google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 कक्षा -11&12 फ़ीचर लेखन |अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्य-पुस्तक |NCER /CBSE/RBSE

कक्षा -11&12 फ़ीचर लेखन |अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्य-पुस्तक |NCER /CBSE/RBSE

फ़ीचर परिभाषा  :-

v  फ़ीचर’ (Feature) अंग्रेजी भाषा का शब्द है।

v  इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के फैक्ट्रा (Fectura) शब्द से हुई है।

v  शब्दकोशों के अनुसार फ़ीचर के  लिए स्वरूप, आकृति, रूपरेखा, लक्षण, व्यक्तित्व आदि अर्थ प्रचलन में हैं।

v  हिंदी के कुछ विद्वान इसके लिए रूपकशब्द का प्रयोग भी करते हैं लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्तमान में फ़ीचरशब्द ही प्रचलन में है।

v  फ़ीचर एक सुव्यवस्थित,सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है ।

v  डॉ० सजीव भानावत का कहना है-फ़ीचर वस्तुतः भावनाओं का सरस, मधुर और अनुभूतिपूर्ण वर्णन है।

v  यह सूचनाओं को सम्प्रेषित करने का ऐसा साहित्यिक रूप है जो भाव और कल्पना के रस से आप्त होकर पाठक को भी इसमें भिगो देता है।

फ़ीचर लेखन की शैली/ महत्त्व एवं उद्देश्य :-

v  फ़ीचर की थीम होना आवश्यक है 

v  इसकी लेखन शैली पूर्णतया कलात्मक और कथात्मक होती है ।

v  इसमें सरलता ,स्पष्ठता,मर्मस्पर्शीता,सजीवता और विनोद का पूट रहता है ।

v  फ़ीचर लेखन का उद्देश्य पाठको को सूचना देना ,शिक्षित करना ,और मुख्य उद्देश्य है मनोरंजन करना 

v  फ़ीचर आमतोर पर तथ्यों ,सूचनाओ और विचारों पर आधारित कथात्मक विवरण और विश्लेषण होता है 

v  कम शब्दों में अधिक कहना साहित्यिक पुट ,सरल वाक्य रचना,अभिव्यक्ति तारतम्य ,सूक्त कथनों का प्रयोग ,तथा विषयानुरूप भाषा प्रयोगआदि विशेषताओ का ध्यान रखा जाता है ।

v  अच्छे और रोचक फ़ीचर के साथ फोटो ,रेखांकन ,ग्राफिक्स ,होना आवश्यक

v  फ़ीचर समाज के विविध विषयों पर अपनी सटीक टिप्पणियाँ देते हैं।

v  लेखक फ़ीचर के माध्यम से प्रतिदिन घटने वाली विशिष्ट घटनाओं और सूचनाओं को अपने केंद्र में रखकर उस पर गंभीर चिंतन करता है।

 

फ़ीचर के प्रकार :- पत्रकारिता के क्षेत्र में जितने विषयों के आधार पर समाचार बनते हैं उससे कहीं अधिक विषयों पर फ़ीचर लेखन किया जा सकता है। विषय-वैविध्य के कारण इसे कई भागों-उपभागों में बाँटा जा सकता है।

v  सामाजिक सांस्कृतिक फ़ीचर इसके अंतर्गत सामाजिक जीवन के अंतर्गत रीति-रिवाज, परंपराओं, त्योहारों, मेलों, कला, खेल-कूद, शैक्षिक, तीर्थ, धर्म संबंधी, सांस्कृतिक विरासतों आदि विषयों को रखा जा सकता है।

v  घटनापरक फ़ीचर इसमें युद्ध,अकाल,दंगे,दुर्घटनायें,बीमारियाँ,आंदोलन आदि से संबंधित विषयों को रखा जा सकता है।

v  प्राकृतिक फ़ीचर-इसके अंतर्गत प्रकृति संबंधी विषयों जैसे -पर्वतारोहण, यात्राओं को , प्रकृति की विभिन्न छटाओं को , पर्यटन स्थलों आदि को रखा जा सकता है।

