“सोती हुई
गुर्जर कौम को जगाने वाले” कर्नल श्री किरोड़ी सिंह जी बैंसला
ज़ख़्म तो आएँगे पर मरहम नहीं आने वाला
सादगी का लिए कोई परचम नहीं आने वाला ।
आगे आने वाली कई सदियों को तरसना होगा
आगे कोई कर्नल नहीं आने वाला।। कर्नल बैंसला जी को समर्पित कविता
है ईश्वर!
आज आपने गलत किया ये फैसला
गुर्जर जाति
का कोहिनूर था बैंसला
इसी कर्नल ने लिया था गुर्जर आरक्षण का
फैसला । ।
गुर्जर जाति का का सिरमोर था बैंसला
इस शेर का
संघर्ष आरक्षण के लिए बहुत लम्बा चला
अरे ! गुर्जर
जाति के कोहिनूर तू हमे बीच में क्यों छोड़ चला
तेरी आरक्षण
की लड़ाई से बहुत परिवारों का हो गया भला
है कर्नल !तू हमे तू हमे बीच में क्यों छोड़ चला
है
कर्नल !तू हमे तू हमे बीच में क्यों छोड़ चला
.... आज सदी का वह सूरज अस्त हो गया जिसने हजारों जुगनुओं को अपनी रोशनी लुटा दी....निःशब्द..
"अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी शिक्षा
शिक्षित माँ, कर्ज मुक्त समाज "
ये जो मूल वाक्य आप छोड़कर गए हैं सदियों तक वो समाज को
दिशा दिखलाता रहेगा ।
यह समाज आपका सदैव ऋणी
रहेगा कर्नल साहब