google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 स्वयं को प्रोत्साहित करें

स्वयं को प्रोत्साहित करें



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प्रोत्साहन जीवन का ईंधन है, ऊर्जा है। हम कभी कुछ कर नहीं पाते हैं, यदि हम उसे करने के लिए प्रोत्साहित महसूस करें। कभी-कभी प्रोत्साहन बाहरी होता है। आप इसलिए कुछ करते हैं, क्योंकि आप पूरी तरह संकट में पड़ जाएंगे, अगर आप वैसा नहीं करते हैं। अथवा आप इसलिए कुछ करते हैं, क्योंकि वह काम करने से आपको 'सुकून' मिलता है या वह 'भीतरी' चीज है और हर कोई वही कर रहा है। फिर भी, अत्यंत उचित प्रकार का प्रोत्साहन आंतरिक होता है-वह अग्नि जो सीधे आपके अंदर जल रही होती है, क्यों? क्योंकि जब प्रोत्साहन अंदरूनी हो, आप वह काम अच्छे-से-अच्छे ढंग से करेंगे। आप उस पर सबकुछ निछावर कर देंगे, जो आपके पास है। अन्यथा आप बेमन से आधा-अधूरा प्रयास करेंगे।
अगर आप बड़े-बड़े काम करना चाहते हैं, बेहतर करना चाहते हैं, उसके लिए आपकी प्रेरणा अंदर से आनी चाहिए और एक बार वह अग्नि आपके अंदर प्रज्वलित हो गई तो फिर आपको कोई नहीं रोक पाएगा। आप अत्यधिक कर्मशील हो जाते हैं। आप स्वत: अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयत्न उसमें लगा देते हैं।
अत: आप किस तरह आंतरिक प्रोत्साहन का विकास करते हैं? और क्या आप उसे विकसित कर भी सकते हैं? पहले हम दूसरे सवाल का जवाब देना चाहेंगे, क्योंकि आप खुद को सुधारने में रुचि रखते हैं। जीवन में आपने जो पाया है, उससे आप संतुष्ट नहीं हैं और अपने जीवन को सुधारने के लिए आप सक्रिय रूप से प्रयास करना चाहते हैं। इसलिए आपके अंदर एक आग सुलग रही है। अब हमें इतना ही करने की जरूरत है कि उसकी रक्षा करें-अर्थात् उसे जलाए रखें और उसे एक प्रचंड, सतत, ज्वलंत, धधकते आवेश में बदल दें। अब पहले प्रश्न पर आते हैं। हम आंतरिक प्रेरणा को विकसित कैसे करें? चलिए, कुछ रणनीतियों पर विचार-विमर्श करें।
क्या यह सही लक्ष्य है?
आप किस बात के लिए प्रोत्साहन चाहते हैं? क्या यह एक सार्थक लक्ष्य है? क्या यह आपके लिए चुनौतीपूर्ण है और इतना महान् है कि आप उसे पाने के
लिए आसमान छूना चाहेंगे? क्या यह वास्तव में आपका लक्ष्य है? यदि आप निरुत्साहित महसूस कर रहे हैं तो हो सकता है कि आप जो कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं, वह आपके लिए उपयुक्त हो। यह कुछ ऐसा भी हो सकता है, जो आप दूसरों की खातिर कर रहे हैं, स्वयं के लिए नहीं। हो सकता है कि यह इतना महान् कार्य हो कि आपकी आत्मा खिल जाए।
क्या यह आपके जीवन के उद्देश्य के अनुरूप है?
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक उद्देश्य होता है, जिसे वह यहाँ पूरा करता है। यह एक ज्वलंत इच्छा हो सकती है, जिसे आप अपने मन के अत्यंत अंधकारपूर्ण कोनों में कुरेदते रहते हैं, क्योंकि वह 'उचित' प्रतीत नहीं होती है। अगर आपके जीवन की गहनतम इच्छा एक डॉक्टर बनने की है, उसके बाद यदि आप खुद को इंजीनियर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं तो वह संभवत: आपके अवचेतन को स्वीकार नहीं होगा।
आप यह क्यों करना चाहेंगे?
लिखें कि आपको किन कारणों से यह करना चाहिए। आपको पक्का विश्वास होना चाहिए कि आप इसे बिलकुल ठीक समझते हैं, कि इसलिए कर रहे हैं कि दूसरों की नजर में ठीक है या उन्हें अच्छा लगता है।
आप यह क्यों नहीं कर रहे हैं?
यदि यह वास्तव में आपके लिए सही लक्ष्य है और आपके जीवन के उद्देश्य से मेल खाता है, तब आप ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं? कृपया कुछ समय निकालकर इस प्रश्न पर विचार करें। अपना लक्ष्य लिखें और जिन कारणों से आप यह नहीं कर रहे हैं, उन कारणों को भी लिखें। कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं कि आप इस बात से डरते हैं कि दूसरे लोग क्या सोचेंगे? क्या आप असीम संभावनाओं और विकास तथा संभाव्यता की दुनिया में जाने से डरते हैं? क्या आपका भय आपकी सफलता के आधार को कमजोर कर रहा है?
क्या इसका कारण यह है कि आप बहुत वृद्ध या बहुत जवान हैं? ये सभी प्रासंगिक बातें हैं। अगर आप आगे बढ़ना चाहते हैं और कुछ करने की हसरत रखते हैं तो ऐसा कोई नियम नहीं है, जो आपको रोक ले (जब तक कि वास्तव में ऐसा हो कि आप नाबालिग हों और आप कुछ ऐसा करने की कोशिश में
