google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्य-पुस्तक | जनसंचार के विभिन्न माध्यम कक्षा -12 |

अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्य-पुस्तक | जनसंचार के विभिन्न माध्यम कक्षा -12 |

अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्य-पुस्तक

जनसंचार के विभिन्न माध्यम कक्षा -12

v  'संचारशब्द की उत्पत्ति 'चरधातु से हुई हैजिसका अर्थ है-चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना।

v  संचार-परिभाषा मशहूर संचार शास्त्री विल्बर श्रेम  के अनुसार संचार अनुभवों की साझेदारी है” 

v  संचार प्रक्रिया की शुरुआत स्रोत /संचालक से

v  सांकेतिक संचार इशारो के माध्यम से हुआ संचार

v  जनसंचार माध्यमो के प्रचलित रूप - जैसे मुद्रित (प्रिंट) , रेडियो,टेलिविजन एवं इंटरनेट।

v  मुद्रित अर्थात समाचार पत्र –पत्रिकाएं पढ़ने के लिए,रेडियो सुनने के लिए , टीवी देखने और सुनने के लिए तथा इंटरनेट पढ़ने , सुनने और देखने के लिए प्रयुक्त होते हैं।

v  अखबारी पत्रकारिता की भारत में शुरुआत- 1780 ई.जेम्स आगस्ट हिकी के बंगाल गजट से कलकत्ता से प्रकाशित

v  भारतीय समाचार पत्र बंगाल गजट कलकत्ता से अंग्रजी में जेम्स अगस्टन हिक्की ने 29 जनवरी 1780 में पहला निकाला। इसका आदर्श वाक्य था - सभी के लिये खुला फिर भी किसी से प्रभावित नहीं ।

v  पहला भारतीय समाचार पत्र अंग्रेज़ी में 1816 ई. में कलकत्ता में गंगाधर भट्टाचार्य द्वारा 'बंगाल गजटनाम से निकाला गया। यह साप्ताहिक समाचार पत्र था।

v  भारत में प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी भाषा का पहला साप्ताहिक  समाचार पत्र - उदंत मार्तंड (द राइजिंग सन), 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल के सम्पादन में कलकत्ता से प्रकाशित शुरू हुआ। इस दिन को "हिंदी पत्रकारिता दिवस" के रूप में मनाया जाता हैक्योंकि इसने हिंदी भाषा में पत्रकारिता की शुरुआत को चिह्नित किया था।

v  गाँधी जी को समकालीन भारत का सबसे बड़ा पत्रकार

v  स्वतन्त्रता पूर्व के पत्रकारों में गणेश शंकर विद्यार्थी ,माखनलाल चतुर्वेदी,प्रतापनारायण मिश्र ,शिवपूजन सहाय,रामवृक्ष बेनीपुरी और बालमुकुन्द गुप्त

v  प्रमुख पत्रिकाए –केसरी ,हिंदुस्तान ,सरस्वती ,हंस ,कर्मवीर ,प्रताप ,प्रदीप ,और विशाल भारत

v  आजादी के बाद प्रमुख पत्रकार –अज्ञेय ,रघुवीर सहाय ,धर्मवीर भारती ,मनोहर श्याम जोशी .राजेंद्र माथुर

v  समाचार पत्र –नवभारत टाइम्स ,जनसत्ता ,नई दुनिया ,अमर उजाला ,दैनिक जागरण

v  पत्रिकाएँ –धर्मयुग,दिनमान,इन्डिया-टुडे

 

संचार के विभिन्न तत्व

v  स्रोत /प्रेषक:-वह वह व्यक्ति है जो अपने विचारों को दूसरे व्यक्ति को भेजता है।

v  संदेश:-  सफल संचार के लिए संदेश का स्पष्ट और सीधा होना आवश्यक है।

v  माध्यम:- (चेनल) -संदेश को किस माध्यम टेलीफोन,समाचार पत्र,रेडियो ,इन्टरनेट से प्राप्त कर्ता तक पहुचाया जाता है ।

v  कुटीकृत /एन्कोडिंग:- संदेश की भाषा का ज्ञान संचारकर्ता व प्राप्तकर्ता दोनों को होना चाहिए।

