धन्ना जाट का जीवन परिचय :Dhanna Jatt story in hindi

धन्ना जाट का जीवन परिचय :Dhanna Jatt story in hindi

धन्ना जाट का जीवन परिचय :Dhanna Jatt story in hindi

भक्त धन्ना जाट

धन्ना जाट का जीवन परिचय

v नाम धन्ना जाट

v प्रसिद्धि संत के रूप में

v धन्नाजी का जन्म – 1415 ई.वैशाख कृष्ण अष्टमी के दिन

v जन्म स्थान टोंक जिले के धुवन गांव जिला टोंक , राजस्थान (भारत)

v पिता - रामेश्वर जाट के परिवार में हुआ

v गुरु रामानंद जी

v 15वीं सदी में राजस्थान में धार्मिक आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय संत धन्नाजी को दिया जाता है !

v मुख्य मेला धमनगांव टोंक में लगता है जहां सर्वाधिक अनुयाई पंजाब जाते हैं !

धन्ना जाट का इतिहास :धन्ना जाट के पिता साधुसेवी और सरलहृदय साधारण किसान थे बहुत ही श्रद्धालु इंसान थे ! उनके यहाँ पर हमेशा विचरते हुए साधु-संत आकर एक-दो दिन रुक जाते थे ! और धन्ना जाट उस समय पाँच वर्ष के बालक थे ! और एके दिन उनके घर एक ब्राह्मण साधु पधारे ! साधु अपने हाथों कुएँ से जल निकालकर स्‍नान किया और झोली में से शालग्राम जी को निकालकर तुलसी, चन्‍दन-धूप-दीप आदि से पूजा भी की ! यह सब धन्‍ना बड़े ध्‍यान से पूजा देख रहे थे धन्ना ने ब्राह्मण से कहा कि पण्डित जी ! मुझे एक मूर्ति दो मैं भी पूजा करूँगा ! जाट के लड़के को शालग्राम तो कौन देने चला था; लेकिन बालक हठ करके रो रहा था ! इस कारण ब्राह्मण ने एक काला पत्‍थर पास से उठाकर दे दिया और कहा ! बेटा ! यही तुम्‍हारे भगवान हैं हमेशा इनकी पूजा किया करना !

धन्ना जाट की भक्ति : बाल्यकाल से धन्ना जाट का झुकाव भगवत् भक्ति (विष्णु की आराधना) की और अधिक था और एक दिन ये घर-बार छोड़कर बनारस चले गये ! और वहाँ रामानंद जी से दीक्षा ले उनके शिष्य बन गये संत धन्नाजी निर्गुण भक्ति के उपासक थे !  धन्नाजी मोक्ष प्राप्त में गृहस्थ जीवन को बाधक नहीं मानते लेकिन गुरु मार्गदर्शन को मोक्ष प्राप्ति में आवश्यक मानते हैं ! गुरु महत्त्व को समझाते हुए उन्होने कहा, कि जगत् में ईश्वर का‌ मार्गदर्शन मेरा गुरु है ! और जब मैं अपने गुरु की शिक्षा और‌ आदर्शों पर मनन करता हूँ तो हृदय को बड़ी शांति मिलती है !

v धन्ना जाट द्वारा‌ रचित पदों को धन्नाजी की आरती कहा जाता है !

v जाट धन्ना जी को मानने वाले विवाह में केवल गणेशजी की पूजा करते हैं !

v जाट धन्नाजी बीकानेर में अधिक प्रसिद्ध हैं इन्होंने कोई पंथ नहीं चलाया परंतु इनका पहनावा रामानंदी साधुओं के समान होता है !

धन्नाजी का खेत का किस्सा :-लोकमान्यता के अनुसार किसी खेत में पैदावार कम होती है या फसल की बीमारी ठीक नहीं होती है ! तो धन्ना जाट भक्त के खेत की मिट्टी ले जाकर डालने पर पैदावार अच्छी व बीमारी ठीक हो जाती है ! धन्ना भगत के गांव में अब भी प्रसिद्ध है एक बार सब के खेतों में गेहूं पैदा हुए और धन्ना जाट के खेत में तुंबे पैदा हुए ! जब खेतो में तुम्बो का ढेर लगा तो वहां के जागीरदार ने लाटा लिए बिना ही छोड़ दिया तो धन्ना  जाटने कहा !