v  राजनीतिक फ़ीचर इसमें राजनीतिक गतिविधियों, घटनाओं, विचारों,आदि से संबंधित विषयों को रखा जा सकता है।

v  साहित्यिक फ़ीचर इसमें साहित्य से संबंधित गतिविधियों,पुस्तकों, साहित्यकारों आदि विषयों को रखा जा सकता है।

v  समाचार फ़ीचर अथवा तात्कालिक फ़ीचर तात्कालिक घटने वाली किसी घटना पर तैयार किए गए समाचार पर आधारित फ़ीचर को समाचारी या तात्कालिक फ़ीचर कहा जाता है। इसके अंतर्गत तथ्य अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं,

v  विशिष्ट फ़ीचर जहाँ समाचारी फ़ीचर में तत्काल घटने वाली घटनाओं आदि का महत्त्व अधिक होता है वहीं विशिष्टफ़ीचर में घटनाओं को बीते भले ही समय क्यों न हो गया हो लेकिन उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहती है। जैसे प्रकृति की छटाओं या ऋतुओं, ऐतिहासिक स्थलों, महापुरुषों एवं लम्बे समय तक याद रहने वाली घटनाओं आदि पर लिखे गए लेखक किसी भी समय प्रकाशित किए जा सकते हैं। जैसे-दीपावली या होली इन त्यौहारों से संबंधित पौराणिक या ऐतिहासिक संदर्भो को लेकर लिखे फ़ीचर, महात्मा गांधी जयंती या सुभाषचंद्र बोस जयंती पर गांधी जी अथवा सुभाषचंद्र बोस के जीवन और विचारों पर प्रकाश डालने वाले फ़ीचर आदि।

 

फ़ीचर की विशेषताएँ :- एक अच्छे फ़ीचर में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए

v  सत्यता या तथ्यात्मकता किसी भी फ़ीचर लेख के लिए सत्यता या तथ्यात्मकता का गुण अनिवार्य है। तथ्यों से रहित किसी अविश्वनीय सूत्र को आधार बनाकर लिखे गए लेख फ़ीचर के अंतर्गत नहीं आते हैं। यदि वे तथ्य सत्य से परे हैं या उनकी प्रामाणिकता संदिग्ध है तो ऐसे तथ्यों पर फ़ीचर नहीं लिखा जाना चाहिए।

v  गंभीरता एवं रोचकताफ़ीचर में भावों और कल्पना के आगमन से उसमें रोचकता तो आ जाती है किंतु ऐसा नहीं कि वह विषय के प्रति गंभीर न हो। उसके गंभीर चिंतन के परिणामों को ही फ़ीचर द्वारा रोचक शैली में संप्रेषित किया जाता है।

v  मौलिकता-सामान्यतः एक ही विषय को आधार बनाकर अनेक लेखक उस पर फ़ीचर लिखते हैं। उनमें से जो फ़ीचर अपनी मौलिक पहचान बना पाने में सफल होता है वही फ़ीचर एक आदर्श फ़ीचर कहलाता है। लेखक जितने अधिक तथ्यों को गहनता से विश्लेषित कर उसे अपनी दृष्टि और शैली से अभिव्यक्ति प्रदान करता है उतना ही उसका फ़ीचर लेख मौलिक कहलाता है।

v  सामाजिक दायित्व बोध-कोई भी रचना निरुद्देश्य नहीं होती। उसी तरह फ़ीचर भी किसी न किसी विशिष्ट उद्देश्य से युक्त होता है। फ़ीचर का उद्देश्य सामाजिक दायित्व बोध से संबद्ध होना चाहिए क्योंकि फ़ीचर समाज के लिए ही लिखा जाता है इसलिए समाज के विभिन्न वर्गों पर उसका प्रभाव पड़ना अपेक्षित है।

