार कोनसा ग्रंथ माना जाता है उसमे निहित सभी कांडो का क्रमिक नाम लिखिए |
उत्तर- रामचरितमानस तुलसीदासजी का सुदृढ़ कीर्ति स्तम्भ है जिसके कारण
वे संसार में श्रेष्ठ कवि के रूप में जाने जाते हैं।
सात
काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड।
Q.3. ‘लक्ष्मण –परसुराम’ संवाद
के बारे में अपने विचार बताइए |
उत्तर-‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ नामक पाठ में निहित संदेश यह है कि हमें क्रोध करने से बचना चाहिए। यह हमारे
बुधि विवेक का नाश कर देता है। क्रोधी व्यक्ति ऐसे कार्य करता है जिससे वह उपहास
का पात्र बन जाता है। हमें सदैव विनम्र, शांत एवं कोमल व्यवहार करना चाहिए। ऐसे व्यवहार से हमारे बिगड़े काम भी बन
जाते हैं तथा हमें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
Q.4. ‘लक्ष्मण –परसुराम’ संवाद
में आये हुए कठिन शब्दार्थो के अर्थ बताइए |
1.भंजनिहरा - तोड़ने वाला
2.रिपु -शत्रु
3.लरिकाई- बचपन में
4.रिसाई - क्रोध करके