v  मीडिया:-यह माध्यम,मार्ग या मार्ग है जिसके माध्यम से प्राप्तकर्ता को प्रेषक द्वारा एन्कोडेड संदेश दिया जा वता है। संचारपत्ररेडियोटेलीविज़नई-मेल आदि के लिए मीडिया-फेस टू फेस के विभिन्न रूप हो सकते हैं। उदाहरण के लिएप्रबंधक प्रेजेंटेशन के माध्यम से एक मीटिंग में एक नए उत्पाद की शुरुआत के बारे में सूचित करते हैं।

v  डिकोडिंग:-इसका मतलब है प्राप्त  संदेश में निहित अर्थ को समझना ।

v  रिसीवर:-वह वह व्यक्ति है जिसे संदेश भेजा गया है। उदाहरण के लिएअधीनस्थ रिसीवर हैं।

v  फीडबैक /प्रतिपुष्टि:-यह रिसीवर द्वारा प्रतिक्रिया है। यह संचार प्रक्रिया के पूरा होने का संकेत है।

v  शोर:-यह संचार की प्रक्रिया में आने वाली रूकावटे /बाधा शोर कहलाती है।

 

संचार के  प्रकार

संचार प्रक्रिया में शामिल लोगों की संख्या के आधार पर संचार मुख्यत: चार प्रकार का होता है :-

1.  अंत: वैयक्तिक संचार

2.  अंतर वैयक्तिक संचार

3.  समूह संचार

4.  जनसंचार

1. अंत: वैयक्तिक संचार:– यह संचार की वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति खुद से संचार करता है अथार्त इस प्रक्रिया में संचारक और प्राप्तकर्ता एक ही व्यक्ति है। दरअसल यह एक मनोवैज्ञानिक क्रिया है जिसमें मानव व्यक्तिगत चिंतन-मनन करता है।

              जैसे – पूजा ,इबादत/प्रार्थना करते समय ध्यान में होते है तब अंत: वैयक्तिक संचार होता है 

2. अंतर वैयक्तिक संचार:- संचार की वह प्रक्रिया जिसमें दो  व्यक्ति आपस में आमने सामने भावनाओं और विचारों का आदान प्रदान करते हैं तो उसे अंतरवैयक्तिक संचार कहते हैं।

3. समूह संचार:- नाम से ही स्पष्ट है कि वह संचार जो समूह में किया जाता है समूह संचार कहलाता है। क्लासरूम में पढ़ाईएक साथ किसी बात पर हंसनाकवि सम्मेलनभाषण यह सब समूह संचार का ही उदाहरण है।

4. जनसंचार:- जनसंचार दो शब्दों से मिलकर बना है। जन+संचार के योग से हुआ है। जन का अर्थ भीड़ होता है। समूह संचार का वृहद रूप है- जनसंचार। 

जनसंचार को अंग्रेजी भाषा Mass Communication कहते हैंजिसका अभिप्राय बिखरी हुई जनता तक संचार माध्यमों की मदद से सूचना को पहुंचाना है। समाचार पत्रटेलीविजनरेडियोसिनेमाकेबलइंटरनेटवेब पोर्टल्स इत्यादि अत्याधुनिक संचार माध्यम हैं। जनसंचार का अर्थ विशाल जनसमूह के साथ संचार करने से है।

गेट -कीपर / द्वारपाल ही तय करते हैं कि वहाँ किस तरह की सामग्री प्रकाशित या प्रसारित की जाएगी। .. और रेडियो में भी द्वारपाल होते हैं जो उससे प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित /निर्धारित करते हैं।

संचार के कार्य 

(1) सूचना देना /सूचित करना : एक जमाना थाजब कहा जाता था- Knowledge is Power -ज्ञान ही शक्ति हैलेकिन आज कहा जाता है- The Information is Power-सूचना ही शक्ति है।  जनसंचार माध्यमो का प्रमुख कार्य सूचना देना ।