v  संक्षिप्तता एवं पूर्णताफ़ीचर लेख का आकार अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए। कम-से-कम शब्दों में गागर में सागर भरने की कला ही फ़ीचर लेख की प्रमुख विशेषता है लेकिन फ़ीचर लेख इतना छोटा भी न हो कि वह विषय को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त कर पाने में सक्षम ही न हो।

v  चित्रात्मकता-फ़ीचर सीधी-सपाट शैली में न होकर चित्रात्मक होना चाहिए। सीधी और सपाट शैली में लिखे गए फ़ीचर पाठक पर अपेक्षित प्रभाव नहीं डालते। फ़ीचर को पढ़ते हुए पाठक के मन में उस विषय का एक ऐसा चित्र या बिम्ब उभरकर आना चाहिए जिसे आधार बनाकर लेखक ने फ़ीचर लिखा है।

v  लालित्ययुक्त भाषा फ़ीचर की भाषा सहज, सरल और कलात्मक होनी चाहिए। लालित्यपूर्ण भाषा द्वारा ही गंभीर से गंभीर विषय को रोचक एवं पठनीय बनाया जा सकता है।

v  उपयुक्त शीर्षक-एक उत्कृष्ट फ़ीचर के लिए उपयुक्त शीर्षक भी होना चाहिए। शीर्षक ऐसा होना चाहिए जो फ़ीचर के विषय, भाव या संवेदना का पूर्ण बोध करा पाने में सक्षम हो। फ़ीचर को आकर्षक एवं रुचिकर बनाने के लिए काव्यात्मक, कलात्मक, आश्चर्यबोधक, भावात्मक, प्रश्नात्मक आदि शीर्षकों को रखा जाना चाहिए।

 

फ़ीचर लेखक में में गुण:- फ़ीचर लेखक में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है।

v  विशेषज्ञता-फ़ीचर लेखक जिस विषय को आधार बनाकर उस पर लेख लिख रहा है उसमें उसका विशेषाधिकार होना चाहिए। विषय से संबंधित विशेषज्ञ व्यक्ति को अपने क्षेत्राधिकार के विषय पर लेख लिखने चाहिए।

v  बहुज्ञता-फ़ीचर लेखक को बहुज्ञ भी होना चाहिए। उसे धर्म, दर्शन, संस्कृति, समाज, साहित्य, इतिहास आदि विविध विषयों की समझ होनी चाहिए। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न लेखक अपने फ़ीचर को आकर्षक, प्रभावशाली तथा तथ्यात्मकता से परिपूर्ण बना सकता है।

v  परिवेश की प्रति जागरूक-फ़ीचर लेखक को समसामयिक परिस्थितियों के प्रति सदैव जागरूक रहना चाहिए। समाज की प्रत्येक घटना आम आदमी के लिए सामान्य घटना हो सकती है लेकिन जागरूक लेखक के लिए वह घटना अत्यंत महत्त्वपूर्ण बन सकती है।

v  आत्मविश्वास-फ़ीचर लेखक को अपने ऊपर दृढ़ विश्वास होना चाहिए। उसे किसी भी प्रकार के विषय के भीतर झाँकने और उसकी प्रवृत्तियों को पकड़ने की क्षमता के लिए सबसे पहले स्वयं पर ही विश्वास करना होगा।

v  निष्पक्ष दृष्टि-फ़ीचर लेखक के लिए आवश्यक है कि वह जिस उद्देश्य की प्रतिपूर्ति के लिए फ़ीचर लेख लिख रहा है उस विषय के साथ वह पूर्ण न्याय कर सके। उसे संकीर्ण दृष्टि से मुक्त हो किसी वाद या मत के प्रति अधिक आग्रहशील नहीं रहना चाहिए।

v  भाषा पर पूर्ण अधिकार-फ़ीचर लेखक का भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए। भाषा के द्वारा ही वह फ़ीचर को लालित्यता और मधुरता से युक्त कर सकता है। विषय में प्रस्तुत भाव और विचार के अनुकूल सक्षम भाषा में कलात्मक प्रयोगों के सहारे लेखक अपने मंतव्य तक सहजता से पहँच सकता है।

