राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड: कक्षा 10वीं हिंदी पाठ्यपुस्तक आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर ,उत्साह & अट नहीं रही सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
अध्याय -05 उत्साह
& अट
नहीं रही सूर्यकांत
त्रिपाठी 'निराला'
जीवन
परिचय- सूर्यकांत
त्रिपाठी 'निराला'
- जन्म बंगाल के महिषादल में सन 1899 में
- ये मूलतः गढ़ाकोला, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश के निवासी थे।
- पिता– रामसहाय त्रिपाठी
- औपचारिक शिक्षा नवीं तक महिषादल में ही हुई।
- इन्होने स्वंय अध्ययन कर संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित किया।
- रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की विचारधारा ने इनपर गहरा प्रभाव डाला।
- सन 1961 में इनकी मृत्यु हुई।
साहित्यिक परिचय-
1. काव्य– परिमल, गीतिका, तुलसीदास, अनामिका, अणिमा, कुकुरमुत्ता, बेला, नये पत्ते, गीत कुंज आदि।
2. उपन्यास– अप्सरा, अलका, प्रभावती, चमेली, निरुपमा आदि।
3. कहानी संग्रह– लिली, सखी, चतुरी चमार आदि।
4. रेखाचित्र– कुल्ली भाट, बिल्लेसुर, बकरिहा आदि।
5. निबन्ध संग्रह– प्रबन्ध पद्य, प्रबन्ध परिचय आदि।
6. जीवनियाँ– राणा प्रताप, भीष्म, प्रह्लाद, ध्रुव, शकुंतला।
7. अनूदित
ग्रन्थ– दुर्गेश नन्दिनी, रजनी, युगलांगुलीय, राधा रानी।
उत्साह
प्रस्तुत कविता एक
आह्वाहन गीत है। इसमें कवि बादल से घनघोर गर्जन के साथ बरसने की अपील कर रहे हैं।
बादल बच्चों के काले घुंघराले बालों जैसे हैं। कवि बादल से बरसकर सबकी प्यास
बुझाने और गरज कर सुखी बनाने का आग्रह कर रहे हैं। कवि बादल में नवजीवन प्रदान
करने वाला बारिश तथा सबकुछ तहस-नहस कर देने वाला वज्रपात दोनों
देखते हैं इसलिए वे बादल से अनुरोध करते हैं कि वह अपने कठोर
वज्रशक्ति को अपने भीतर छुपाकर सब में नई स्फूर्ति और नया जीवन डालने के लिए
मूसलाधार बारिश करे।
आकाश में
उमड़ते-घुमड़ते बादल को देखकर कवि को लगता है की वे बेचैन से हैं तभी उन्हें याद आता
है कि समस्त धरती भीषण गर्मी से परेशान है इसलिए आकाश की अनजान दिशा से आकर
काले-काले बादल पूरी तपती हुई धरती को शीतलता प्रदान करने के लिए बेचैन हो रहे
हैं। कवि आग्रह करते हैं की बादल खूब गरजे और बरसे और सारे धरती को तृप्त करे।
अट नहीं रही
प्रस्तुत कविता में कवि ने फागुन का मानवीकरण
चित्र प्रस्तुत किया है। फागुन यानी फ़रवरी-मार्च के महीने में वसंत ऋतू का आगमन
होता है। इस ऋतू में पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते आते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों की बहार छा जाती है और उनकी सुगंध से सारा वातावरण महक उठता
है। कवि को ऐसा प्रतीत होता है मानो फागुन के सांस लेने पर सब जगह सुगंध फैल गयी
हो। वे चाहकर भी अपनी आँखे इस प्राकृतिक सुंदरता से हटा नही सकते।
इस मौसम में बाग़-बगीचों, वन-उपवनों के सभी
पेड़-पौधे नए-नए पत्तों से लद गए हैं, कहीं यहीं लाल रंग
के हैं तो कहीं हरे और डालियाँ अनगिनत फूलों से लद गए हैं जिससे कवि
को ऐसा लग रहा है जैसे प्रकृति देवी ने अपने गले रंग बिरंगे और
सुगन्धित फूलों की माला पहन रखी हो। इस सर्वव्यापी सुंदरता का कवि को कहीं ओऱ-छोर
नजर नही आ रहा है इसलिए कवि कहते हैं की फागुन की सुंदरता अट नही रही है।
परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण
सप्रसंग व्याख्या
बादल,
गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना। के-से पाले,
विद्युत छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले
वज्र छिपा नूतन कविता
फिर भर दो-
बादल गरजो!
प्रसंग- यहाँ कवि निराला ने बादल को संबोधित किया है। बादल का आहवान
करते हुए कवि ने कहा है की -
भावार्थ - उत्साह कविता में कवि कहता है की हे बादल! तुम
गरजना करते हुए आओ। तुम उमड़-घुमड़ कर ऊँची आवाज करते हुए संपूर्ण आकाश को घेरते
हुए छा जाओ। अरे बादल! तुम सुन्दर, सुन्दर और
घुमावदार काले रंग वाले हो और तुम बच्चों की विचित्र कल्पनाओं की पतवारों तथा
पालों के समान लगते हो। हे नवजीवन प्रदान करने वाले बादल रूपी कवि! तुम्हारे हृदय
में बिजली की कांति और वज्र के समान कठोर गर्जना छिपी हुई है। तुम अपनी बिजली की
चमक और भीषण गर्जना से जनमानस में एक नई चेतना का संचार कर दो। कवि बादल के गर्जने
का आह्वान करता है।
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो-
बादल, गरजो!
