google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Cyber Crime से सुरक्षित रहने का एकमात्र उपाय -साइबर इंश्‍योरेंस

Cyber Crime से सुरक्षित रहने का एकमात्र उपाय -साइबर इंश्‍योरेंस

डिजिटल लेन-देन (Digital Transactions) बढ़ने और इंटरनेट की हर क्षेत्र में पहुंच से साइबर अपराधों (cyber crimes) में भी बढ़ोतरी हो रही है. साइबर क्रिमिनल (Cyber Criminal) न केवल लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि लोगों की छवि भी धूमि कर रहे हैं.

 


Digital Transactions :-  डिजिटल लेन-देन और सोशल मीडिया (Social Media) का चलन तेजी से बढ़ा है. इससे वित्तीय और निजी जानकारियों के लीक होने और आर्थिक धोखाधड़ी होने का खतरा भी बढ़ गया है. आए दिन हम इस तरह की धोखाधड़ी के बारे में सुनते रहते हैं.

साइबर इंश्‍योरेंस क्या है ?

डिजिटल लेन-देन और सोशल मीडिया (Social Media) का चलन तेजी से बढ़ने के कारन  वित्तीय और निजी जानकारियों के लीक होने और आर्थिक धोखाधड़ी होने का खतरा भी बढ़ गया है.इस तरह के होने वाले साइबर क्राइम (cyber crime) से बचाव में साइबर इंश्‍योरेंस (Cyber Insurance) आपकी बहुत मदद करता है.

 साइबर क्राइम को देखते हुए, साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी (Cyber Insurance Policy) आज बहुत जरूरी हो गई है. ऐसी पॉलिसी में पॉलिसी धारक को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम और फ्रॉड के खिलाफ कवर दिया जाता है.

साइबर इंश्‍योरेंस में फायदा  :

अगर कोई आपके खून पसीने की कमाई  को ऑनलाइन हड़प लेता है या फिर आपके बैंक अकाउंट, क्रेडिट/डेबिट कार्ड या आपके ई-वॉलेट (e-wallet) से धोखाधड़ी से ऑनलाइन खरीददारी (Online Shopping) कर लेता है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनी करती है. फिशिंग और ईमेल स्पूफिंग का शिकार बनाकर अगर कोई आपके पैसे हड़प लेता है तो इस साइबर क्राइम से आपको हुए नुकसान की भरपाई भी बीमा कंपनी करती है.

साइबर इंश्‍योरेंस केसे करवाए :

देश में कई बीमा कंपनियां साइबर इंश्‍योरेंस करती है. बजाज एलियांज कंपनी (Bajaj Allianz)  एक लाख रुपए से लेकर एक करोड़ रुपए तक का साइबर इंश्‍योरेंस करती है. कंपनी का एक साल का बीमा 700 से कम के मासिक प्रीमियम से शुरू हो जाता है. इसी तरह एचडीएफसी एर्गो (HDFC Ergo) भी साइबर इंश्‍योरेंस देती है.

साइबर इंश्‍योरेंस कराते वक्‍त इन बातों का रखें ध्‍यान

साइबर इंश्‍योरेंस लेते वक्‍त कंपनी द्वारा दिए जा रहे प्‍लान को अच्‍छी तरह समझना चाहिए. आपको पता होना चाहिए की पॉलिसी में क्‍या-क्‍या कवर है.आमतौर पर साइबर इंश्‍योरेंस पॉलिसी 10 से 15 तरह के साइबर खतरों से सुरक्षा प्रदान करते हैं.

जरूरत मुताबिक लिमिट

आपकी साइबर सुरक्षा आपके लिए कितनी महत्‍वपूर्ण है, इसी को देखते हुए बीमा कवर की लिमिट चुननी चाहिए. अगर आप बहुत ज्‍यादा ऑनलाइन ट्रांजेक्‍शन करते हैं तो आपको ज्‍यादा लिमिट की जरूररत होगी. बीमा कंपनियां 50 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का कवरेज पेश करती हैं.

कम प्रीमियम के झांसे में न आएं

कई कंपनियां डिडक्टिबल की शर्तें लागू करती हैं. इसमें पॉलिसीधारक को नुकसान की भरपाई पहले स्वयं करनी पड़ती है और उसके बाद बीमा कंपनियां भुगतान करती हैं. कई कंपनियों का प्रीमियम कम होता है, लेकिन डिडक्टिबल ज्यादा. जानकारों का कहना है कि भले ही ज्यादा प्रीमियम देना पड़े, लेकिन डिडक्टिबल को कम रखना चाहिए.

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