हमेशा चौराहों पर वीर पुरूष के घोड़ों के साथ स्टेच्यू सभी ने देखे होंगे। जिसमें महाराणा प्रताप के घोड़े का बांया पैर उठा हुआ दिखता है जबकि रानी लक्ष्मी बाई के घोड़े के दोनों पैर ऊपर उठे दिखते है। वहीं किसी में दांया पैर तो किसी में सामान्य रूप से खड़े घोड़े पर सवार महापुरूष व राजा महाराजा के स्टेच्यू बने होते है।
इन सभी के पीछे कारण होता है और एक नियम का अनुसरण हो रहा है।
यह संकेत है घोड़े के पैर का...
1- घोड़े का बांया पैर उठा हुआ--- किसी भी घोड़े पर सवार महापुरूष के घोडे़ का बांया पैर उठा हो तो समझ लेना चाहिए कि युद्ध में उसके राजा से पहले घोड़ा शहीद हुआ था। जैसे महाराणा प्रताप के घोड़े का बांया पैर सदैव स्टेच्यू में उठा होता है।
2- घोड़े का दांया पैर उठा--- जब स्टेच्यू में घोड़े पर सवार महापुरूष के घोड़े का दांया पैर उठा हो तो समझ लेना चाहिए कि घोडे पर सवार राजा पहले शहीद हुआ है, बाद में उसका घोड़ा।
3.- घोडे के दोनों पैर उठे--- किसी भी घोड़े पर सवार महापुरूष के घोड़े के दोनों पैर स्टेच्यू में उठे हो तो समझ लेना चाहिए युद्ध में दोनों की एक साथ मौत हो गई। जैसे रानी लक्ष्मी बाई के घोड़े के दोनों पैर स्टेच्यू में ऊपर होते हैं।
4- घोड़े के दोनों पैर जमीन पर टिके हुए--- किसी भी स्टेच्यू में घोड़ा सामान्य रूप से खड़ा है, तो समझे किसी राजा या महाराजा की स्टेच्यू है जो कि सामान्य रूप से प्रतीक रूप में बनाई गई है।
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