कि मैं बिना लाटा दिए नहीं ले जाऊगा तो जागीरदार ने लाटे के दो तुम्बे लिए और इनको मौके पर ही फोड़ कर देखा ! तुम्बों के बीज की जगह मोती भरे मिले गांव के जागीरदार ने उसकी याद में गांव के दक्षिण- पश्चिम में एक तलाई का निर्माण भी करवाया ! इस तालाब का नाम  मोती तालाब रखा गया था !

इसको देश की आजादी के बाद राजस्थान सरकार ने विस्तार करके मोती सागर बांध बनवाया दिया 

ठाकुर की सेवा धन्ना जाट ने सवेरे स्‍नान करके भगवान को नहलाया चन्‍दन तो था नहीं, मिट्टी का ही तिलक किया भगवान को ! वृक्ष के हरे पत्ते चढ़ाये तुलसीदल के बदले फूल चढ़ाये और कुछ तिनके जलाकर धूप कर दीया और दीपक दिखा दिया ! हाथ जोड़कर प्रेम पूर्वक से दण्‍डवत की दोपहर में जब माता ने बाजरे की रोटियाँ खाने के लिए लाई ! धन्‍ना जाट उन रोटियो को भगवान के आगे रखकर आँखे बंद कर लीं ! और बीच-बीच में आँखें थोड़ी थोड़ी खोलकर देखते भी जाते थे कि भगवान खाते हैं की नहीं !

जब भगवान ने रोटी नहीं खायी तो इन्‍होंने हाथ जोड़कर बहुत ही प्रार्थना की ! इस पर भी भगवान को भोग लगाते न देख धन्ना जाट को बड़ा दु:ख हुआ और मन में आया की ! भगवान मुझसे नाराज हैं इसी लिए मेरी दी हुई रोटी नहीं खा रहे हे ! भगवान भूखे रहें और स्‍वयं खा लें  यह उनकी समझ में ही नहीं आ सका !

रोटी उठाकर वे जंगल में फेंककर आ गए कई दिन हो गये, ठाकुर जी खाते नहीं और धन्‍ना उपवास करते रहे  ! शरीर दुबला होता जा रहा था माता-पिता को कुछ पता नहीं चल रहा था ! कि उनके लड़के को क्‍या हुआ हो गया है  धन्‍ना को एक ही दु:ख हो रहा था  ठाकुर जी उनसे नाराज हैं ! उनकी रोटी खा नहीं रहे अपनी भूख-प्‍यास का उन्‍हें पता ही नहीं ! कब तक सरल बालक से ठाकुर जी नाराज रह पाते ! बाजरे की इतनी मीठी प्रेमभरी रोटियों को खाने का मन उनका कब तक नही होता !

ठाकुर जी का प्रकट होना धन्ना जाट के यहाँ एक दिन धन्‍ना ने जब रोटियाँ रखीं और ठाकुर जी प्रकट हो गये और भोग लगाना शुरू कर दिया ! जब आधी रोटी खा चुके थे तब बालक धन्ना जाट ने हाथ पकड़ लिया  और कहा ठाकुर जी ! इतने दिनों तक तुम आये क्यों नहीं  मुझे भूखों मारा और आज आये तो सब रोटी अकेले ही खा जाना चाहते हो ! मैं आज भी भूखा मर रहा हु मुझे थोड़ी रोटी भी नही दोगे क्या ! बची हुई रोटियाँ भगवान ने धन्‍ना को दीं  जो सुदामा के चावल द्वारिका के छपन भोग से भी मीठे थे !

महत्वपूर्ण  जानकारी :-पाँचवें सिक्ख गुरु अर्जुनदेव ने भी धन्ना जाट की भक्ति भाव के बारे में गुरुग्रंथ साहिबमें उल्लेख किया है ! की वह एक सिद्ध महापुरुष थे !

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  आभार :



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