google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 व्यक्ति की 'अभिनव छवि'

व्यक्ति की 'अभिनव छवि'

व्यक्ति की 'अभिनव छवि'
बहत से लोग किसी व्यक्ति की शारीरिक दिखावट और विभिन्न बाहरी विशेषताओं को ही उसका व्यक्तित्व समझने की गलती करते हैं। किसी शानदार व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करते समय वे उसकी ऊँचाई, वजन, डील डौल और रंग रूप का जिक्र कर सकते हैं। अस्तु, मगर आप सोचते हैं कि किसी व्यक्ति का शारीरिक गठन और सौष्ठव ही व्यक्तित्व की कसौटी है तो इस बारे में अब आपको दोबारा विचार करने की आवश्यकता है। इसमें कोई शक नहीं कि शकल-सूरत और रूप रंग भी बहुत महत्त्व रखता है। तथापि, चूँकि उनमें से अधिकतर विशेषताएँ हमारी शक्ति और नियंत्रण के परे हैं, इसलिए उनके बारे में सोच-विचार पर समय और ऊर्जा खर्च करना बेकार है। हालाँकि बाहरी दिखावट कुछ हद तक मददगार साबित हो सकती है, फिर भी अनेक दूसरे पहलू हैं, जो किसी का व्यक्तित्व बनाने में बड़ा योगदान करते हैं।
आजकल व्यक्तित्व को किसी व्यक्ति की 'अभिनव छवि' (ब्रांड इमेज) समझा जाता है। सीधे-सादे शब्दों में कहा जाए तो इसके तीन पहलू होते हैं, जो इस प्रकार हैं
चरित्र
व्यवहार
मनोवृत्ति अर्थात् मानसिकता।
मूलत: पर्सनैलिटी डेवलपमेंट का तात्पर्य है-व्यवहार, संप्रेषण, कौशल, पारस्परिक संबंधों, जीवन और सदाचार के प्रति मानसिकता में सुधार करना। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण करने में चरित्र को मूल तत्त्व माना जा सकता है। बहुत से मनोविज्ञानियों का कहना है कि केवल चरित्र और व्यवहार में सुधार करने से ही व्यक्तित्व में काफी प्रभाव जाएगा। यह सच है कि अगर किसी व्यक्ति का चरित्र एवं व्यवहार अच्छा नहीं है तो प्रभावशाली व्यक्तित्व के पीछे अन्य सभी तत्त्व व्यर्थ हो जाएँगे। व्यक्तित्व की तुलना किसी इमारत से की जा सकती है। जैसे कोई इमारत तभी टिकी रह सकती है, जब उसकी बुनियाद मजबूत हो; उसी तरह कोई व्यक्तित्व दूसरों को तभी प्रभावित कर सकता है, जब उसका आधार सुदृढ़ हो। अगर व्यक्तित्व का विकास मूल्यों एवं सद्गुणों की
ठोस बुनियाद पर किया जाए तो वह सदैव कायम रहेगा। झूठी मुसकराहट और बनावटी व्यवहार दूसरों को अपेक्षाकृत थोड़े समय के लिए आकृष्ट कर सकता है, किंतु उनकी उम्र छोटी होती है और किसी के व्यक्तित्व को सुधारने में वे सहायक नहीं होते।
सद्व्यवहार और सहयोग व्यक्ति को लोकप्रिय बनाता है। इसके फलस्वरूप उसकी उन्नति एवं सफलता की संभावनाएँ बहुत बढ़ जाती हैं। व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान करनेवाले तत्त्वों के बारे में अलग-अलग लोग अलग-अलग विचार रखते हैं। कई वैज्ञानिकों का मत है कि चरित्र को व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं माना जा सकता; लेकिन अब तक सबसे बड़े लेखकों और प्रेरकों में से एक श्री सेवेनकवि का कहना है कि श्रेष्ठ व्यक्तित्व चरित्र की ठोस बुनियाद पर आधारित होना चाहिए।
जो व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को सुधारना चाहता है, उसमें इच्छा और दृढ़ निश्चय का होना अनिवार्य है। उसे पता होना चाहिए कि उसके लक्ष्य क्या हैं और किस दिशा से होकर जाना है। जब आप ये तीन कदम उठा चुके हों, उसके बाद अपना लक्ष्य हासिल करने के कार्य में पूरी निष्ठा से जुट जाना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य एक अनोखा प्राणी होता है। अत: विभिन्न सामान्य घटकों के अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति, महिला हो या पुरुष, को अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं को विकसित करना चाहिए। हमेशा याद रखें कि किसी सफल व्यक्ति का अंधे होकर अनुसरण करने से आपको कभी अपनी सही दिशा नहीं मिलेगी।
अपने व्यक्तित्व का विकास करने की असीम संभावनाएँ आपके अंदर हैं, बशर्ते कि आपका चरित्र मजबूत हो। तभी आप उन संभावनाओं को पहचान सकेंगे
और समझ सकेंगे। सफलता की कुंजी आपके पास है, लेकिन कहीं छिपी हुई है। जो दौलत आपने कमाई है, वह महत्त्वपूर्ण नहीं है। महत्त्व इस बात का है कि उस धन-दौलत को अर्जित करने के लिए आपने किन उपायों को अपनाया है। आपके चरित्र को निर्धारित करने में आपका व्यक्तित्व, आपकी क्षमताएँ, आपके विचार और आपके आदर्श सभी बहुत महत्त्व रखते हैं।
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