कक्षा-12 विषय-
हिन्दी अनिवार्य
पाठ -05 ‘सहर्ष
स्वीकारा है’
लेखक परिचय- गजानन माधव
‘मुक्तिबोध’
जीवन परिचय-
- प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के श्योपुर नामक स्थान पर 1917 ई० में हुआ था।
- 1954 ई. में इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एम०ए० (हिंदी) करने के बाद राजनाद गाँव के डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य आरंभ किया।
- इन्होंने अध्यापन, लेखन एवं पत्रकारिता सभी क्षेत्रों में अपनी योग्यता, प्रतिभा एवं कार्यक्षमता का परिचय दिया।
- मुक्तिबोध को जीवनपर्यत संघर्ष करना पड़ा और संघर्षशीलता ने इन्हें चिंतनशील एवं जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने को प्रेरित किया।
- 1964 ई० में यह महान चिंतक, दार्शनिक, पत्रकार एवं सजग लेखक तथा कवि इस संसार से चल बसा।
रचनाएँ- गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ की
रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) कविता-संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी
खाक-धूल।
(ii) कथा-साहित्य- काठ का सपना, विपात्र, सतह से
उठता आदमी।
(iii) आलोचना- कामायनी-एक पुनर्विचार, नई
कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा
की समस्याएँ एक साहित्यिक की डायरी।
(iv) भारत-इतिहास और
संस्कृति।
साहित्यिक विशेषताएँ- मुक्तिबोध प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रमुख
सूत्रधारों में थे। इनकी प्रतिभा का परिचय अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार
सप्तक’ से मिलता है। उनकी कविता में निहित मराठी संरचना
से प्रभावित लंबे वाक्यों ने आम पाठक के लिए कठिन बनाया, लेकिन
उनमें भावनात्मक और विचारात्मक ऊर्जा अटूट थी, जैसे कोई नैसर्गिक
अंत:स्रोत हो जो कभी चुकता ही नहीं, बल्कि लगातार
अधिकाधिक वेग और तीव्रता के साथ उमड़ता चला आता है। यह ऊर्जा अनेकानेक
कल्पना-चित्रों और फैंटेसियों का आकार ग्रहण कर लेती है। इनकी रचनात्मक ऊर्जा का
एक बहुत बड़ा अंश आलोचनात्मक लेखन और साहित्य-संबंधी चिंतन में सक्रिय रहे। ये
पत्रकार भी थे। इन्होंने राजनीतिक विषयों, अंतर्राष्ट्रीय
परिदृश्य तथा देश की आर्थिक समस्याओं पर लगातार लिखा है। कवि शमशेर बहादुर सिंह ने
इनकी कविता के बारे में लिखा है-
“…….. अद्भुत संकेतों से
भरी, जिज्ञासाओं से अस्थिर, कभी
दूर से शोर मचाती, कभी कानों में चुपचाप राज की बातें कहती
चलती है, हमारी बातें हमको सुनाती है। हम अपने को एकदम
चकित होकर देखते हैं और पहले से अधिक पहचानने लगते हैं।”
भाषा-शैली – इनकी भाषा उत्कृष्ट है। भावों के अनुरूप शब्द
गढ़ना और उसका परिष्कार करके उसे भाषा में प्रयुक्त करना भाषा-सौंदर्य की अद्भुत
विशेषता है। इन्होंने तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, अरबी
और फ़ारसी के शब्दों का भी प्रयोग किया है।
पाठ का सारांश-सहर्ष स्वीकारा है
प्रतिपादय- मुक्तिबोध की कविताएँ आमतौर पर लंबी होती हैं। इन्होंने जो भी छोटी
कविताएँ लिखी हैं उनमें एक है ‘सहर्ष स्वीकारा है‘ जो ‘भूरी-भूरी खाक-धूल‘ काव्य-संग्रह से ली गई है। एक होता है-‘स्वीकारना’ और दूसरा होता है-‘सहर्ष स्वीकारना’ यानी खुशी-खुशी स्वीकार करना। यह
कविता जीवन के सब सुख-दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक भाव से अंगीकार करने की प्रेरणा देती है। कवि को
जहाँ से यह प्रेरणा मिली, कविता प्रेरणा के उस उत्स तक भी हमको
ले जाती है।
उस विशिष्ट व्यक्ति या सत्ता के इसी ‘सहजता’ के चलते उसको स्वीकार किया था-कुछ इस
तरह स्वीकार किया था कि आज तक सामने नहीं भी है तो भी आस-पास उसके होने का एहसास
है-
“मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा
है!”
