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SMILE HOME WORK SOLUSTION |SMILE 3.0 गृहकार्य दिनांक 13 सितम्बर 2021 कक्षा-12 विषय- हिन्दी अनिवार्य पाठ - ‘उषा ’ शमशेरबहादुर पार्ट -1&2

SMILE 3.0  गृहकार्य दिनांक 13 सितम्बर 2021

कक्षा-12 विषय- हिन्दी अनिवार्य

पाठ - उषा शमशेरबहादुर पार्ट -1&2

कवि परिचय

जीवन परिचय-

  • इनका जन्म 13 जनवरी, सन 1911 को देहरादून में हुआ था।
  • नई कविता के समर्थकों में शमशेर बहादुर सिंह की एक अलग छवि है।
  • इनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून में ही हुई। इन्होंने उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
  • चित्रकला में इनकी रुचि प्रारंभ से ही थी।
  • इन्होंने प्रसिद्ध चित्रकार उकील बंधुओं से चित्रकारी में प्रशिक्षण लिया।
  • इन्होंने सुमित्रानंदन पंत के पत्र रूपाभमें कार्य किया। 1977 ई. में चुका भी हूँ नहीं मैंकाव्य-संग्रह पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।
  • इन्हें कबीर सम्मान सहित अनेक पुरस्कार मिले।
  • सन 1993 में अहमदाबाद में इनका देहांत हो गया। 

रचनाएँ- शमशेर बहादुर सिंह ने अनेक विधाओं में रचना की। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

(क) कुछ कविताए ,कुछ और कविताएँ , चूका भी हूँ नही मै ,इतने पास अपने ,बात बोलेगी,काल तुझसे होड़ मेरी ,
(
ख) संपादन-उर्दू-हिंदी कोश।
(
ग) निबंध-संग्रह-दोआब।
(
घ) कहानी-संग्रह-प्लाट का मोर्चा।

काव्यगत विशेषताएँ- वैचारिक रूप से प्रगतिशील एवं शिल्पगत रूप से प्रयोगधर्मी कवि शमशेर को एक बिंबधर्मी कवि के रूप में जाना जाता है। इनकी बिंबधर्मिता शब्दों में माध्यम से रंग, रेखा, एवं सूची की अद्भुत कशीदाकारी का माद्दा रखती है। इन्होंने अपनी कविताओं में समाज की यथार्थ स्थिति का भी चित्रण किया है। ये समाज में व्याप्त गरीबी का चित्रण करते हैं। कवि ने प्रकृति के सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया है। प्रकृति के नजदीक रहने के कारण इनके प्राकृतिक चित्र अत्यंत जीवंत लगते हैं। उषाकविता में प्रात:कालीन वातावरण का सजीव चित्रण है।
शमशेर की कविता एक संधिस्थल पर खड़ी है। यह संधि एक ओर साहित्य, चित्रकला और संगीत की है तो दूसरी ओर मूर्तता और अमूर्तता की तथा ऐंद्रिय और ऐंद्रियेतर की है।
भाषा-शैली- शमशेर बहादुर सिंह ने साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है। कथा और शिल्प-दोनों ही स्तरों पर इनकी कविता का मिजाज अलग है। उर्दू शायरी के प्रभाव से संज्ञा और विशेषण से अधिक बल सर्वनामों, क्रियाओं, अव्ययों और मुहावरों को दिया है। सचेत इंद्रियों का यह कवि जब प्रेम, पीड़ा, संघर्ष और सृजन को गूँथकर कविता का महल बनाता है तो वह ठोस तो होता ही है, अनुगूंजों से भी भरा होता है।

कविता का प्रतिपादय एवं सार

प्रतिपाद्य- प्रस्तुत कविता उषामें कवि शमशेर बहादुर सिंह ने सूर्योदय से ठीक पहले के पल-पल परिवर्तित होने वाली प्रकृति का शब्द-चित्र उकेरा है। कवि ने प्रकृति की गति को शब्दों में बाँधने का अद्भुत प्रयास किया है। कवि भोर की आसमानी गति की धरती के हलचल भरे जीवन से तुलना कर रहा है। इसलिए वह सूर्योदय के साथ एक जीवंत परिवेश की कल्पना करता है जो गाँव की सुबह से जुड़ता है-वहाँ सिल है, राख से लीपा हुआ चौका है और स्लेट की कालिमा पर चाक से रंग मलते अदृश्य बच्चों के नन्हे हाथ हैं। कवि ने नए बिंब, नए उपमान, नए प्रतीकों का प्रयोग किया है।
सार- कवि कहता है कि सूर्योदय से पहले आकाश का रंग गहरे नीले रंग का होता है तथा वह सफेद शंख-सा दिखाई देता है। आकाश का रंग ऐसा लगता है मानो किसी गृहिणी ने राख से चौका लीप दिया हो। सूर्य के ऊपर उठने पर लाली फैलती है तो ऐसा लगता है जैसे काली सिल को किसी ने धो दिया हो या उस पर लाल खड़िया मिट्टी मल दिया हो। नीले आकाश में सूर्य ऐसा लगता है मानो नीले जल में गोरी युवती का शरीर झिलमिला रहा है। सूर्योदय होते ही उषा का यह जादुई प्रभाव समाप्त हो जाता है।

SMILE 3.0  गृहकार्य  दिनांक 13 सितम्बर 2021

प्रश्न -1. कवि शमशेर बहादुर का जन्म कब व कहाँ हुआ तथा उनके द्वारा रचित किन्ही दो रचनाओ के नाम लिखिए ?

उत्तर -  जन्म 13 जनवरी, सन 1911 को देहरादून में हुआ था।

रचनाएँ कुछ कविताए ,कुछ और कविताएँ , चूका भी हूँ नही मै ,इतने पास अपने ,बात बोलेगी,काल तुझसे होड़ मेरी ,

प्रश्न -2 विचरो के स्तर पर...............  तथा  शिल्प के स्तर पर.....................  कवि शमशेर बहादुर की पहचान  एक...................... कवि के रूप में जाना जाता है।

उत्तर -  प्रगतिशील , प्रयोगधर्मी, बिंबधर्मी

प्रश्न -3 भोर के नभ को  नीला राख जैसा ,राख से लीपा हुआ चोका जैसा बताने में कोन सा अलंकार प्रयोग हुआ है ?

उत्तर -   उपमा अलंकार 

प्रश्न -4 कविता के किन उपमानो को देखकर यह कहा जा सकता है की उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र है ?

उत्तर कवि के नीले शंख, राख से लीपा हुआ गीला चौका, सिल, स्लेट, नीला जल और गोरी युवती की मखमली देह आदि उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र है। इन्हीं उपमानों के माध्यम से कवि ने सूर्योदय का गतिशील वर्णन किया है। ये उपमान भी कविता को गति प्रदान करते हैं।

प्रश्न -5कविता में प्रयुक्त बिम्बों में से कोई दो लिखिए ?

उत्तर -  (i) नीला शंख (सुबह के आकाश के लिए)।
(ii) राख से लीपा हुआ चौका (भोर के नभ के लिए)।
(iii) काली सिल (अँधेरे से युक्त आसमान के लिए)।
(iv) स्लेट पर लाल खड़िया चाक (भोर से नमीयुक्त वातावरण में उगते सूरज की लाली के लिए)।
(v) नीले जल में झिलमिलाती गोरी देह (नीले आकाश में आते सूरज के लिए)।

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