(2) शिक्षित करना : संचार का दूसरा प्रमुख कार्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर समाज के लोगों को शिक्षित करना है। समाज को शिक्षित करने का उद्देश्य मात्र पढऩा-लिखना नहीं हैबल्कि देश व समाज में उपलब्ध संसाधनों की जानकारी देकर उपयोग करने योग्य  बनाना है। संचार माध्यमों द्वारा शिक्षा का जितना अधिक प्रचार-प्रसार होगादेश व समाज उतना ही अधिक सामाजिकआर्थिकसांस्कृतिकराजनीतिक और नैतिक विकास की दृष्टि से समृद्धशाली होगा। आजकल टेलीविजन व रेडियो पर NCERT और IGNOU के अनेक शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है। समाचार पत्रोंपत्रिकाओं व वेबसाइटों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। अत: लोगों का शिक्षित करना संचार का प्रमुख कार्य है। 

(3) मनोरंजन करना संचार माध्यमों का तीसरा प्रमुख कार्य लोगों का मनोरंजन करना है। मनोरंजन में मानव जीवन की नीरसता को तोडऩेचिंता व तनाव से ध्यान हटाने तथा ताजगी भरने की क्षमता होती है। यहीं कारण है कि संचार माध्यमों की मदद से कार्टूनलेखसंगीतकवितानाटक इत्यादि का प्रसारण/प्रकाशन किया जाता है। वर्तमान समय में सिनेमारेडियोटेलीविजनकम्प्यूटरइंटरनेट जैसे माध्यम लोगों के समक्ष मनोरंजनात्मक सामग्री प्रस्तुत कर रहे हैं।

(4एजेंडा तय करना सूचनाओ और विचारों के जरिये किसी देश और समाज का एजेंडा तय करते है ।

(5निगरानी  करना सरकार और संस्थाओ के कामकाज पर निगरानी रखना और अनियमितताओं को लोगों के सामने लाने की जिम्मेदारी जनसंचार माध्यमों पर है ।

(6विचार विमर्श के मंच लोकतंत्र में विभिन्न विचारों को अभिव्यक्ति का मंच उपलब्ध कराते है । 

 

विभिन्न माध्यमो के लिए लेखन :-

       जनसंचार के मुद्रित (प्रिंट) माधयम –

v  खबर लिखना रचनात्मक काम हो सकता है ,जितना कविता लिखना रघुवीर सहाय

v  जन संचार के आधुनिक माध्यमों में मुद्रित (प्रिंट) सबसे ज्यादा पुराना माध्यम है।

v  जिसके अंतर्गत समाचार पत्रपत्रिकाएं आती है।

v  कागज के आविष्कार का श्रेय चीन के साईं लुन को

v  मुद्रण का प्रारंभ चीन में हुआ,तत्पश्चात जर्मनी के गुटेनबर्ग में छापाखाना की खोज की।

v  भारत में पहला छापाखाना  सन 1556 में गोवा में खुला

v  इसका प्रयोग मिशनरियों ने धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए किया था।

v  आज मुद्रण कंप्यूटर की सहायता से होता है।

 

जनसंचार मुद्रित माध्यमों की खूबियां –

v  लिखित शब्द स्थाई होते हैं।

v  लिखित शब्दों को एक बार ही नहीं अनेकों बार पढ़ सकते हैं।

v  अपनी रुचि और समझ के अनुसार उस स्तर के शब्दों से परिचित हो सकते हैं।

v  लिखित शब्दों का  अध्ययन कर चिंतन मनन किया जा सकता है।

v  जटिल शब्द आने पर शब्दकोश का प्रयोग भी किया जा सकता है।

v  खबर को अपनी रूचि के अनुसार पहले तथा बाद में पढ़ा जा सकता है।

v  किसी भी सामग्री को लंबे समय तक सुरक्षित रखा भी जा सकता है।

 