 

फीचर लेखन में ध्यान देने योग्य  बातें:-

v  फीचर को सजीव बनाने के लिए उसमें उस विषय से जुड़े पात्रों  की मौजूदगी जरूरी है।

v  फीचर के कथ्य को पात्रों के माध्यम से बतलाना चाहिए।

v  कहानी को बताने का अंदाज ऐसा हो कि पाठक यह महसूस करे कि वे खुद देख और सुन रहे हैं।

v  फीचर मनोरंजक होने के साथ सूचनात्मक होना चाहिए।

v  फीचर तथ्यों, सूचनाओं और विचारों पर आधारित कथात्मक विवरण और विश्लेषण होता है।

v  फीचर लेखन का कोई निश्चित ढाँचा/फार्मूला नहीं होता,इसे कहीं से भी प्रारंभ, मध्य या अंत से शुरू किया जा सकता है।

v  उत्कृष्ट फ़ीचर लेखन के लिए फ़ीचर लेखक को ऐसे विषय का चयन करना चाहिए. जो रोचक और ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ उसकी अपनी रुचि का भी हो।

v  फ़ीचर का विषय ऐसा हो जो तत्काल घटित घटनाओं को आधार बनाकर ही लेखक को विषय का चयन करना चाहिए।

v  त्यौहारों, जयंतियों, खेलों, चुनावों, दुर्घटनाओं आदि जैसे विशिष्ट अवसरों पर लेखक को विशेष रूप से संबंधित विषयों का ही चयन करना चाहिए।

v  फ़ीचर लेखक अपने लेख को अत्यधित पठनीय और प्रभावी बनाने के लिए साहित्य की प्रमुख गद्य विधाओं में से किसी का सहारा ले सकता है।

v  आजकल कहानी, रिपोर्ताज,डायरी,पत्र,लेख,निबंध,यात्रा-वृत्त आदि आधुनिक विधाओं में अनेक फ़ीचर लेख लिखे जा रहे हैं।

v  छायाचित्रों से फ़ीचर में जीवंतता और आकर्षण का भाव भर जाता है।

v  छायाचित्रों से युक्त फ़ीचर विषय-वस्तु को प्रतिपादित करने वाले और उसे परिपूर्ण बनाने में सक्षम होने चाहिए।

v  अपने लेखन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए फ़ीचर लेखक अपने लेख के साथ विषय से संबंधित सुंदर और उत्कृष्ट छायाचित्रों का चयन भी कर सकता है।

 

                               भ्रष्टाचार की फैलती विष बेल पर फ़ीचर

आधुनिक युग को यदि भ्रष्टाचार का युग कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रत्येक व्यक्ति भ्रष्टाचार का प्रतीक बनकर रह गया है। सामाजिक धरातल पर देखें तो यही नज़र आता है कि समाज में धन कमाने की लालसा बढ़ती ही जा रही है। प्रत्येक व्यक्ति अधिक धनी बनने के लालच के कारण अनेक प्रकार के अनुचित बुरे अथवा भ्रष्ट आचरण करता है। व्यापारी लोग अधिक धन कमाने के लिए खाने-पीने की सामान्य वस्तुओं में मिलावट करते हैं। सिंथेटिक दूध बेचकर लोग लाखों लोगों के स्वस्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। इस दूध में यूरिया तथा अन्य हानिकारक पदार्थ मिलाए जाते हैं। विभिन्न समाचार चैनलों तथा समाचार पत्रों में बताया गया था कि कोल्ड ड्रिंक्स में भी कीटनाशक जहर मिलाया जा रहा है। नकली दवाइयाँ खाकर लोग अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं। इसी प्रकार फलों और सब्जियों को भी रासायनिक पदार्थों द्वारा धोकर और पकाकर आकर्षक बनाया जाता है।