सार- कवि कहता है कि मेरे जीवन में जो कुछ भी
है, वह मुझे सहर्ष स्वीकार है। मुझे जो कुछ भी मिला
है, वह तुम्हारा दिया हुआ है तथा तुम्हें प्यारा है।
मेरी गवली गरीबी, विचार-वैभव, गंभीर
अनुभव, दृढ़ता, भावनाएँ आदि सब पर
तुम्हारा प्रभाव है। तुम्हारे साथ मेरा न जाने कौन-सा नाता है कि मैं जितनी भी
भावनाएँ बाहर निकालने का प्रयास करता हूँ, वे भावनाएँ उतनी ही
अधिक उमड़ती रहती हैं। तुम्हारा चेहरा मेरी ऊपरी धरती पर चाँद के समान अपनी कांति बिखेरता
रहता है।
कवि कहता है कि “मैं तुम्हारे
प्रभाव से दूर जाना चाहता हूँ क्योंकि मैं भीतर से दुर्बल पड़ने लगा हूँ। तुम्हीं
मुझे दंड दो ताकि मैं दक्षिण ध्रुव की अंधकारमयी अमावस्या की रात्रि के अँधेरों
में लुप्त हो जाऊँ। मैं तुम्हारे उजालेपन को अधिक सहन नहीं कर पा रहा हूँ।
तुम्हारी ममता की कोमलता भीतर से चुभने-सी लगी है। मेरी आत्मा कमजोर पड़ने लगी है।” वह
स्वयं को पाताली अँधेरों की गुफाओं में लापता होने की बात कहता है, किंतु
वहाँ भी उसे प्रियतम का सहारा है।
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CLASS -12 हिंदी
अनिवार्य
गजानन माधव
‘मुक्तिबोध’ ‘सहर्ष स्वीकारा है‘
प्रश्न -1. तार सप्तक किस कवि द्वारा
सम्पादित है ?
उत्तर तार सप्तक एक काव्य संग्रह है। अज्ञेय द्वारा 1943 ई० में नयी कविता के प्रणयन हेतु सात कवियों का एक मण्डल बनाकर तार सप्तक का संकलन एवं संपादन किया गया। तार सप्तक नयी कविता का प्रस्थान बिंदु माना जाता है।
प्रश्न -2. गजानन
माधव ‘मुक्तिबोध’ द्वारा
रचित किन्ही दो कविता संग्रह के नाम व आलोचना से सम्बन्धित किसी एक रचना का नाम
लिखिए |
उत्तर कविता-संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी
खाक-धूल।
आलोचना- कामायनी-एक पुनर्विचार, नई
कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा
की समस्याएँ एक साहित्यिक की डायरी।
प्रश्न -3.कवि के अनुसार मनुष्य की
संपूर्ण चेतना की कबीरी चादर किस प्रकार के भावो से बनी है ?
उत्तर अनुभव ,चेतना रूपी भावो व् सभी
प्रकार के भावो से मिलकर बनी हुई है |
प्रश्न -4.कवि की अपेक्षाकृत छोटे आकार
की कविता का शीर्षक लिखिए तथा यह भी बताइए वह रचना कोंसे संग्रह से ली गई है ?
उत्तर मुक्तिबोध ने जो छोटी कविताएँ लिखी हैं उनमें एक है ‘सहर्ष स्वीकारा है‘ जो ‘भूरी-भूरी खाक-धूल‘ काव्य-संग्रह से ली गई है।
प्रश्न -5.सही अथवा गलत बताइए-
अ-कवि का पत्रकारिता से कोई सरोकार नही
था |
ब-मुक्तिबोध की अधिकतर रचनाओ में लम्बे
वाक्यों का प्रयोग हुआ है |
स-कवि ने पाठ्यपुस्तको का लेखन कार्य भी
किया है |
द- कवि के पिता का नाम गजानन था |
उत्तर गलत ,सही ,सही, गलत