जनसंचार मुद्रित माध्यमों की कमियां  –

v  अशिक्षित लोगों के लिए अनुपयोगी।

v  टेलीविजन तथा रेडियो की भांति मुद्रित माध्यम तुरंत घटी घटना की जानकारी नहीं दे पाता।

v  समाचार पत्र निश्चित अवधि अर्थात 24 घंटे में एक बार , सप्ताहिक सप्ताह में एक बार तथा मासिक में माह में एक बार प्रकाशित किया जाता है।

v  किसी भी खबर या रिपोर्ट के प्रकाशन के लिए एक डेड लाइन (समय सीमा) होती है।

v  स्पेस (स्थान) सीमा भी होती है , जबकि रेडियो , टेलीविजन , इंटरनेट माध्यम पर ऐसा प्रतिबंध नहीं होता।

v  महत्व एवं जगह की उपलब्धता के अनुसार किसी भी खबर को स्थान दिया जाता है।

v  मुद्रित माध्यम में अशुद्धि होने पर सुधार हेतु अगले अंक की प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

 

मुद्रित माध्यमों में लेखन हेतु ध्यान रखने योग्य बाते :-

v  लेखन में भाषा ,व्याकरण ,वर्तनी और शैली का ध्यान रखना आवश्यक

v  समय सीमा और आवंटित स्थान के अनुशासन का पालन आवश्यक

v  लेखन और प्रकाशन के बीच अशुद्धियो को ठीक करना आवश्यक

v  लेखन में सहज प्रवाह के लिए तारतम्यता बनाए रखना जरूरी

जनसंचार मुद्रित माध्यमों की भाषा शैली –

v  मुद्रित माध्यम में लेखन के लिए भाषा,व्याकरण,शैली,वर्तनी,समय सीमा,आवंटित स्थान,अशुद्धि शोधन एवं तारतम्यता पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।

v  लेखन तथा भाषा शैली पाठक वर्ग को ध्यान में रखकर किया जाता है।

 

उल्टा पिरामिड शैली :- उल्टा पिरामिड शैली मे समाचार पत्र के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को सर्वप्रथम लिखा जाता है। उसके बाद घटते हुए महत्व क्रम में दूसरे तथ्यों या सूचनाओं को बताया जाता है। अर्थात कहानी की तरह क्लाइमैक्स अंत में नहीं वरन खबर के प्रारंभ में आ जाता है। इस शैली के अंतर्गत समाचारों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है – 1.इंट्रो 2. बॉडी 3. समापन।

इंट्रो/लीड  – हिन्दी में मुखड़ा  खबर के मूल तत्व को शुरू की दो /तीन पंक्तियों में संपूर्ण जानकारी निहित होती है।

बॉडी – घटते क्रम में सभी खबर के तथ्य मौजूद होते हैं , अर्थात इसमें इंट्रो में दिए गए संपूर्ण जानकारी से कम जानकारी होती है।

समापन – इस बिंदु में संपूर्ण जानकारी नहीं होती परंतु ऊपर दिए गए दोनों बिंदुओं में समाचार के सभी तथ्य मौजूद होते हैं। इसलिए इस बिंदु में सूचना को छोटा अथवा कम किया जा सकता है।

रेडियो ( विभिन्न माध्यम )

v  रेडियो जनसंचार का श्रव्य माध्यम है।

v  रेडियो में  ध्वनि , शब्द और स्वर ही प्रमुख हैं।

v  रेडियो मूलतः एक रेखीय (लीनियर) माध्यम है।

v  1895  में इटली के इंजीनियर जी. मार्कोनी ने वायरलेसकी खोज की ।

v  1921 मुंबई में टाइम्स ऑफ़ इन्डिया डाक तार विभाग की और से पहला  संगीत कार्यक्रम प्रसारित किया ।

v  1936 में ऑल इन्डिया रेडियो की विधिवत स्थापना हुई ।

v  रेडियो समाचार की  संरचना समाचार पत्रों तथा टीवी की तरह उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है।

v  आजादी के समय तक कुल नो रेडियो स्टेशन लखनऊ,दिल्ली,मुंबई,कलकता,मद्रास,तिरुचिरापल्ली,ढाका,लाहोर,पेशावर।

v  वर्तमान में आकाशवाणी देश की 24 भाषाओं और 146 बोलियों में कार्यक्रम प्रस्तुत करती है ।

v  1993 में FM - Frequency modulation की शुरुवात

v  1997 में आकाशवाणी और दूरदर्शन को केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण से निकालकर प्रसार भारती नाम के स्वायतशासी निकाय को सोंप दिया ।

v  रेडियो की तात्कालिक ,घनिष्टता और प्रभाव के कारण गाँधी जी ने रेडियो को एक अद्भुत शक्ति कहा था 

v  जिसमें अखबार की तरह पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं होती ।