पर्यटन के महत्त्व पर एक फ़ीचर

पर्यटन करना, घूमना, घुमक्कड़ी का ही आधुनिकतम नाम है। आज के पर्यटन के पीछे भी मनुष्य की घुमक्कड़ प्रवृत्ति ही कार्य कर रही है। आज भी जब वह देश-विदेश के प्रसिद्ध स्थानों की विशेषताओं के बारे में जब सुनता-पढ़ता है, तो उन्हें निकट से देखने, जानने के लिए उत्सुक हो उठता है। वह अपनी सुविधा और अवसर के अनुसार उस ओर निकल पड़ता है। आदिम घुमक्कड़ और आज के पर्यटक में इतना अंतर अवश्य है कि आज पर्यटन उतना कष्ट-साध्य नहीं है जितनी घुमक्कड़ी वृत्ति थी। ज्ञान-विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषणों की जादुई शक्ति के कारण एवं सुलभ साधनों के कारण आज पर्यटन पर निकलने के लिए अधिक सोच-विचार की आवश्यकता नहीं होती। आज तो मात्र सुविधा और संसाधन चाहिए। इतना अवश्य मानना पड़ेगा कि पर्यटक बनने का जोखिम भरा आनंद तो उन पर्यटकों को ही आया होगा जिन्होंने अभावों और विषम परिस्थितियों से जूझते हुए देश-विदेश की यात्राएँ की होगी। फाह्यान, वेनसांग, अलबेरुनी, इब्नबतूता, मार्को पोलो आदि ऐसे ही यात्री थे। पर्यटन के साधनों की सहज सुलभता के बावजूद आज भी पर्यटकों  में पुराने जमाने के पर्यटकों की तरह उत्साह, धैर्य साहसिकता, जोखिम उठाने की तत्परता दिखाई देती है।

आज पर्यटन एक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो चुका है। इस उद्योग के प्रसार के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं। विश्वभर में पर्यटकों की सुविधा के लिए बड़े-बड़े पर्यटन केंद्र खुल चुके हैं।

 

भारतीय संस्कृति की महत्ता पर फ़ीचर 

सामाजिक संस्कारों का दूसरा नाम ही संस्कृति है। कोई भी समाज विरासत के रूप में इसे प्राप्त करता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि संस्कृति एक विशिष्ट जीवन शैली है। संस्कृति ऐसी सामाजिक विरासत है जिसके पीछे एक लंबी परंपरा होती है। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम तथा महत्त्वपूर्ण संस्कृतियों में से एक है। यह कब और कैसे विकसित हुई? यह कहना कठिन है प्राचीन ग्रंथों के आधार पर इसकी प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। वेद संसार के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। भारतीय संस्कृति के मूलरूप का परिचय हमें वेदों से ही मिलता है। वेदों की रचना ईसा से कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। सिंधु घाटी की सभ्यता का विवरण भी भारतीय संस्कृति की प्राचीनता पर पूर्णरूपेण प्रकाश डालता है। इसका इतना कालजयी और अखंड इतिहास इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है। मिस्र, यूनान और रोम आदि देशों की संस्कृतियाँ आज केवल इतिहास बन कर सामने हैं। जबकि भारतीय संस्कृति एक लंबी ऐतिहासिक परंपरा के साथ आज भी निरंतर विकास के मार्ग पर अग्रसर है। इकबाल के शब्दों में कहा जा सकता है कि

“यूनान, मिस्र, रोम, सब मिट गए जहाँ से।
कुछ बात है, कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।।“

 

अन्य महत्वपूर्ण फ़ीचर

1. स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत
2. “
जाति प्रथा : एक अभिशाप
3.
स्वच्छता अभियान।
4.
राष्ट्र उत्थान में युवाओ की भूमिका
5.
शिक्षा का बाज़ारीकरण।

6. शिक्षा का बदलता स्वरूप

7.योन हिंसा एवं नारी उत्पीडन

 

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