व्यावहारिक व्याकरण एवं रचना
कक्षा-12 विषय- हिन्दी अनिवार्य
भाषा :- ‘‘भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा हम बोलकर या लिखकर परस्पर विचारों का आदान प्रदान करते है ।”
v ‘भाषा’ शब्द की व्युत्पत्ति – ‘भाषा’ शब्द संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से बना है।
v जिसका अर्थ है = “व्यक्त वाणी अथार्थ – बोलना / प्रकट करना
।
बोलना –पढना -लिखना
v परिभाषा – व्यक्त वाणी के रूप में जिसकी अभिव्यक्ति की जाती है, उसे ‘भाषा’ कहते हैं।
भाषा की विशेषताएं :-
1. भाषा विचार विनिमय का साधन है ।
2. भाषा परिवर्तन शील है ।(कठिन से सरल)
3. भाषा अर्जित सम्पति है ।
भाषा के भेद / रूप :-
भाषा के भेद
लिखित भाषा मोखिक भाषा
1.लिखित भाषा :-
v जब व्यक्ति
अपने विचरों को लिखकर व्यक्त करता है, तो उसे लिखित
भाषा कहते है।
v यह भाषा का
स्थाई रूप होता है ।
v लिखित भाषा का
प्रयोग:- ग्रन्थ , पुस्तकें ,समाचार-पत्र, पत्र
-पत्रिकाएँ , कहानी, जीवनी, संस्मरण, तार आदि लिखने
में ।
v लिखित रूप
भाषा को मानकता एवम स्थाई रूप प्रदान करता है |
2. मौखिक भाषा :-
v जब हम अपने
विचरों को बोलकर या सुनकर व्यक्त करते है,तो उसे मौखिक
भाषा कहते हैं ।
v भाषा का
मूलरूप मौखिक भाषा है |
v बोलचाल की
भाषा को मौखिक भाषा कहते हैं।
v मौखिक भाषा का
प्रयोग तभी होता है जब श्रोता सामने होता है जैसे -:- टेलीफ़ोन, दूरदर्शन,वार्तालाप, नाटक, रेडियो फ़िल्म,नाटक,संवाद एवं भाषण आदि सुनने में
v मौखिक रूप हमे
सहज ही घर,परिवार,समाज के वातावरण से प्राप्त होता है।
सांकेतिक भाषा :- जब संकेतों (इशारों) के द्वारा बात समझाई और
समझी जाती है, तब वह सांकेतिक भाषा कहलाती है।
v जिन संकेतो के
द्वारा बच्चे या गूँगे अपनी बात दूसरों को समझाते है, तो यह सांकेतिक भाषा कहलाती है।
सांकेतिक भाषा का प्रयोग - चौराहे पर यातायात को नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर व्यक्तियों का वार्तालाप आदि में ।
मौखिक भाषा और लिखित भाषा में अंतर :-
मौखिक भाषा |
लिखित भाषा |
मौखिक भाषा
उच्चारण का विषय है । |
लिखित भाषा
लेखन का विषय है । |
मौखिक भाषा
अस्थाई |
लिखित भाषा
स्थाई |
मौखिक भाषा
क्षेत्र सीमित |
लिखित भाषा
क्षेत्र व्यापक |
भाषा व्याकरण एवं लिपि भाग -2 अगली पोस्ट में जरुर पढ़े ........................
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