 

 

रेडियो समाचार लेखन की बुनियादी बातें :-

v  साफ-सुथरी टाइप की हुई कॉपी  

v  पर्याप्त हाशिया और ट्रिपल स्पेस में टाइप ।

v  एक पंक्ति में 12-13 शब्दों से अधिक ना हो।

v  पंक्ति के अंत में विभाजित शब्द का प्रयोग ना करें।

v  समाचार कॉपी में जटिल एवं संक्षिप्त आकार का प्रयोग ना करें।

v  लंबे अंको को तथा दिनांक को शब्दों में लिखें।

v  निम्नलिखितक्रमांक,अधोहस्ताक्षरी,किन्तु ,लेकिन ,उपर्युक्त जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

v  वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।

v  एक से दस तक अंको को शब्दों में और 11 से 999 तक अंको में लिखा जाए ।

v  % और जैसे संकेत के लिए प्रतिशत और डॉलर ही लिखा जाए।

v  मुद्रास्पीती के आंकड़े नजदीकी पूर्णांक में नही लिखकर दशमलव में ही लिखे ।

v  समाचार लेखन की भाषा को प्रभावी बनाने के लिए आम बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग करें 

टेलीविजन ( विभिन्न माध्यम )

v  टेलीविजन जनसंचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम है।

v  यह रेडियो की भांति एक रेखीय माध्यम है।

v  जनसंचार का सबसे लोकप्रिय और ताकतवर माध्यम

v  टेलीविजन में शब्दों व ध्वनियों की अपेक्षा दृश्यों का सर्वाधिक महत्व होता है।

v  आविष्कार1927 में जॉन लोगी बेयर्ड 

v  1936 में BBC ने अपनी टेलीविजन सेवा प्रारम्भ की 

v  भारत में टेलीविजन की शुरुवात 15 सितम्बर 1959 को यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के तहत  हुई जिसका उद्देश्य शिक्षा के सामुदायिक विकाश को प्रोत्साहित करना था 

v  15 अगस्त 1965 स्वतन्त्रता दिवस से विधिवत TV सेवा प्रारम्भ हुई 

v  1 अप्रैल 1976 से इसे आकाशवाणी से अलग कर दूरदर्शन नाम दिया गया 

v  1984 में टेलीविजन सेवा की रजत जयंती मनाई गई 

v  दूरदर्शन का उद्देश्य-समाज में जहाँ पुराने मूल्य टूट रहे हो और नए न बन रहे हो वहाँ दूरदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए जनतंत्र को मजबूत बना सकता है ।

  

टेलीविजन खबरों के प्रमुख चरण –प्रिंट अथवा रेडियो की भांति टेलीविजन चैनल समाचार देने का मूल आधार सूचना देना है। टेलीविजन में यह सूचनाएं इन चरणों से होकर गुजरती है।

1.   फ्लैश बैक(ब्रेकिंग न्यूज़)- बड़ी खबर को कम से कम शब्दों में  फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में तत्काल दर्शकों तक पहुँचाई जाती है। इसमें कम-से-कम शब्दों में महज़ सूचना दी जाती है।

2.   ड्राई एंकर- एंकर खबर के बारे में दर्शकों को सीधे-सीधे बताता है कि कहाँक्याकब और कैसे हुआ। जब तक खबर के दृश्य नहीं आते एंकरदर्शकों को रिपोर्टर से मिली जानकारियों के आधार पर सूचनाएँ पहुँचाता है।

3.   फोन इन- एंकर रिपोर्टर से फोन पर बात करके सूचनाएँ दर्शकों तक पहुँचाता है। इसमें रिपोर्टर घटना वाली जगह पर मौजूद होता है और वहाँ से उसे जितनी ज़्यादा-से-ज्यादा जानकारियाँ मिलती हैंवह दर्शकों को बताता है।

