कक्षा -10 हिन्दी अनिवार्य
तुलसीदास राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद-भाग -1
जीवन परिचय-
- v पूरा नाम: गोस्वामी तुलसीदास
- v जन्म: सन 1532 (संवत- 1589), राजापुर, उत्तर प्रदेश
- v मृत्यु: सन 1623 (संवत- 1680), काशी
- v पिता: आत्माराम दुबे
- v माता: हुलसी
- v पत्नी: रत्नावली
- v गुरु: आचार्य रामानंद
Smile 3.0 Home work Date:- 19 अगस्त 2021
Q.1. लक्ष्मण परशुराम संवाद में आये
हुए कठिन शब्दों का अर्थ बताइए |
उत्तर-
1.कुम्हङबतिया- कुमङे के समान फल / छुई-मुई के पौधे के समान कोमल
2.भृगवंशमुनि -परशुराम
3.हरिजन-भगवान के भक्त
4.कुलिस-कठोर
Q.2. ‘लक्ष्मण-परशुराम’ संवाद में आई हुई निम्न पंक्तियों का क्या आश्य
है?
सूर
समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान
रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु|
उत्तर- भावार्थ-
शूरवीर युद्ध में अपनी शूरवीरता का प्रदर्शन करते हैं। वे
अपने मुँह मिया-मिट्ठू
नहीं बनते अर्थात स्वयं के मुख से स्वयं की प्रशंसा नहीं करते
और रणभूमि में अपने शत्रु को सामने पाकर कायरों की तरह बातों में व्यर्थ समय नहीं
बिताते, अपितु युद्ध करके अपनी वीरता का परिचय
देते हैं।
Q.3. ‘लक्ष्मण-परशुराम’ संवाद में
परस्पर किनके मध्य संवाद हो रहा है?
उत्तर- राम – लक्ष्मण – परशुराम जी के बीच जो बात होती है, उसका वर्णन यहाँ दिया हुआ है।
Q.4. ‘लक्ष्मण-परशुराम’ संवाद में
श्रीराम की क्या भूमिका है?
उत्तर- श्रीराम के वचनों में विनम्रता और विनयशीलता का भाव था जो शीतल जल के समान
प्रभावकारी थे जिससे परशुराम की क्रोधाग्नि शांत हो गई।
Q.5. ‘कौसिक सनुहु मंद
बालकु। कुठिल काल बस निज कुल घालकु।’ इन पंक्तियों में कौन किसको संबोंधित कर रहा है?
उत्तर- परशुराम विश्वामित्र को संबोंधित करते हुए कहते है की , यह बालक
बड़ा कुबुद्धि और कुटिल है, काल के
वश होकर यह अपने कुल का घातक बन रहा है। यह सूर्यवंशरूपी पूर्णचंद्र का कलंक है।
यह बिल्कुल उद्दंड, मूर्ख और
निडर है।