युवाओं की ज़िंदगी को
लीलता हार्ट अटैक
दिल
एक धड़कता हुआ बहुत ही खूबसूरत शय है, यह न
होता तो न हम होते और न ही हमें प्यार का दिलकश अहसास होता। बॉलीवुड के गानों और
संवादों में भी इसे बहुत ही खूबसूरत तरीके से पिरोया गया है। इसे नाज़ुक, पागल, दीवाना और नादां बताया गया है, लेकिन असल में न तो ये पागल है, न ही दीवाना और न ही
नादां है। बल्कि ये तो सब कुछ समझता है। ये हमारी वो बातें भी जानता है, जो हमें खुद भी नहीं पता होती हैं।
हम आए दिन खबरों में देखते हैं कि कैसे कोई सुडौल शरीर वाला व्यक्ति
जिम करते-करते अचानक से गिर जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है; कैसे एक दुल्हन वरमाला के समय अचानक से गिरकर मौत के
मुंह में चली जाती है; कैसे सड़क पर चलते-चलते चार दोस्तों
में से एक को छींक आती है और चंद पलों में उसकी ज़िंदगी खत्म हो जाती है। इतना ही
नहीं, बड़ी-बड़ी हस्तियाँ भी इससे अछूती नहीं रह पाईं। मशहूर
कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार पुनीत
राजकुमार, अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला, बॉलीवुड
गायक कृष्णकुमार कुन्नथ, अभिनेत्री मंदिरा बेदी के पति और
फिल्म प्रोड्यूसर राज कौशल, प्रतिष्ठित अभिनेत्री सुरेखा
सीकरी, रामानंद सागर के सबसे लोकप्रिय टीवी शो 'रामायण' में रावण की भूमिका निभाने वाले अभिनेता
अरविंद त्रिवेदी, अपने एक्टिंग स्किल्स और दिलदार अंदाज से
सबको हंसाने वाले डॉ.हाथी यानी मशहूर एक्टर कवी कुमार आजाद, बॉलीवुड
और टीवी जगत की मशहूर अदाकारा रीमा लागू, अनुभवी अभिनेता ओम
पुरी और टेलीविजन जगत के जाने पहचाने नाम फारुख शेख और हाल ही में उत्तर प्रदेश के
हाथरस से भाजपा सांसद राजवीर सहित न जाने कितने ही लोगों की ज़िंदगी को हार्ट अटैक
ने लील लिया।
क्यों बढ़ रही दिल की
परेशानियाँ:
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में
दिल की समस्याओं के मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19
महामारी ने लोगों की जीवनशैली को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों
के बीच फिजिकल एक्टिविटी में कमी, तनाव और अवसाद में
बढ़ोत्तरी और खराब खानपान की आदतें भी बढ़ी हैं। इसके अलावा, इस दौरान लोग प्रीडायबिटीज, प्री-हाइपरटेंशन,
हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे का शिकार हो रहे हैं, जो हार्ट अटैक की बड़ी वजहें हैं। इसके अलावा, वायु
प्रदूषण भी हमारे दिल का दुश्मन है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण से दुनिया
भर में लगभग 40 लाख मौतें हो जाती हैं, जिसमें 60 फीसदी लोगों को दिल की बीमारियां होती
हैं। हवा में मौजूद धूल के बारीक कण ह्रदय की धमनियों में जाकर जम जाते हैं और
इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
महिलाओं की तुलना में
पुरुषों का दिल कमजोर क्यों?
आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की
तुलना में पुरुष हार्ट अटैक के शिकार ज़्यादा हो रहे हैं। जिसका एक मुख्य कारण
स्त्री और पुरुष का मूल स्वभाव है। महिलाएं एक-दूसरे से बातचीत करके अपने दुख शेयर
कर लेती हैं; रोकर अपने मन को हल्का कर लेती हैं। जबकि पुरुष इसके
उलट हैं। पितृसत्तात्मक समाज होने के कारण लड़कों को बचपन से ही बताया जाता है कि “तुम लड़के हो, तुम्हें रोना शोभा नहीं देता”। ऐसे में वो बचपन से ही धीरे-धीरे कठोर आवरण ढकने की कोशिश करते हैं। वो
अपने दुख, तकलीफें ज़ल्दी किसी के साथ शेयर नहीं करते,
निजी जिंदगी की बातें किसी से साझा नहीं करते, अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। और ये चीजें उनके लिए हानिकारक हो सकती हैं।
शायद बशीर बद्र ने ऐसे पुरुषों के लिये ही लिखा होगा-
हम तो कुछ देर हँस भी
लेते हैं
दिल हमेशा उदास रहता है
ऐसे में जब पुरुषों का दिल ही ख़ुश नहीं है तो क्या शरीर की ऊपरी
मज़बूती उन्हें स्वस्थ रख सकती है? मज़बूत
शरीर और कमज़ोर दिल असल में यही असामयिक मृत्यु का कारण बन जाता है। दोस्तों के साथ,
परिवार के साथ या अपने किसी भी प्रिय इंसान के साथ संवाद कीजिए,
मन में कुछ तकलीफ है तो उसे साझा करिए। संवाद करेंगे तो संवेदनाएं
कायम रहेंगी और संवेदनाएं ही आपको सकारात्मक रहने की ताकत देंगी। संवेदनाएं होंगी
तो आप ख़ुशी, ग़म, इन सबकी अभिव्यक्ति
बेहतर तरीक़े से कर पाएंगे और यह अभिव्यक्ति ही आपको और आपके दिल को स्वस्थ रखेगी।
अपने मन को घुटन से बचाइए और दिल को ख़ुलकर सांस लेने (हवा भरने) दीजिए।