कक्षा -10
हिन्दी अनिवार्य
बालगोबिन भगत -रामवृक्ष बेनीपुरी
Smile 3.0 Home work Date:- 29 सितम्बर 2021
Q.1. बालगोबिन भक्त गद्य की किस विधा से सम्न्धित
पाठ है?
उत्तर- बालगोबिन भगत एक रेखाचित्र अर्थात स्केच है। ये साहित्य की आधुनिक विधा है और इस रेखाचित्र के माध्यम से रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक ऐसे विलक्षण चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता ,लोक संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक है।
Q.2.रामवृक्ष
बेनीपुरी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिय ?
उत्तर- रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक ग्राम में हुआ था। सामान्य कृषक-परिवार में जन्मे रामवृक्ष के हृदय में देशप्रेम की भावना प्रारम्भ से ही विद्यमान थी। सन् 1920 ई० में वे असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े; अतः उनका शिक्षा-क्रम भंग हो गया| बाद में इन्होंने ‘हिन्दी-साहित्य सम्मेलन, प्रयाग’ से ‘विशारद’ परीक्षा उत्तीर्ण की। बेनीपुरीजी स्वतन्त्रता के दीवाने थे। पत्र-पत्रिकाओं में लिखकर और स्वयं उनका सम्पादन करके देशवासियों में देशभक्ति की ज्वाला भड़काने के आरोप में उन्हें अनेक बार जेलयात्रा करनी पड़ी; पर उनकी स्वतन्त्रता और सरस्वती की आराधना नहीं रुकी। वे आजीवन साहित्य-साधना में व्यस्त रहे और सन् 1968 ई० में इस संसार से विदा हो गए।
Q.3. रामवृक्ष बेनीपुरी के कृतित्व को संक्षिप्त में बताइए।
उत्तर
निबन्ध और रेखाचित्र- (1) गेहूँ और गुलाब, (2) माटी की मूरत,
(3) लालतारा, (4) वन्दे वाणीविनायको, (5) मशाल आदि उनके निबन्धों और रेखाचित्रों के संग्रह हैं।
संस्मरण- (1) जंजीरें और दीवारें, (2) मील के पत्थर आदि भावपूर्ण संस्मरण हैं।
नाटक- (1) सीता की माँ,
(2) अम्बपाली, (3) रामराज्य आदि राष्ट्रप्रेम को उजागर करनेवाले (4) उपन्यास और कहानी-(1)
पतितों के देश में (उपन्यास),
(2) चिता के फूल’ (कहानी-संग्रह) हैं।
जीवनी- (1) कार्ल मार्क्स, (2) जयप्रकाश नारायण, (3) महाराणा प्रतापसिंह आदि जीवनियाँ हैं।
यात्रावृत्त- उनके ललित यात्रा-वृत्तान्तों के संग्रह हैं- (1)
पैरों में पंख बाँधकर, (2) उड़ते चलें।
आलोचना- (1) विद्यापति पदावली, ( 2 ) बिहारी सतसई की सुबोध टीका नामक रचनाएँ उनकी आलीचनात्मक प्रतिभा का परिचय देती हैं।
v बेनीपुरीजी यशस्वी पत्रकार रहे हैं। तरुण भारत’, ‘कर्मवीर युवक’,
‘हिमालय’, ‘नई धारा’,
‘बालक’, ‘किसान मित्र’
आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं का उन्होंने बड़ी कुशलतापूर्वक सम्पादन किया था।
Q.4. बालगोबिन भक्त पाठ किस पर प्रहार करता है?
उत्तर बालगोबिन भगत पाठ में कई सामाजिक रूढ़ियों का प्रहार किया गया है जैसे- बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु के बाद दुखी ना होते हुए खुशी मनाई और कहा कि यह आत्मा का परमात्मा से मिलन है और उन्होंने अपनी पुत्र की मृत्यु के बाद अपनी पुत्रवधू को विवाह के लिए उसके मायके भेज दिया था।
Q.5. बालगोबिन भक्त पाठ के बारे में संक्षिप्त में बताइए।
उत्तर बालगोबिन भगत रामवृक्ष बेनीपुरी जी द्वारा प्रस्तुत रेखाचित्र है | इसके अंतर्गत लेखक ने बालगोबिन भगत के माध्यम से दर्शाया है कि मनोवृति यदि निस्पृह हो तो मनुष्य गृहस्थ में रहकर भी सन्यासी ही है |
बालगोबिन भगत के माध्यम से लेखक ने मानव समाज को संदेश दिया है कि बंधन का कारण मन होता है यदि आपका मन और वृत्ति शुद्ध है तो परिस्थितियाँ कैसी भी हो आप उसमें लिप्त नहीं हो सकेंगे |
संसार में रहकर कर्तव्यों को पूरा करते हुए भी मनुष्य परमात्मा को पाने हेतु भक्ति कर सकता है |
बालगोबिन भगत के माध्यम से विधवा - विवाह का प्रचलन कर कुरीतियों को दूर कर लकीर का फकीर नहीं बनने की बात कही गयी है |
पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत की बहू की कर्तव्यनिष्ठा को भी उजागर किया गया है |