4.   एंकर विजुअल- घटना के दृश्य या विजुअल को  आधार बनाकर  खबरे बताना  ।

5.   एंकर बाइट- बाइट यानी कथन। टेलीविज़न में किसी भी खबर को पुष्ट करने के लिए इससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है। किसी घटना की सूचना देने और उसके दृश्य दिखाने के साथ ही इस घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों या संबंधित व्यक्तियों का कथन सुनाकर खबर को प्रामाणिकता प्रदान की जाती है।

6.   लाइव- लाइव यानी किसी खबर का घटनास्थल से सीधा प्रसारण।

7.   एंकर पैकेज- खबर को संपूर्णता के साथ पेश करने का एक जरिया है। इसमें संबंधित घटना के दृश्यइससे जुड़े लोगों की बाइटग्राफ़िक के जरिए ज़रूरी सूचनाएँ आदि होती हैं।

 

टेलीविजन खबरों की विशेषताएं –

v  देखने और सुनने की सुविधा

v  जीवंत घटनाओं का प्रसारण

v  प्रभावशाली खबर से परिचित होना

v  समाचारों का लगातार प्रसारण देख पाना।

 

टेलीविजन खबरों की कमियां –

v  भाषा शैली के स्तर पर अत्यंत सावधानी

v  बाइट का ध्यान रखना आवश्यक है।

v  कार्यक्रम का सीधा प्रसारण कभी-कभी सामाजिक उत्तेजना को जन्म दे सकता है।

v  परिपक्व बुद्धि पर सीधा प्रभाव डालता है।

रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा

v  भाषा के स्तर व गरिमा को बनाए रखते हुए सरल भाषा का प्रयोग करें।

v  सभी वर्ग तथा स्तर के लोग समझ सके इसका ध्यान रखना चाहिए।

v  छोटे वाक्य तथा सरल और कर्णप्रिय हो।

v  वाक्यों में तारतम्यता हो।

v  जटिल शब्दों सामाजिक शब्दों एवं मुहावरों के अनावश्यक प्रयोग से बचें।

v  जटिल और उच्चारण में कठिन शब्द संक्षिप्त अंक आदि नहीं लिखने चाहिए जिन्हें पढ़ने में जबान लड़खड़ा जाए।

 

सिनेमा :-

v आविष्कार थोमस अल्वा एडिसन 1883 ई.

v 1883 ई. फ़्रांस में पहली फिल्म बनी –“द अराइवल ऑफ़ ट्रेन

v भारत में पहली मूक फिल्म बनाने का श्रेय दादा साहब फाल्के को

v फिल्म का नाम राजा हरिशचंद्र” 1913 ई.

v 1931 ई.में पहली बोलती फिल्म आलम आरा

v पचास के दशक में पथेर पांचाली”-सत्यजीत रॉय

 

इंटरनेट ( विभिन्न माध्यम ):-  महत्वपूर्ण तथ्य :-

v  इसे ऑनलाइन पत्रकारिता /साइबर पत्रकारिता/वेब पत्रकारिता

v  इंटरनेट पर समाचार पत्र का प्रकाशन अथवा खबर का आदान-प्रदान ही वास्तव में इंटरनेट पत्रकारिता है।

v  इन्टरनेट जनसंचार का सबसे आधुनिक और लोकप्रिय माध्यम है ।

v  इन्टरनेट एक अन्तक्रियात्मक माध्यम है ।यानि आप मूकदर्शक नही है ,आप सवाल जवाब बहस में भाग ले सकते है ।

v  इंटरनेट पत्रकारिता का पहला दोर-1982 से 1992 तक

v  इंटरनेट पत्रकारिता का दूसरा  दोर-1993 से 2001 तक

v  तीसरे दोर की इंटरनेट पत्रकारिता 2002 से अब तक की है ।

v  इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत -1983 से 2002 के बीच 

v  भारत के लिए प्रथम दौर 1993 से प्रारंभ माना जाता है और दूसरा दौर 2003 से माना जाता है।

v  नई वेब भाषा HTML -Hypertext Markup Language

v  इन्टरनेट एक्स्प्लोरर और नेट्स्केप नाम के ब्राउजर वः ओजार जिसके जरिये विश्वव्यापी जाल में गोते लगाये जा सकते है 

