सन्त काव्य के प्रतिनिधि कवि:कबीर, कबीर जीवन परिचय 1398 – 1518 ई.
भारतीय धर्म साधना के
इतिहास में कबीर ऐसे महान् विचार एवं प्रतिभाशाली महाकवि हैं, कबीर सिकन्दर लोदी के समकालीन लोदी के समकालीन थे।
कबीर की रचनाओं का संकलन ’बीजक’ में
है। जिसका संकलनकर्ता धर्मदास हैं।
⇒ कबीर की जन्मतिथि में मतैक्य
नहीं है। एक प्रसिद्ध दोहे के अनुसार इनका जन्म सम्वत् 1555
(सन् 1398
ई.) में हुआ था।
कबीर के जन्म के सम्बन्ध में एक दोहा बहुत प्रचलित है
:
चौदह सौ पचपन साल गए चन्द्रवार एक ठाट ठए।
जेठ सुदी
बरसाइत को पूरनमासी प्रगट भए॥
- जनश्रुति के अनुसार उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ जिसने लोकलाज के भय से उन्हें त्याग दिया।
- एक जुलाहा दम्पति को वे लहरतारा नामक तालाब के किनारे पड़े हुए मिले जिसने उनका पालन-पोषण किया।
- वे ही कबीर के माता-पिता कहलाए। जिनके नाम थे नीमा और नीरू।
- कबीर के गुरु प्रसिद्ध सन्त रामानन्द थे।
इसी प्रकार एक जनश्रुति के अनुसार कबीर का निधन सं.
1575 में
हुआ।
⇒ ’कबीर परिचई’ के अनुसार
कबीर जन्म से जुलाहे थे। निवास स्थान काशी तथा कबीर के गुरु रामानन्द थे, सिकन्दर
लोदी ने अनेक प्रकार की यातनाएँ दी, 120 वर्ष तक पवित्र जीवन पाया।
कबीर चरित्र बोध
के अनुसार –
सवंत पन्द्रह सौ पछत्तरा, कियो मगहर को गौन।
माघ सुदी एकादशी, रलो पौन में पौन।।
जन्म व निधन स्थान ट्रिकः काम
का - काशी
म - मगहर
- कबीर पढ़े-लिखे न थे, उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है :
मसि कागद छूयो नहीं कलम गह्यौ नहीं हाथ।
कबीर की भाषा के विषय में
विभिन्न मत –
- पंचमेल खिचड़ी – श्यामसुंदर दास
- सधुक्कडी – शुक्ल, गोविंद त्रिगुणायत
- वाणी डिक्टेटर – हजारी प्रसाद दिवेदी
- ब्रज भाषा – सुनीति कुमार
- संत भाषा – डॉ बच्चन सिंह
- अवधी भाषा – बाबू राम सक्सेना