कविता:पढ़ो ताकि अगली नस्लों को जीने का अंदाज़ दे सको!,

कविता:पढ़ो ताकि अगली नस्लों को जीने का अंदाज़ दे सको!,



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पढ़ो ताकि....
हिसाब दे सको!

पढ़ो ताकि
हिसाब ले सको!

पढ़ो ताकि
सवाल कर सको!

पढ़ो ताकि
जवाब दे सको!

पढ़ो ताकि
साज़िश समझकर
उसका मुकम्मल
पर्दाफाश कर सको!

पढ़ो ताकि
क़ाबिल बनकर!
हक़ के लिए
इंकलाब कर सको!

पढ़ो ताकि
दूसरों  से
बराबरी की
बहस कर सको!

पढ़ो ताकि
बग़ावत की
कोई माआनीखेज़
किताब दे सको!

पढ़ो ताकि
एक बेहतर मुल्क़
और ख़ूबसूरत 
मिल्लत  दे सको!

पढ़ो ताकि
गूंगी जनता को
छिनी हुई
आवाज़ दे सको।

पढ़ो ताकि
कटे पंखों को
एक ऊंची
परवाज़ दे सको!

पढ़ो ताकि
मुर्दा रस्मों को
अब चिता की
आग दे सको!

पढ़ो ताकि
स्याह दौर को
कुछ नए
चिराग़ दे सको!

पढ़ो ताकि
इंसानियत को
एक उम्र
दराज़ दे सको!

पढ़ो ताकि
चाहने वालों को
अपने दिल के
राज़ दे सको!

पढ़ो ताकि
अपनी शख्सियत को
एक गहरी
बुनियाद दे सको!

पढ़ो ताकि
अगली नस्लों को
जीने का
अंदाज़ दे सको!

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