हों, जो नाबालिगों को कानूनन नहीं करना चाहिए, उस स्थिति में आप संभवत: यहाँ प्रोत्साहन नहीं चाह रहे होंगे) जब आप अपनी मृत्यु-शय्या पर पड़े हुए अपने जीवन को मुड़कर देखेंगे, तब क्या आप यह महसूस करेंगे कि आपने वही किया है, जो आप करना चाहते थे? अगर नहीं तो उसे अब करना बेहतर होगा। क्या संकोच इसलिए है कि वह अनुचित या अविवेकपूर्ण प्रतीत होता है? प्रत्येक सार्थक लक्ष्य किसी--किसी समय, किसी--किसी व्यक्ति को अनुचित प्रतीत होता है।
अगर आप वास्तव में उसके लिए उत्कट हैं तो हर हालत में आगे बढ़ें। आधे मन से या बेमन से कुछ करें, विफलता का भय निकाल बाहर करें। यदि कुछ करना ही चाहते हैं तो अवश्य करें, जी-जान से करें। उत्साह और खुशी से अपने प्रयास में जुट जाएँ। उसके लिए कठिन परिश्रम करें और वास्तव में उसके लिए सावधानी से काम करें।
क्या इसका कारण यह है कि आपका परिवार सहमत नहीं है? क्या ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपके मित्र या समाज आपको सनकी कहेगा? क्या आपकी पत्नी या आपका पति आपको रोक रहा है? क्या आपका अत्यंत व्यस्त होना एक कारण है? क्या इसका कारण यह है कि आपको ज्यादा कुछ पता नहीं है? क्या इसमें बहुत जोखिम है?
इस मामले में आपको एक सामान्य बात याद रखने की आवश्यकता है। अपने जीवन के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं। कोई दूसरा बाहरी कारण, जिसे आप बदलना चाहते हों, वह आपकी अपनी जिम्मेदारी है। जो लोग आपके विकास में मददगार होंगे, उनसे मेल-जोल रखना, संपर्क बनाना आपकी जिम्मेदारी है। समय को बाँधकर रखने की कला सीखना आपका उत्तरदायित्व है, ताकि आप कारगर ढंग से काम का बँटवारा कर सकें और अपनी रुचियों के लिए समय निकाल सकें। अपनी निपुणताओं का प्रभावी रूप से उपयोग करना आपकी जिम्मेदारी है। अपनी उमंग, अपनी चाहत के क्षेत्रों की खोज करना और उसमें छलाँग लगाने से पहले उसके बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करना आपकी जिम्मेदारी है। हर किसी को अपने जैसा बनाना आपकी जिम्मेदारी नहीं है। जो कोई आपके लिए अच्छा नहीं है, उससे संबंध जोड़ने हेतु आपकी यह जिम्मेदारी नहीं है कि आप खुद को बिगाड़ें। लोग आपके बारे में जो कुछ भी पूछे, उसके लिए आपको हर बार 'हाँ' कहने की जरूरत नहीं है। जीवन के उस मार्ग से चिपके रहना आपकी जिम्मेदारी नहीं है, जो आपकी समझ से बाहर है और
आपको विकसित नहीं होने देता है। इन परिस्थितियों से निपटने में दबंगपन सबसे अच्छा और आसान उपाय हो सकता है।
क्या यह करने के आपके सारे कारण चूक गए हैं?
अगर ऐसा है तो शायद आपने खुद को अपनी सोची हुई दिशा में बढ़ने के लिए पहले ही तैयार कर लिया है और आप कदम बढ़ाने वाले हैं। अगर नहीं तो पहलेवाले कदम पर वापस जाने का कष्ट करें। कुछ मूलभूत कारण हो सकते हैं, जिनकी आपने पूरी छानबीन नहीं की है। अगर यह करने के लिए आपके पास कोई पर्याप्त कारण नहीं है और उस कारण को हटाने का कोई उपाय नजर नहीं आता है तो यह काम करें। यह आपके लिए सही लक्ष्य नहीं है, भले ही वह कारण सिर्फ एक 'सहज अनुभूति' हो। उस स्थिति में आपको अपने मनोभावों पर विचार करना होगा और अपने समय तथा अपने जीवन के योग्य कोई लक्ष्य तलाशना होगा।
यदि आपने ये सभी कदम सफलतापूर्वक उठा लिये हैं, तब इस बात की पक्की संभावना है कि आप पहले से ही उत्साह से भरे हुए हैं और अपने लक्ष्य की दिशा में बढ़ने के लिए फड़फड़ा रहे हैं। आप इस संबंध में वस्तुत: कठिन परिश्रम करने के लिए तैयार होंगे; रात को देर तक जागेंगे, सुबह जल्दी उठकर पुन: उस पर कार्य करेंगे। इसके बारे में आप खुद को उच्चतम सीमा तक शिक्षित करने के इच्छुक होंगे। आप महसूस करेंगे कि इसके बारे में जब आप सोचते हैं, आपकी उमंग आपकी नसों से छलकी पड़ रही है। आप उन ऊँचाइयों को जीतने के लिए तैयार होंगे, जिन्हें हासिल करने के लिए आप बने थे।
गुर्जर इतिहास/मारवाड़ी मसाला/रामचरितमानस सार, के लिए ब्लॉग  पढे  :-https://gurjarithas.blogspot.com

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