RBSE ,CBSE ,BSER आलेख लेखन कक्षा -11 &12

RBSE ,CBSE ,BSER आलेख लेखन कक्षा -11 &12

 

आलेख लेखन कक्षा -11 &12  

आलेख :-

v  आलेख वास्तव में लेख का ही प्रतिरूप होता है।

v  यह आकार में लेख से बड़ा होता है।

v  कई लोग इसे निबंध का रूप भी मानते हैं जो कि उचित भी है।

v  लेख में सामान्यत: किसी एक विषय से संबंधित विचार होते हैं।

v  आलेख में उपसर्ग लगता है जो कि यह प्रकट करता है कि आलेख सम्यक् और संपूर्ण होना चाहिए।

v  आलेख गद्य की वह विधा है जो किसी एक विषय पर सर्वांगपूर्ण और सम्यक् विचार प्रस्तुत करती है।

आलेख के गुण :- सार्थक आलेख के निम्नलिखित गुण हैं

v  नवीनता एवं ताजगी।

v  जिज्ञासाशील।

v  विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण ।

v  भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली।

v  एक ही बात पुनः न लिखी जाए।

v  विश्लेषण शैली का प्रयोग।

v  आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए।

v  आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए।

v  संबंधित बातों का पूरी तरह से उल्लेख हो।

आलेख लेखन के सम्बन्ध में प्रमुख बाते :-

1.    लेख लिखने से पूर्व विषय का चिंतन-मनन करके विषयवस्तु का विश्लेषण करना चाहिए।

2.    विषयवस्तु से संबंधित आँकड़ों व उदाहरणों का उपयुक्त संग्रह करना चाहिए।

3.    लेख में श्रृंखलाबद्धता होना जरूरी है।

4.    लेख की भाषा सरल, बोधगम्य व रोचक होनी चाहिए। वाक्य बहुत बड़े नहीं होने चाहिए। एक परिच्छेद में एक ही भाव व्यक्त करना चाहिए।

5.    लेख की प्रस्तावना व समापन में रोचकता होनी जरूरी है।

6.    विरोधाभास, दोहरापन, असंतुलन, तथ्यों की असंदिग्धता आदि से बचना चाहिए।

भारतीय क्रिकेट का सरताज : सचिन तेंदुलकर


                             पिछले पंद्रह सालों से भारत के लोग जिन-जिन हस्तियों के दीवाने हैं उनमें एक गौरवशाली नाम है-सचिन तेंदलकर। जैसे अमिताभ का अभिनय में मुकाबला नहीं, वैसे सचिन का क्रिकेट में कोई सानी नहीं। संसार-भर में एक यही खिलाड़ी है जिसने टेस्ट क्रिकेट के साथ-साथ वन-डे क्रिकेट में भी सर्वाधिक शतक बनाए हैं। अभी उसके क्रिकेट जीवन के कई वर्ष और बाकी हैं। यदि आगे आने वाला समय भी ऐसा ही गौरवशाली रहा तो उनके रिकार्ड को तोड़ने के लिए भगवान को फिर से नया अवतार लेना पड़ेगा। इसीलिए कुछ क्रिकेट-प्रेमी सचिन को क्रिकेट का भगवान तक कहते हैं। उसके प्रशंसकों ने हनुमान चालीसा की तर्ज पर सचिन-चालीसा भी लिख दी है।

                          मुंबई में बांद्रा-स्थित हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाला सचिन इतनी ऊँचाइयों पर पहँचने पर भी मासूम और विनयी है। अहंकार तो उसे छू तक नहीं गया है। अब भी उसे अपने बचपन के दोस्तों के साथ वैसा ही लगाव है जैसा पहले था। सचिन अपने परिवार के साथ बिताए हुए क्षणों को सर्वाधिक प्रिय क्षण मानता है। इतना व्यस्त होने पर भी उसे अपने पुत्र का टिफिन स्कूल पहुँचाना अच्छा लगता है।

                         सचिन ने केवल 15 वर्ष की आयु में पाकिस्तान की धरती पर अपने क्रिकेट-जीवन का पहला शतक जमाया था जो अपने-आप में एक रिकार्ड है। उसके बाद एक-पर-एक रिकार्ड बनते चले गए। अभी वह 21 वर्ष का भी नहीं हुआ था कि उसने टेस्ट क्रिकेट में 7 शतक ठोक दिए थे। उन्हें खेलता देखकर भारतीय लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर कहते थे-सचिन मेरा ही प्रतिरूप है।

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