v  न्यू मीडिया के नाम पर डॉट कॉम कम्पनियों का उफान आया है 

v  भारत में सच्चे अर्थों में यदि कोई भी पत्रकारिता कर रहा है तो वह rediff.com , इंडिया इन्फोलाइन , तथा सीफी जैसी कुछ साईट हैं।

v  रेडिफ को भारत की पहली साइट कहा जा सकता है।

v  वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता करने का श्रेय तहलका डॉट कॉम को जाता है।

v  हिंदी में नेट पत्रकारिता वेबदुनिया के साथ प्रारंभ हुई।

v  इंदौर के नई दुनिया समूह से प्रारंभ हुआ यह पोर्टल हिंदी का संपूर्ण पोर्टल है।

v  पत्रकारिता की दृष्टि से टाइम्स ऑफ़ इंडिया हिंदुस्तान टाइम्स ,इंडियन एक्सप्रेस ,ट्रीब्यून,स्टेटसमेन,पायनियर,NDTV,IBN, Z-NEWS, आजतक और आउट लुक  एवं राष्ट्रीय सहारा के वेब संस्करण प्रारंभ हुए।

v  इन्डिया टुडे जैसी साईट को भुगतान के बाद देखा जा सकता है

v  नियमित अपडेट वाली साईट हिन्दू टाइम्स ऑफ़ इंडियाआउट लुक, NDTV, Z-NEWS,आजतक 

v  प्रभासाक्षी नाम से प्रारंभ हुआ अखबार प्रिंट रूप में ना होकर केवल इंटरनेट पर उपलब्ध है।

v  आज पत्रकारिता के अनुसार श्रेष्ठ साइट बी.बी.सी. है।

v  कुल मिलाकर हिंदी की वेब पत्रकारिता अभी अपने शैशव काल में ही है।

v  इन्टरनेट के द्वारा जहां हम सूचना , मनोरंजन , ज्ञान तथा निजी व सार्वजनिक संवादों का आदानप्रदान कर सकते हैं। वहीं इसे अश्लील,दुष्प्रचार एवं गंदगी फैलाने का माध्यम भी बनाया जा रहा है। 

v  इंटरनेट का प्रयोग समाचारों के संप्रेषण संकलन तथा सत्यापन एवं पुष्टिकरण में भी किया जा रहा है।

v  टेलीप्रिंटर के जमाने में जहां 1 मिनट में केवल 80 शब्द एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे जा सकते थे।

v  वही आज एक सेकंड में लगभग 70000 शब्द भेजे जा सकते हैं। 

हिंदी नेट संसार

v  हिंदी में नेट पत्रकारिता वेब दुनिया’ के साथ शुरू हुई।

v  इंदौर के नई दुनिया समूह से शुरू हुआ यह पोर्टल हिंदी का संपूर्ण पोर्टल है।

v  हिंदी वेब पत्रकारिता में प्रमुख समस्या हिंदी के फॉन्ट की है।

v  अभी कोई की बोर्ड’ हिंदी में नहीं बना है।

v  डायनमिक फॉन्ट की अनुपलब्धता के कारण हिंदी की अधिकतर साइटें नहीं खुलती।

v  माइक्रोसॉफ्ट और वेबदुनिय यूनिकोड फॉण्ट बनाए है 

v  जब तक हिंदी के कीबोर्ड का मानकीकरण नहीं हो जाता तब तक इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता।

 

Post a Comment

ऑनलाइन गुरुजी ब्लॉग में आपका स्वागत है
ऑनलाइन गुरुजी,ब्लॉग में आप शैक्षिक सामग्री, पाठ्यपुस्तकों के समाधान के साथ पाठ्यपुस्तकों की पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए शैक्षिक सामग्री भी यहाँ उपलब्ध कराई जा रही है। यह वेबसाइट अभी प्रगति पर है। भविष्य में और सामग्री जोड़ी जाएगी। कृपया वेबसाइट को नियमित रूप से देखते रहें!

Previous Post Next Post