घूंघट प्रथा पर अनोखी रचना

घूंघट प्रथा पर अनोखी रचना



-------------(घूँघट)------------
सुबै   स्याम   दोपार  डावड़ी, 
मुँडै   घूँघट    सार   डावड़ी l
मूंडो   ढकणु  काण  काईदो, 
थारै   खातर  भार   डावड़ी l
घूँघट  जै  माथै   सरक्यौ  तो, 
काडै  गाळ्यां  च्यार डावड़ी l
रूढ़िवाद  री   लीक   पीटर्यां,
सास  ससुर  भरतार डावड़ी l
घूँघट  अाज   अज्ञान  अंधेरों, 
कियां  पड़सी   पार  डावड़ी l
भरी  दोपारी काम  करै  नित, 
इण  घूँघट  कै भार  डावड़ी l
घूँघट  लारै  सबळा   छिपग्यां, 
गैणूं  और  सिंणगार  डावड़ी l
घूँघट  मैट,  मान  रख  छोको, 
घर  गृहस्थी  रौ  सार डावड़ी l
बेटी  बहू  बण  दो  कुण  त्यारै, 
थारै   स्युं   परिवार    डावड़ी l
हिळमीळ सबळा हेत राखीज्यै,
मन  उमंग  झंणकार   डावड़ी l
घूँघट   मैट  रख  ज्ञान   चांदणूं 
तु   तो   है   हकदार   डावड़ी l
             .....©®ओम"बटाऊ"

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