प्रसंग- यहाँ कवि ने बादल को नयी कल्पना और नये अंकुर के लिए विनाश, विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला बताया है।
भावार्थ- उत्साह कविता में कवि कहता है की संसार के सभी लोग गर्मी के कारण व्याकुल और अनमने हो रहे थे। संसार के संपूर्ण मानव-समुदाय में बदलाव के परिणामस्वरूप व्याकुलता और अनमनी परिस्थितियों का वातावरण बना हुआ था। साहित्य के द्वारा ही समाज में चेतना का भाव आने का भरोसा बना है। हे कभी न समाप्त होने बादल! तुम्हारा अनजान दिशा से आगमन हुआ है। यह धरती गर्मी से तप रही है. तुम जल बरसाकर इसे शीतल कर दो. साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को इस प्रकार प्रेरित करें कि संसार में विचारों के मतभेदों से होने वाली क्रांतियों का वातावरण शांत हो जाए। हे बादल! तुम घोर गर्जन करते हुए आकाश मण्डल में छा जाओ।
परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.कवि बादल से
फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के
लिए कहता है, क्यों?
उत्तर-बच्चे
की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसके उदास-गंभीर मन में
जान आ जाती है। उसे ऐसे लगता है मानो उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों।
मानो पत्थर जैसे दिल में प्यार की धारा उमड़ पड़ी हो या बबूल के पेड़ से शेफालिका
के फूल झरने लगे हों।।
क्यों
बच्चे की निश्छलता और पिता की ममता के कारण ही कवि-मन इस तरह प्रभावित होता है। ”
प्रश्न 2.कवि ने
क्रांति लाने के लिए किसका आह्वान किया है और क्यों ?
उत्तर-कवि
ने क्रांति लाने के लिए बादलों का आह्वान किया है। कवि का मानना है कि बादल
क्रांतिदूत हैं। उनके अंदर घोर गर्जना की शक्ति है जो लोगों को जागरूक करने में
सक्षम है। इसके अलावा बादलों के हृदय में बिजली छिपी है।
प्रश्न 3.कवि निराला बादलों में क्या-क्या संभावनाएँ देखते हैं?
उत्तर-कवि निराला बादलों में
निम्नलिखित संभावनाएँ देखते हैं
· बादल लोगों को क्रांति लाने योग्य
बनाने में समर्थ हैं।
· बादल धरती और धरती के प्राणियों दोनों
को नवजीवन प्रदान करते हैं।
· बादल धरती और लोगों का ताप हरकर
शीतलता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 4.‘अट नहीं रही
है’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-‘अट नहीं रही है’ कविता
में फागुन महीने के सौंदर्य का वर्णन है। इस महीने में प्राकृतिक सौंदर्य कहीं भी
नहीं समा रहा है और धरती पर बाहर बिखर गया है। इस महीने सुगंधित हवाएँ वातावरण को
महका रही हैं। पेड़ों पर आए लाल-हरे पत्ते और फूलों से यह सौंदर्य और भी बढ़ गया
है। इससे मन में उमंगें उड़ान भरने लगी हैं।
प्रश्न 5.‘उत्साह’ कविता का
उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कवि
ने ‘उत्साह’ कविता
में बादलों का आह्वान करते हुए क्रांति लाने के लिए कहा है। इस कविता में बादलों
को क्रांतिदूत मानकर सोए, अलसाए और कर्तव्यविमुख लोगों को क्रांति
लाने के लिए प्रेरित किया गया है। इस क्रांति या विप्लव के बिना समाज की जड़ता और
कर्तव्यविमुखता में परिवर्तन लाना संभव नहीं है। लोगों में उत्साह भरना ही ‘उत्साह’ कविता
का उद्देश्य है।
प्रश्न 6.‘कहीं साँस
लेते हो’ ऐसा कवि ने किसके लिए कहा है और क्यों?
अथवा
कवि ने
फागुन का मानवीकरण कैसे किया है? ।
उत्तर-फागुन
महीने में तेज हवाएँ चलती हैं जिनसे पत्तियों की सरसराहट के बीच साँय-साँय की
आवाज़ आती है। इसे सुनकर ऐसा लगता है, मानो
फागुन साँस ले रहा है। कवि इन हवाओं में फागुन के साँस लेने की कल्पना कर रहा है।
इस तरह कवि ने फागुन का मानवीकरण किया है।
उम्मीद है पोस्ट आपको पसंद आई हो
तो पोस्ट like share और कमेंट जरुर करे और अपने मिलने वालो को
अवश्य बताये !
उपर दी गई जानकारी मे अगर यदि आपका कोई भी विचार,सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में
जरूर बताइए जिससे हम आपकी मदद कर सकें !
अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे Like
और share जरूर करें ! इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…